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अँखियाँ हरि -दरसन की प...

वियोग - अँखियाँ हरि -दरसन की प...

भगवद्वियोगकी पीडाका चित्रण ’वियोग’ शीर्षकके अंतर्गत पदोंमें है ।


अँखियाँ हरि-दरसन की प्यासी ।

देख्यो चाहत कमल नैनको, निशिदित रहत उदासी ॥१॥

केसर तिलक मोतिनकी माला, बृन्दावनके बासी ।

नेह लगाय त्यागि गये तृन सम, डारि गये गल फाँसी ॥२॥

काहूके मनकी को जानत, लोगनके मन हाँसी ।

’सूरदास’ प्रभु तुम्हारे दरस बिनु लेहों करवत कासी ॥३॥

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Last Updated : January 30, 2018

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