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भूल बिसर मत जाना कन्ह...

वियोग - भूल बिसर मत जाना कन्ह...

भगवद्वियोगकी पीडाका चित्रण ’वियोग’शीर्षकके अंतर्गत पदोंमें है ।


भूल बिसर मत जाना कन्हैया, मेरी ओड़ निभाना जी ॥टेर॥

मोर मुकुट पीताम्बर सोहे, कुण्डल झलकत काना जी ।

वृन्दावन की कुञ्ज-गलिन में, मोहन वंशी बजाना जी ॥१॥

हमरी तुमसे लगन लगी है, नित प्रति आना जी ।

घट-घट वासी अन्तरजामी, प्रेम का पंथ निभाना जी ॥२॥

जो मोहन मेरो नाम न जानो, मेरो नाम दिवाना जी ॥

हमरे आँगन तुलसी का बिरवा, जिसके हरे हरे पाना जी ॥३॥

जो काना मेरो गाँव न जानो, मेरो गाँव बरसाना जी ।

सूरज सामी पोल हमारी, चन्दन चौक निसाना जी ॥४॥

या तो ठाकुर दरसन दीजो, नहीं तो लीजो प्राना जी ।

मीरा के प्रभु गिरधर नागर, चरणोंमे लिपटाना जी ॥५॥

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Last Updated : January 30, 2018

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