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नातो नामको जी म्हाँसू ...

वियोग - नातो नामको जी म्हाँसू ...

भगवद्वियोगकी पीडाका चित्रण ’वियोग’ शीर्षकके अंतर्गत पदोंमें है ।


नातो नामको जी म्हाँसू तनक न तोड़यो जाय ॥टेर॥

पाँना ज्यूँ पीली पड़ी जी लोग कहे पिंड रोग ।

छाने लाँघण म्हे किया जी राम मिलन की जोग ॥१॥

बावल बैद बुलाइया जी पकड़ दिखाई म्हारी बाँह ।

मूरख बैद मरम नहिं जाणै, कसक कलेजे माहँ ॥२॥

जावो वैद घर आपणे जी म्हाँरो नाँव न लेय ।

मैं तो दासी विरह की जी तू काहे कूँ ओषद देय ॥३॥

माँस गल गल छीजिया जी करके रह् या गल आहि ।

आँगलियाँ री मुँदड़ी (म्हारे) आवन लागी बाँहि ॥४॥

रह रह पापी पपीहड़ा रे पीव को नाम न लेय ।

जे कोई बिरहण सम्हाले तो पीव कारण जिव देय ॥५॥

खिण मंदिर खण आँगणे रे खिण-खिण ठाडी होय ।

घायल ज्यूँ घूमू खड़ी, म्हारी विथा न बूझे कोय ॥६॥

काढ़ कलेजो मैं धरुँ रे, कागा तू ले जाय ।

ज्याँ दे साँ म्हारो पीव बसेरे, वो देखे तू खाय ॥७॥

म्हारे नातो नाँव को जी, और न नातो कोय ।

मीरा व्याकुल विरहणी जी हरि दरसण दीजो मोय ॥८॥

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Last Updated : January 30, 2018

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