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आव आव भगतोंका भीड़ी आय...

वियोग - आव आव भगतोंका भीड़ी आय...

भगवद्वियोगकी पीडाका चित्रण ’वियोग’शीर्षकके अंतर्गत पदोंमें है ।


आव आव भगतोंका भीड़ी आयाँ सरसीरे, मोहन बेगो आव ।

घोर घटा म्हारे शिर पै छाई सूजत नहिम किनारा रे ।

डगमग डोले नाव किनारे, पार लगाओ रे ॥१॥

जायें कहाँ अब तुम ही बताओ, तुम बिन कौन हमारा रे ।

दुखियोंका दुख दूर करन को, तुम ही सहारा रे ॥२॥

एक बार भारत में फिर से, आजा कृष्ण मुरारी रे ।

जल्दी लो अवतार जगत में हो उजियारा रे ॥३॥

गोकुल वाला गउओंका प्यारा तुम बिन कौन रखवारा रे ।

बिगड़ी आन सुधारो वंकट दास तुम्हारा रे ॥४॥

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Last Updated : January 30, 2018

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