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निशि दिन बरसत नैन हमा...

वियोग - निशि दिन बरसत नैन हमा...

भगवद्वियोगकी पीडाका चित्रण ’वियोग’ शीर्षकके अंतर्गत पदोंमें है ।


निशि दिन बरसत नैन हमारे ।

सदा रहत पावस-ऋतु हम पर, जबतें श्याम सिधारे ॥१॥

अंजन थिर न रहत अँखियन में, कर कपोल भये कारे।

कचुंकि-पट सूखत नहिं कबहूँ, उर बिच बहत पनारे ॥२॥

आसूँ सलिल भये पग थाके, बहे जात सित-तारे ।

’सूरदास’ अब डूबत है ब्रज, काहे न लेत उबारे ॥३॥

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Last Updated : January 30, 2018

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