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देवताओं के ध्यान

पूजा विधी - देवताओं के ध्यान

जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।


॥ देवताओं के ध्यान ॥

श्री गणेश का ध्यान

खर्वं स्थूलतनुं गजेन्द्र वदनं लम्बोदरं सुन्दरं प्रस्यन्द न्मद गन्ध लुब्ध मधुप व्यालोल गण्ड स्थलम् । दन्ताघात विदारितारि रुधिरै : सिन्दूर शोभाकरं वन्दे शैलसुता सुतं गणपतिं सिद्धि प्रदं कामदम् ॥ ध्यानार्थे अक्षत पुष्पाणि समर्पयामि ॐ श्री गणेशाय नमः ।

दुर्गा का ध्यान

सिंहस्था शशिशेखरा मरकत प्रख्यैश्चतुर्भिर्भुजै : शङ्खं चक्रधनुः शंराश्च दधती नेत्रेस्त्रिभि : शोभिता ॥

आमुक्ताड्गदहार कङ्कणरणत्काञ्चीरणन्नूपुरा दुर्गा दुर्गतिहारिणी भवतु नौ रत्नोल्लसत्कुण्डला ॥

ध्या . अ . पु . स . ॐ श्री दुर्गायै नमः

शिव का ध्यान

ध्याये नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारु चन्द्रा वतंसं रत्नाकल्पोज्जवलाड्गं परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम् ।

पधासीनं समन्तात् स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्ति वसानं विश्वाधं विश्वबीजं निखिलभय हरं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रम् ॥

ध्या . अक्षतपुष्पाणि सम . ॐ शिवाय नम :

गायत्री माता ध्यान

ॐ बाला विधां तु गायत्रीं लोहितां चतुराननाम् । रक्ताम्बरद्वयोपेतामक्षसूत्र करां तथा ॥

कमण्डलु धरां देवीं हंसवाहन संस्थिताम् । ब्रह्माणीं ब्रह्मदैवत्यां ब्रह्मलोक निवासिनीम् ॥

मन्त्रेणावाहयेद्देवीमायान्ती सूर्यमण्डलात् ।

ध्य . अ . पु . स . ॐ गायत्री नम :

विष्णु का ध्यान

उधत्कोटिदिवाकराभमनिशं शंङ्कं गदा पङ्कजं चक्रं बिभ्रतमिन्दिराव सुमती संशोभिपार्श्वद्धयम् ।

कोटी राङ्गदहार कुण्डलधरं पीताम्बरं कौस्तुभे र्दीप्तं विश्वधरं स्ववक्षसि लसच्छीवत्सचिहृं भजे ॥

ध्या . अ . पु . सम . ॐ विष्णवे नम :

सूर्य का ध्यान

रक्ताम्बुजासनम शेष गुणैक सिन्धुं भानुं समस्त जगताधिपं भजामि ।

पद्यद्वयाभय वरान् दधतं कराब्जै र्माणिक्य मौलि मरुणाङ्ग रुचिं त्रिनेत्रम् ।

ध्या . अ . पु . सर्म . ॐ सूर्याय नमः ।

श्री राम का ध्यान

ध्याये दाजानु बाहुं धृतशरधनुषं बद्धपधासनस्थं पीतं वासो वसानं नवकमल दल स्पर्धिनेत्र प्रसन्नम् ।

वामाङ्कारुढसीता मुख कमल मिलल्लोचनं नीरदायं नाना लंकार दीप्तं दधत मुरुजटा मण्डलं रामचन्द्रं ध्या०अ०पु०सर्म० ॐ श्री रामचन्द्राय नमः ।

श्री कृष्ण का ध्यान

कृष्णाय वासुदेवाय देवकी नन्दनाय च । नन्दगोप कुमाराय गोविन्दाय नमो नमः ॥

ध्या . अ . पु . सर्म . ॐ कृष्णाय नमः ।

श्री हनुमान जी का ध्यान

मनोजवं मारुत तुल्य वेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् । वातात्मजं वानर यूथ मुख्यं श्रीराम दूतं शरणं प्रपधे ॥

ध्या . अ . पु . सर्म . ॐ हनुमतायस नमः ।

श्री लक्ष्मी जी का ध्यान

या सा पधासनस्था विपुलकटि तटी पधपत्रायताक्षी गम्भीरावर्तनाभिस्तन भरनमिता शुभ्रवस्त्रोत्तरीया ।

या लक्ष्मीर्दिव्यरूपैर्मणिगण खचितै : स्नापिता हेमकुम्भै : सा नित्यं पधहस्ता मम वसतु गृहे सर्वमाङ्गल्ययुक्ता : ॥

ॐ हिरण्य वर्णां हरिणीं सुवर्ण रजतस्त्रजाम् । चन्द्रा हिरण्यमयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वहा ॥

ध्या . अ . पु . सर्म . ॐ महालक्ष्मै नम : ।

माँ सरस्वती का ध्यान

या कुन्देन्दुतुषार हारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता या वीणा वर दण्ड मण्डित करा या श्वेतपधासना ॥

या ब्रह्माच्युत शङ्करप्रभृतिभिदैवै : सदा वन्दिता सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाडयापहा ॥

ब्रह्मा जी की प्रार्थना

यथा चतुर्मुखो ब्रह्मा सर्ववेदधरो विभु : । तथा त्वं मम यज्ञेऽस्मिम् ब्रह्मा भव द्विजोत्तम ॥

अस्य यागस्य निष्पत्तौ भवन्तो ऽभ्यर्थिता मया । सुप्रसन्नैः प्रकर्तव्यं यज्ञोयं विधि पूर्वकम् ॥

अस्मिन् होम कर्मणि त्वं में आचार्यों भव । अहं भवानीति प्रत्युक्ति :, त्वं में ब्रह्मा भव ॥

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Last Updated : May 24, 2018

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