हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|पुस्तक|हिन्दी पदावली| पद १५१ से १६० हिन्दी पदावली पद १ से १० पद ११ से २० पद २१ से ३० पद ३१ से ४० पद ४१ से ५० पद ५१ से ६० पद ६१ से ७० पद ७१ से ८० पद ८१ से ९० पद ९१ से १०० पद १०१ से ११० पद १११ से १२० पद १२१ से १३० पद १३१ से १४० पद १४१ से १५० पद १५१ से १६० पद १६१ से १७० पद १७१ से १८० पद १८१ से १९० पद १९१ से २०० पद २०१ से २१० पद २११ से २२० पद २२१ से २२९ हिन्दी पदावली - पद १५१ से १६० संत नामदेवजी मराठी संत होते हुए भी, उन्होंने हिन्दी भाषामें सरल अभंग रचना की । Tags : abhangbooknamdevअभंगनामदेवपुस्तक पद १५१ से १६० Translation - भाषांतर १५१पाड पडोसणि, पूछिले नामा, कापहि छानि छवाई हो ॥तोपहि दुगनी मजूरी देहउ मोकउ बेढी देहु बताई हो ॥री बाई वेढा देनु न जाई ॥देखु बेढी रहिउ समाई ॥हमारै बेढी प्रान अधारा ॥बेढी प्रीति मजूरी मांगे जउ कोऊ छानि छवावै हो ॥लोग कुटुंब समहु ते तेरै तउ आपन बेढी आवै हो ॥ऐसो बेढ बरनि न साकउ सभ अंतर सभ ठाईं हो ॥गूंगे महा अमृतरस चाखिआ पूछे कहनु न जाई हो ॥बेढा के गुन सुनि री बाई जलधि बांधि ध्रु थापिउ हो ॥नामेके सुआमी सीअ बहोरी लंक भभीखण आपिउ हो ॥१५२अणमडिआ मंदलु बाजै । बिनु सावन धनहरु गाजै ॥बादल बिनु बरखा होई । जउ ततु बिचारै कोई ॥मोकउ मिलिउ रामु सनेही । जिह मिलिऐ देह सुदेही ॥मिलि पारस कंचनु होइआ । मुख मनसा रतनु परोइआ ॥निज भाऊ भइया भ्रमु भागा । गुरु पूछे मनु पति आगा ॥जल भीतरि कुंभ समानिआ । सभ रामु एकु करि जानिआ ॥गुर चेले है मन मानिआ । जन नामै ततु पछानिआ ॥१५३पतितपावन माधऊ विरदु तेरा । धनि ते वै मुनिजन दिआइउ हरी प्रभु मेरा ॥मेरे माथै लागीले धूरी गोविंद चरणन की । सुर नर मुनि जन तिनहु ते दूरी ॥दीन का दइआलु माधो गरब परिहारी । चरण सरन नामा बलि तिहारी ॥१५४कुंभार के घर हांडी आछै राजा के घर सांडी गो ॥बामन के घर रांडी आछै रांडी सांडी हांडी गो ॥बाणी के घर हींगु आछै भेसर माथे सींगु गो ॥देवल मधे लींगु आछै लींगु, सींगु, हींगु गो ॥तेली के घर तेलु आछै जंगल मधें बेल गो ॥माली के घर केल आछै केल, बेल, तेल गो ॥संता मधे राम आछै गोकल मधे सिआम गो ॥नामे मधे गोबिंदु आछै राम, सिआम गोबिंब गो ॥१५५मै अंधुले की टेक तेरा नामु खुदंकारा । मै गरीब मै मसकीन तेरा नामु है अधारा ॥करीमा रहिमा अलाह तूं गनी । हाजार हजूरी दरि पेसि तूं मनी ॥दरिआऊ तूं निहंद तूं बिसिआर तूं धनी । देहि लेहि एक तूं दिगर को नही ॥तूं दाना तूं बीना मै बीचारु किया करी । नामेचे सुआमी बखसंद तूं हरी ॥१५६हले यारां हले यारां खुसि खबरी । बलि बलि जांऊ हऊं बलि बलि जाऊं ॥नीकी तेरी बिगारी आले तेरा नाऊ । कुजा आमद कुदा रफती कुजा मेरवी ॥द्वारिका नगरी रासि बुगोई । खूबु तेरी पगरी मीठे तेरे बोल ॥द्वारिका नगरी काहे को मगोल । चंदी हजार आलम एक लखाणा ॥हम चिनी पातिसाह सांवले बरना । असपति गजपति नरह नरिंद ॥नामे के स्वामी मीर मुकुंद ॥१५७बानारसी तपु करै उलटि तीरथ मरै । अगनि दहै काइआ कलपु कीजै ॥असुमेध जगु कीजै सोना गरभदानु दीजै । रामनाम सरि तऊ न पूजै ॥छोडि छोडि रे पाखंडा मन कपटु न कीजै । हरिका नामु नित नितहि लीजै ॥गंगा जऊ गोदावरि जाइये । कुंभि जऊ केदार नाईये, गोमति सहसगऊ दानु कीजै ॥कोटि जऊ तीरथ करै तनु जऊ हिवाले गारै । रामनाम सरि तऊ न पूजै ॥असुदान गजदान सिहजा नारी । भूमिदान ऐसो दान नित नितहि कीजै ॥आतम जऊ निरमाइलु कीजै । आप बराबरि कंचनु दीजै रामनाम सरि तऊ न पूजै ॥मनहि न कीजै रोसु जमहि न दीजै दोसु । निरमल निरबाणु पदु चीनि लीजै ॥जसरथ राइ नंदु राजा मेरा रामचंदु । प्रणवै नामा ततु रसु अंमृत पीजै ॥१५८मेरो बापु माधऊं तूं धनु केसो सावलीऊ विठुलाई ॥कर धरे चक्र वैकुंठ ते आए गज हसती के प्रान उधारीअले ॥दुहसासन की सभा द्रोपती अंबर लेत उबारिअले ॥गौतम नारि अहालिया तारी या जन केतक तारिअले ॥ऐसा अधमु अजाति नामदेऊ तऊ सरनागति आइअले ॥१५९बदहु कोन माधऊ मोसिऊ ।ठाकुर ते जनु जन ते ठाकुरु खेलु परिउ है तोसिऊ ॥आपन देऊ देहुरा आपन आप लगावै पूजा ।जल ते तरंग तरंग ते है जल कहन सुनन कऊ दूजा ॥आपहि गावै आपहि नाचै आप बचावै तूरा ॥कहत नामदेऊ तूं ठाकुर जनु ऊरा तू पूरा ॥१६०आदि जुगादि जुगो जुगु ताका अंत न जानिआ ।सरब निरंतरि रामु रहिआ रवि ऐसा रुपु बखानिआ ॥गोबिंदु गाजै सबदु बाजै आनदरुपी मेरो रामइआ ।बावन बीखू बाने बीखे बासु ते सुख लागिला ॥तुमचे पारसु हमचे लोहा संग कंचनु भैइला ।तू दइआलु रतनु लालु नामा साचि समाइला ॥ N/A References : N/A Last Updated : January 02, 2015 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP