हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|पुस्तक|हिन्दी पदावली| पद ६१ से ७० हिन्दी पदावली पद १ से १० पद ११ से २० पद २१ से ३० पद ३१ से ४० पद ४१ से ५० पद ५१ से ६० पद ६१ से ७० पद ७१ से ८० पद ८१ से ९० पद ९१ से १०० पद १०१ से ११० पद १११ से १२० पद १२१ से १३० पद १३१ से १४० पद १४१ से १५० पद १५१ से १६० पद १६१ से १७० पद १७१ से १८० पद १८१ से १९० पद १९१ से २०० पद २०१ से २१० पद २११ से २२० पद २२१ से २२९ हिन्दी पदावली - पद ६१ से ७० संत नामदेवजी मराठी संत होते हुए भी, उन्होंने हिन्दी भाषामें सरल अभंग रचना की । Tags : abhangbooknamdevअभंगनामदेवपुस्तक पद ६१ से ७० Translation - भाषांतर ६१अपने राम कूं भजलै आलसीया । रांम बिनां जम जाल सीया ॥टेक॥प्राणी असुमेध जग ने तुला पुरुषदांने, हरिं हरि प्राग सनाने ।तऊ न तुलै हरि कीरति नांमा ॥१॥प्रांणी गया पिंड भरता, बानारसियै बसता ।मुष बेद पुरान पढता, तऊ न तुलै हरि कीरति नामा ॥२॥प्राणी संकल धरम अछता, गुरु ग्यान इंद्री दिढता ।षट करम सहित रहिता, तऊ न तुलै हरि कीरति नामा ॥३॥प्रानी सकल सेवा श्रम बाद, छांडि छांडि बहु भेदं ।सुमिरि सुमिरि गोबिंद, नांमदेव नांइ तिरै भौसिंधु ॥४॥६२मनथिर होइ वारे न होइ । ऐसा चिहन करै संसार ।भीतरि मैला धूतिग फिरै । क्यूं उतरै भव पार ॥टेक॥रुद्राष सषा जप माला मंडै । ताकौ मरम न जानै कोई ।आप न देषै और दिषावै । कपट मुक्ति क्यों होई ॥१॥सींगी जटा बिभूति लगावै । संबर सिध कहावै रे ।नाथन बोलषै मरम न जाणै । भाव चंडाली लावै ॥२॥ब्रह्मा पढि गुणि बेद सुनावै । मन की भ्रांति न जावै ।करम करै सो सूझै नाहीं । बहुतक करम कराई ॥३॥मास दिवस लग रोजा साधै । कलमां बांग पुकारै ।मनमें कांती जीव संघारै । नांव अलह का सारै ॥४॥केवल ब्रह्म सत्ति करि जाण्यां । सहज सुनि मैं घ्याया रे ।प्रणवत नामदेव गुरु प्रसादैं । पाया तिनही लुकाया ॥५॥६३देवा बेनु बाजै गगन गाजै । सबद अनाहद बोलै ।अंतरिगति की जानै नाहीं । मूरिष भरमत डोलै ॥टेक॥चंद सूर दोउ समकरि राषूं । मन पवन दिठ डांडी ।सहजै सुषमन तारा-मंडल । इह विधि त्रिंस्नां षांडी ॥१॥बैठा रहूं न फिरुं न डोलूं । भूषा रहूं न षाऊं ।मरुं न जीऊं अहनिस भुगतूं । नहीं आऊं नहीं जाऊं ॥२॥गगन मंडल मैं रहनि हमारी । सहजि सुनि गृह मेला ।अंतरि धुनिमैं मन बिलमाऊं । कोई जोगी या गम लहैला ॥३॥पाती तोडि न पुजूं देवा । देवलि देव न होई ।नामा कहै मैं हरि की सरना । पुनरपि जन्म न होई ॥४॥६४देवा गगन गुडी बैठी मैं नाहीं तब दीठी ॥टेक॥जब लीग आस निरास बिचारै तब लगि ताहि न पावै ॥१॥कहिबौ सुनिबौ जबगत होइबौ तब ताहि परचौ आवे ॥२॥गाये गये गये ते गाये अगई कूं अब गाऊं ॥३॥प्रणवत नांमा भए निहकामा सहजि समाधि लगाऊं ॥४॥६५जोगी जन न्याइ जुगे जुगि जीवै ।आकास बांधि पाताल चलावै, आप भरे भरि पीवै ॥टेक॥अंमृत षात पिता परमोघ्यौ माइ मुंई करि सोग ।भाई बंध की आस न पूगी भाजि गए सब लोग ॥१॥बाहिली मूंदिलै माहिली चोघिलै पंच की आस मिटाइ रे ।भणत नांमदेव सेवि निरंजन सहज समाधि लगाइ रे ॥२॥६६देवा तेरा नीसान बाज्या हौ ।ताल पषावज जंत्र बेनां अवसर साज्या हौ ॥टेक॥लोहा तांबा बंदन कीन्हां पाय परी है बेरियां ।भौसागर की संक्या छूटी मुक्ति भई है चेरियां ॥१॥सिंघ भागा पूठि फेरि षांण लागी छेरिया ।बाहरि जाता भीतरि पेष्या नामै भगतिनि बेरिया ॥२॥६७संत प्रवेनी भगति आपिला । नहीं आपिला तौ प्राण त्यागिला ॥टेक॥हमची थाती तुम भईला । अम्हचा जीवला किमची लागिला ॥१॥च्यारि मुक्ति आठूं सिधि आपुइयां । भगति न आपौ दास नामईयां ॥२॥नामदेव बीठल सनमुष बोलीला । भगति आपिला मुकति त्यागिला ॥३॥राग सोरठि६८याही गोविंदा चरन मेरो जीवरौ बसै रे ।भगति न छांडौं हरिकीं लोग हंसैरे ॥टेक॥गोबिंदा कै नाइं लीयें भवजल तिरिए रे ।झूठी माया लागि लागि काहे कूं मरीए रे ॥१॥साइं कूं सांकडै दीये सेवग भाजै रे ।चिरकाल न कोई जीवै दोऊ पष लाजै रे ॥२॥आपनां धन कारणि प्राणी मरणौं मांडै रे ।भगति भगता जन काहे कूं छांडै रे ॥३॥गंगा गया गोदावरी संसारी जांमा रे ।सुपरसन नाराइन सेवग नांमा रे ॥४॥६९देवा नटणी कौ तनमन बांसां बरतां मांहि रे ।अनेक राजिंद्रा बैठे तिनही सूं चित नांहिरै ॥टेक॥सुमति सरीर संवारै नटनी निहारै ।राम नांम नीसान बाजै इहि तत पावै धारै ॥१॥एक मन एक चित षेलीलै षेलारे ।मरकट मूठी छांडिदै ज्यूं मुक्ति भैलारे ॥२॥धरनीधर सूं ध्यान लागौ आप अंतरजामीरे ।नांमदेव नटवा ह्रै नाच्या तौ रीझ्यौ स्वामी रे ॥३॥७०भाई रे भरम गया भौ भागा । तेरा जन जहां का तहां जाइ लागा ॥टेक॥बाजीगर डाक बजाई । सब दुनी तमासै आई ।बाजीगर षेल सकेला । तब आपै रहौ अकेला ॥१॥रामराई माया लाई । सब दुनिया सौदै आई ।सब दुनिया सौदा कीन्हां । काहू आतम राम न चीन्हां ॥२॥मृग षेत विझूका देषै । भैचकि भैचकि पेषै ।निकटि गया सुधि पाई । अडवाथैं कहा डराई ॥३॥यहु मृघन षेत विझूका । गई संक्या मन टूका ।नामदेव सतगुर समझावै । याही थैं कहा बतावे ॥४॥ N/A References : N/A Last Updated : January 02, 2015 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP