हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|पुस्तक|हिन्दी पदावली| पद ३१ से ४० हिन्दी पदावली पद १ से १० पद ११ से २० पद २१ से ३० पद ३१ से ४० पद ४१ से ५० पद ५१ से ६० पद ६१ से ७० पद ७१ से ८० पद ८१ से ९० पद ९१ से १०० पद १०१ से ११० पद १११ से १२० पद १२१ से १३० पद १३१ से १४० पद १४१ से १५० पद १५१ से १६० पद १६१ से १७० पद १७१ से १८० पद १८१ से १९० पद १९१ से २०० पद २०१ से २१० पद २११ से २२० पद २२१ से २२९ हिन्दी पदावली - पद ३१ से ४० संत नामदेवजी मराठी संत होते हुए भी, उन्होंने हिन्दी भाषामें सरल अभंग रचना की । Tags : abhangbooknamdevअभंगनामदेवपुस्तक पद ३१ से ४० Translation - भाषांतर ३१संत सूं लेना संत सूं देना । संत संगति मिलि दुस्तर तिरना ॥टेक॥संत की छाया संत की माया । संत संगति मिलि गोविंद पाया ॥१॥असंत संगति नामा कबहूं न जाई । संत संगति मैं रह्यौ समाई ॥२॥३२पर हरि धंधाकार सबैला । तेरी चिंता राम करैला ॥टेक॥नाराइन माता नाराइन पिता । बैस्नो जन परिवार सहेता ॥१॥केसौ कै बहु पूत भयेला । तामैं नांमदेव एक तू दैला ॥२॥३३माई तूं मेरै बाप तूं । कुटूंबी मेरा बीठला ॥टेक॥हरि हैं हमची नाव री । हरि उतारै पैली तिरि ॥१॥साध संगति मिलि षेई चार । केसौ नामदेव चा दातार ॥२॥३४माइ गोव्यंदा बाप गोव्यंदा । जाति पांति गुरुदेव गोव्यंदा ॥टेक॥गोव्यंद ग्यान गोव्यंद ध्यान । सदा आनंदी राजाराम ॥१॥गोव्यंद गावै गोव्यंद नाचै । गोव्यंद भेष सदा नृति काछै ॥२॥गोव्यंद पाती गोव्यंद पूजा । नामा भणै मेरे देव न दुजा ॥३॥३५हिरदै माला हिरदै गोपाला । हिरदै सिष्टि कौ दीन दयाला ॥टेक॥हिरदै मांही रंग हिरदै छीपा । हिरदै रैणी पांणी नीका ॥१॥हिरदै दीपक घटि उजियाला । षूटि किवार टूटि गयौ ताला ॥२॥हिरदै रंग रोम नहीं जाति । रंगि रे नामा हरि की भांति ॥३॥३६अब न बिसारुं राम संभारुं । जौ रे बिसारुं तौ सब हारुं ॥टेक॥तन मन हरि परि छिन छिन वारुं । घडी महूरति पल नहीं टारुं ॥१॥सुमिरन स्वासा भरि भरि पीऊं । रंक राम गुड खाइ रे जीऊं ॥२॥आरौ मांडि रम रटि लैहूं । जौ रे बिसारौं तौ रोइ दैहूं ॥३॥नामदेव कहै ओर आस न करिहूं । राम नाम धन लाग्यौ मरि हूं ॥४॥३७राम राइ उलगुं और न जाचूं । सरीर अनंत जाउ भलै जाउ ॥टेक॥जोग जुगुती कछु मुकति न भाषूं । हरि नांव हरि नांव हिरदै राषूं ॥१॥राम नांम नांमदेव अनहद आछै । भगति प्रेम रस गावै नाचै ॥२॥३८बीहौं बीहौं तेरी सबल माया । आगै इनि अनेक भरमाया ॥टेक॥माया अंतर ब्रह्म न दीसै । ब्रह्म के अंतर माया नहीं दीसै ॥१॥भणत नामदेव आप बिधांनां । दहू घोडांन चढाइ हौ कान्हा ॥२॥३९बाजी रची बाप बाजी रची । मैं बलि ताकी जिन सूं बची ॥टेक॥बाजी जामन बाजी मरना । बाजी लागि रह्यो रे मना ॥१॥बाजी मन मैं सोचि बिचारी । आपै सुरति आपै सुत्रधारी ॥२॥नामदेव कहै तेरी सरनां । मेटि हमारै जांमन मरना ॥३॥४०तूं न बिसारि तूं न बिसारि । मैं तूं विसार्यौ मोर अभाग ॥टेक॥अषिल भवनपति गरडा गामी । अंति काल हरि अंतर जामी ॥१॥जामन मरण बिसरजन पूजा । तुम सा देव और नहीं दूजा ॥२॥तूंज बिसभर मैं जन नामा । संत जनन के पुरवन कामा ॥३॥ N/A References : N/A Last Updated : January 02, 2015 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP