हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|पुस्तक|हिन्दी पदावली| पद १७१ से १८० हिन्दी पदावली पद १ से १० पद ११ से २० पद २१ से ३० पद ३१ से ४० पद ४१ से ५० पद ५१ से ६० पद ६१ से ७० पद ७१ से ८० पद ८१ से ९० पद ९१ से १०० पद १०१ से ११० पद १११ से १२० पद १२१ से १३० पद १३१ से १४० पद १४१ से १५० पद १५१ से १६० पद १६१ से १७० पद १७१ से १८० पद १८१ से १९० पद १९१ से २०० पद २०१ से २१० पद २११ से २२० पद २२१ से २२९ हिन्दी पदावली - पद १७१ से १८० संत नामदेवजी मराठी संत होते हुए भी, उन्होंने हिन्दी भाषामें सरल अभंग रचना की । Tags : abhangbooknamdevअभंगनामदेवपुस्तक पद १७१ से १८० Translation - भाषांतर १७१तू सुष सागर नागर दाता । तू मेरे प्रारभ पिता अरु माता ॥१॥और न जानूं देवी देवा । अपना राम की करि हूं सेवा ॥२॥नामदेव कहै मोहि तारि गोसाईं । व्याध बनचर भील की नांईं ॥३॥१७२इन औसर गोबिंद भजि रे ।यह परपंच सकल बिनसैगे माया का फंदन तजि रे ॥टेक॥नांव प्रताप तिरे जठ जल मैं मांगत नांव कीयों हठ रे ।बिन सेवा बिन दान पुनि बिन चाढि बिमांन सकल सझ रे ॥१॥तन सरवर एक हंस बसेत हैं ताहूं काल करत फंद रे ।नामदेव भनै निरंजन का गुन, राम सुमिरि पिंजरा सझिरे ॥२॥१७३माधो जी कहा करुं या मन कौ ।मन मैमत नहीं बस मेरौ बरजत हार्यौ दिन कौ ॥टेक॥स्वांति प्रमोधि लै घरि आंऊं धीर पकरि बैठाऊं ।पीछै हीतै मतौ उपावै बहुरि न इहि घरि आऊं ॥१।अम्रत झांडि बिषै क्यूं ध्यावै, करत आप मनि मायौं ।कहै सुनै की कछू न मानै अनेक बार समझइयो ॥२॥कब लग तंत रहूं या मनकै जतन कीया नहीं जाई ।या अरदास करै जन नामौं, सुनि लीज्यौं राम राई ॥३॥१७४रुंडा राम जीसूं रंग लगाया रे । सहजि रंग रंग आया रे ॥टेक॥ररै ममै की भांति लिषाई । हरि रंग में रैंणी रचि आई ॥१॥प्रेमप्रीति का बेगर दीया । हरि रंग मैं मेरा मन रंगि लीया ॥२॥नामदेव कहै मैं हरि गुण गांऊं । भौ जल मांहि बहौरि नहीं आऊं ॥३॥१७५रसना रंगी लै हरि नाम । लै हरि नाम सरै सब कांम ॥टेक॥रसना है तूं बकबादणीं । राम सुन रै क्यों पापणी ॥१॥रसना तौ पै मांगू दान । राम छांडि मति सुमरै आंन ॥२॥जप तप तीरथ कौणे काम । नामदेव कहै मोंहि तारैगो राम ॥३॥१७६हरि बिन कौन सहाइ करैगो ।जौ ऐसौ औसर बिसरैगो, तौ मरकट कौ औतार धरैगो ॥टेक॥करम डोरि बाजीगर कै बसि, नाचत घरि घरि बार फिरैगौ ।ले लुकटी तौहि त्रास दिषावै, जन जन कै तूं पाइ परैगौ ॥१॥जूं हमाल सिरि बोझ बहत है लालच कै सांगि लागि मरैगौ ।ज्यूं कुलाल चक्री कूं फेरै ऐसे तूं कई बार फिरैगौ ॥२॥भजि भगवंत मुक्ति कै दाता, रामा कहया कछु ना बिगररैगौ ।नांव प्रताप राषि उर अंतर, नामदेव सरणै उबरैगौ ॥३॥१७७जागौ न बैरागी जोगी । यही अनोपमि बाणी जी ।झिलिमिलि झिलिमिलि होइ निरंतर, सो गति बिरलौ जाणी जी ॥टेक॥राग बैराग म्हारै मंडल चूवै, कारण क्या भीजै जी ।निस अधियारा भौ भागा, सुनि मैं सूता जागूं जी ॥१॥नारि न सारि तांत्य नहीं तूंबा, पत्र पवन न पाणी जी ।एकै आसन दोइ जन बैठा, रावल नैरौ हिताणी जी ॥२॥मनकरि हीरा तन करि कंथा, जम मनी परि जागूं जी ।भणत नामदेव अनहद जाचूं, बैकूंथा भिष्या मांगू जी ॥३॥१७८सहज बोलणें बोल बोलीजै । पै अनुभौ बीना न नीपजै ॥टेक॥राजहंस चाली कोण सीकवीला । सांगई मोरुला कवणै नाचविला ॥१॥चंदन शीतल कोणै केला । पै लासी थाना डीट कोणै केला ॥२॥पहुप बास कोणै दीधली परिमला । सांगी माणिकास कोणे दीधली कीला ॥३॥सुरै अथी कोकीला पै सीत वीना नई वैर साला ॥४॥अमृतास कोणै दीघलै गोडी । जिहा नींबंडी बलतीस बोबडी ॥५॥नामदेव भणै संत संगती फडी । मैं कैसो चरणा निवडी ॥६॥१७९नको नको रे संसार महा जड । छांडी परपंच माहा कड ॥टेक॥भला भुया चौया भांडई । तामई पांचई सई भांडई ॥१॥पांच महद्भुत गुण त्रीवीधा । तार्मे भीन्न प्रकृती अषटधा ॥२॥नामदेव भणै वैणी माया । चौर्यासी लख भर माया ॥३॥१८०जपी राम नाम नृ लै उरी । जीणों चरण आहिल्या उधरी ॥टेक॥राजनाम मेरे हिरदै लखी । रामबिना सब फोकट देखी ॥१॥जे बोलीये तो कहिये राम । अनेक बचन सों नाहीं काम ॥२॥नामा भणैं मेरे यही नाउं । राम नाउं की मैं बलि जाउं ॥३॥ N/A References : N/A Last Updated : January 02, 2015 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP