हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|पुस्तक|हिन्दी पदावली| पद १११ से १२० हिन्दी पदावली पद १ से १० पद ११ से २० पद २१ से ३० पद ३१ से ४० पद ४१ से ५० पद ५१ से ६० पद ६१ से ७० पद ७१ से ८० पद ८१ से ९० पद ९१ से १०० पद १०१ से ११० पद १११ से १२० पद १२१ से १३० पद १३१ से १४० पद १४१ से १५० पद १५१ से १६० पद १६१ से १७० पद १७१ से १८० पद १८१ से १९० पद १९१ से २०० पद २०१ से २१० पद २११ से २२० पद २२१ से २२९ हिन्दी पदावली - पद १११ से १२० संत नामदेवजी मराठी संत होते हुए भी, उन्होंने हिन्दी भाषामें सरल अभंग रचना की । Tags : abhangbooknamdevअभंगनामदेवपुस्तक पद १११ से १२० Translation - भाषांतर १११जब तब रांमनांम निसतारै ।साठी घडी मैं ऐक घडी रे सोई सकल अघ जारै ॥टेक॥कासीपुरी मंझि गौरपति अहनिसि सदा पुकारै ।कीट पतंग सुनत गति पावै, गोविंद जस विसतारै ॥१॥अजामेल गनिका, सुष पंषी, रसना रांम उचारै ।गज पस व्याध तिरे हरि सुमिरत, महिमां व्यास विचारै ॥२॥परम पुनीत नांव निसि बासुर, निज जन हरि ब्रत धारै ।नामदेव कहै सोई दास कहावै, जीय तै छिन न बिसारै ॥३॥११२बापजी येतलौं अंतर कीधौं । जनम नाउं दरजीनौं दीधौं ॥टेक॥बाभण उचरै बेदनै वाणी । जेतलौ अंतरौ दूधनै पाणी ॥१॥जाग्रतनै आव्या व्यासनै भांटा । उठौं नांमदेव नांषिये छांटा ॥२॥हमारी भगति न जाणी हो रामा । हंसि करि कृष्ण बुलाये नांमा ॥३॥राग भैरुं११३नामदेव प्रीति नराइंण लागी । सहज सुभाइ भए बैरागी ॥टेक॥जैसी भूषै प्राति अनाज । तृषावंत जल सेती काज ।मूरिष नर जैसे कुटुंब पराइण । ऐसी नामदेव प्रीति नराइन ॥१॥जैसे पर पुरिषा रत नारी । लोभी नर धन कौ हितकारी ।कामी पुरिष काम रत नारी । ऐसी नामदेव प्रीति मुरारी ॥२॥ जैसी प्रीति बालक अरु माता । ऐसें यहु मन हरि सौं राता ।नामदेव कहै मेरी लागी प्रीति । गोबिंद बसै हमारे चीत ॥३॥११४नाइं तिरौं तेरे नाइं तिरौं नाइं तिरौं हो बाप रामदेवा ॥टेक॥नित अमावस नितै पुन्यू, नितै ही रवि चंदा ।गंगा जमुना संगम देखूं, आनंद लहरि तरंगा ॥१॥घट ही बेणी तीरथ आछै, मरम न जानै कोई ॥चित्त विहंगम चेति न देषै, काहू लिपत न होई ॥२॥ग्यांन सरोवर मंजन मंज्या, सहजै छूटिलै भरमा ।नामा संगै राम बोलै, रामनाम निहकरमा ॥३॥११५भगवंत भगता नहीं अंतरा । द्वै करि जानैं पसुवा नरा ॥टेक॥छाडि भगवंत वेद विधि करै । दाझै भूजै जामैं मरै ॥१॥कथनी वदनी सब कोइ कहै । करनी जन कोई विरला रहै ॥२॥कहत नामदेव ममता जाइ । तौ साध संगति मैं रहया समाइ ॥३॥११६रांम रांम रांम जपिबौ करै । हिरदै हरि जी कौ सुमिरन धरै ॥टेक॥संडामरका जाइ पुकारे । पढे नहीं हम सब पचि हारे ।हरि हरि कहै अरु ताल बजावै । चटरा सबै बिगारे ॥१॥सब वसुधा बसि कीन्हीं राजा । बीनती करै पटरानी ।पुत्र प्रहिलाद कह्यौ नहीं मानत । इहिं कछु औरै ठानी ॥२॥राजसभा मिलि मंत्र उपायो । बालिक बुधि घणेरी ।जलथल गिरि ज्वाला थैं राख्यो । राम राइ माया फेरी ॥३॥काढि षडग काल ह्रै कोप्यौ । मोहिं बताइ तोहिं को राषै ।षंभा मांहि प्रगट्यौ परमेश्वर । संकल बियापी सति भाषै ॥४॥हरिनाकुसकौ उदर विदारयौ । सुर नर कीये सनाथा ।भणत नामदेव तुम्ह सरणगति । राम अभै पद दाता ॥५॥११७जौ बोलै तौ रामहिं बोलि । नहीं तर बदन कपाट न षोलि ॥टेक॥जे बालिये तो कहिये रांम । आन बकन सौं नाहीं काम ॥१॥राम नाम मेरे हिरदै लेष । राम बिना सब फोकट देष ॥२॥नामदेव कहै मेरे एकै नाउं । रामनांम की मैं बलि जाउं ॥३॥११८जपिरांम नाम मंत्रावला । कलियुग मरणां उतावला ॥टेक॥दिवस गंवाया ग्रिह व्यौहार । राति जु आई अंधाकार ॥१॥दूरि पयानां अवघट घाट । क्यों निस्तरिबौ संग न साथ ॥२॥भणत नामदेव औघट तिरी । अरधै नांव उधारै हरी ॥३॥११९मैला मलिता सब संसार । हरि निरमल जाकौ अंत न पार ॥टेक॥मैला वीरज मैला षेत । मन मैला काया जस हेत ॥१॥मैला मोती मैला हीर । मैला पवन पावक अरु नीर ॥२॥मैला तीन लोक ब्रह्मांड इकवीस । मैला निसिबासुर दिनतीस ॥३॥मैला ब्रह्मा मैला इंद्र । सहसकला मैला रवि चंद ॥४॥सब जग मैला आनहिं भाई । जन निर्मल जब हरि गुन गाई ॥५॥मैला पुनि अरु मैला पाप । मैला आनदेव का जाप ॥६॥मैला तीरथ मैला दान । व्रत मैला पूजा सनांन ॥७॥मैला सुर मैली सुरसरी । नामदेव कौ ठाकुर निरमल हरी ॥८॥१२०जागि रे जीव कहा भुलाना । आगै पीछै जाना ही जाना ॥टेक॥दिवस चारि का गोवलि बासा । तामैं तोहिं क्यौं आवै हासा ॥१॥इहि भ्रमि लागि कहां तू सोवै । काहे कूं जनम बादि ही षोवै ॥२॥कहां तू सोवै बारंबारा । रामनाम जपि लेउ गंवारा ॥३॥भणत नांमदेव चेति अयांना । औघट घाट अरु दूरि पयांना ॥४॥ N/A References : N/A Last Updated : January 02, 2015 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP