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ನ್ಯಾಯವಾದ
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साफ
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തെളിഞ്ഞ
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सुद्ध
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ತಿಳಿಯಾಗುವುದು
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नितळ
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स्वच्छ
Meanings: 42; in Dictionaries: 11
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صاف
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स्पष्ट
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ತಿಳಿಯಾಗು
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बनशंकरी
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निसरबोडी
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द्विसाहस्त्रीसंहितामंत्र - ७
श्री. प. प.वासुदेवानन्दसरस्वतीकृत श्रीगुरुचरित्रकाव्य
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अनुज्ञा अलंकार - लक्षण १
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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भजन - ज्यों त्यों राम -नाम ही त...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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भजन - हमरे औषध नाँव धनीका । आध...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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हलंत
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वेदांत काव्यलहरी - दिसणें म्हणजे कळणें
सदर ग्रंथाची किंमत होती - जो जी देईल ती. सदर पुस्तकाबद्दल दैनिक सकाळ २६/०६/१९३८ चे अंकात अभिप्राय छापून आलेला आहे.
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भजन - दुनियाँ भरम भूल बोराई । ...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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विठ्ठल मंदिर - माझं इठ्ठल मंदीर अवघ्याच...
बहिणाबाईंची गाणी
बहिणाबाई अशिक्षीत असूनही त्यांच्या गाण्यांतून जीवनातील अनमोल तत्वज्ञान समजते
Bahinabai has specifically acknowledged Tukaram as her Guru and that he initiated her has been clearly expressed in all her Abhangas.
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भजन - लाभ कहा मानुष -तनु पाये ।...
तुलसीदास हिन्दीके महान कवी थे, जिन्होंने रामचरितमानस जैसी महान रचना की ।
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श्लोक स्वामीचे - सिनेच्या तटाकीं महा पुण्य...
रामदासांनी रचलेल्या दासबोध या ग्रंथाचे लेखनिक कल्याणस्वामी होते.
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भजन - माधव , मोह -पास क्यों छूट...
तुलसीदास हिन्दीके महान कवी थे, जिन्होंने रामचरितमानस जैसी महान रचना की ।
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हिन्दी पदे - श्रीराम
समर्थ रामदासांनी हिन्दी भाषेत रसाळ पदे लिहीली आहेत.
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विनय पत्रिका - विनयावली ४५
विनय पत्रिकामे, भगवान् श्रीराम के अनन्य भक्त तुलसीदास भगवान् की भक्तवत्सलता व दयालुता का दर्शन करा रहे हैं।
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पश्चात्तापपर पद
अण्णा जसे शास्त्रविद्येंत निपुण होते, तसेंच श्रौतस्मार्तज्ञकर्मविधींतही अपूर्व निष्णात होते.
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विनय पत्रिका - विनयावली १३०
विनय पत्रिकामे , भगवान् श्रीराम के अनन्य भक्त तुलसीदास भगवान् की भक्तवत्सलता व दयालुता का दर्शन करा रहे हैं।
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भाद्रपद व. प्रतिपदा
Bhadrapada vadya Pratipada
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विनय पत्रिका - विनयावली ५२
विनय पत्रिकामे, भगवान् श्रीराम के अनन्य भक्त तुलसीदास भगवान् की भक्तवत्सलता व दयालुता का दर्शन करा रहे हैं।
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विनय पत्रिका - विनयावली १३१
विनय पत्रिकामे , भगवान् श्रीराम के अनन्य भक्त तुलसीदास भगवान् की भक्तवत्सलता व दयालुता का दर्शन करा रहे हैं।
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समाधि अलंकार - लक्षण १
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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तुलसीदास कृत दोहावली - भाग ५
रामभक्त श्रीतुलसीदास सन्त कवि आणि समाज सुधारक होते. तुलसीदास भारतातील भक्ति काव्य परंपरेतील एक महानतम कवि होत.
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विनय पत्रिका - विनयावली ३६
विनय पत्रिकामे, भगवान् श्रीराम के अनन्य भक्त तुलसीदास भगवान् की भक्तवत्सलता व दयालुता का दर्शन करा रहे हैं।
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अयोध्या काण्ड - दोहा २४१ से २५०
गोस्वामी तुलसीदास जीने रामचरितमानस ग्रन्थकी रचना दो वर्ष , सात महीने , छ्ब्बीस दिनमें पूरी की। संवत् १६३३ के मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष में रामविवाहके दिन सातों काण्ड पूर्ण हो गये।
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नाममहिमा - अभंग १ ते १०
संत नामदेवांनी गंगा नदीचे माहात्म्य इतके छान वर्णन केले आहे की, जणू प्रत्यक्ष गंगास्नानाचा भास होतो.
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अथ चर्यापादः - पवित्रारोहण विधिपटलः
सुप्रभेदागमः म्हणजे शिल्पशास्त्र ह्या विषयावरील महत्वपूर्ण ग्रंथ.
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श्यामची आई - रात्र सदातिसावी
’श्यामची आई’ हे पुस्तक सुंदर, सुगंधी आणि सुरसच नसून, हृदयातील सारा जिव्हाळा यात साने गुरूजींनी ओतलेला आहे.
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कृष्णदासांची बाळक्रीडा - प्रसंग १
श्री कृष्णदासांनी लिहीलेली काव्ये महानुभावीय स्वरूपाची आहेत.
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चर्यापदः - पवित्रारोहण विधिपटलः
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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शिवभारत - अध्याय सातवा
श्रीछत्रपती शिवाजी महाराज यांच्या आज्ञेवरून लिहिलेलें कवीन्द्र परमानन्दकृत ' श्रीशिवभारत '
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संत श्रीरोहिदासांची पदे - ६ ते २१
संत रोहिदास (इ.स. १३७६ - इ.स. १५२७) हे मध्ययुगीन भारतातील हिंदू संत होते. यांच्या गुरूंचे नाव रामानंद स्वामी होते. कबीर यांचे समकालीन होत; तर मीराबाई यांच्या शिष्या होत्या.
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बालकाण्ड - दोहा २४१ से २५०
गोस्वामी तुलसीदासने रामचरितमानस ग्रन्थकी रचना दो वर्ष , सात महीने , छ्ब्बीस दिनमें पूरी की। संवत् १६३३ के मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष में रामविवाहके दिन सातों काण्ड पूर्ण हो गये।
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तुका विप्रकृत कांहीं कविता
संकीर्ण वाड्मय साहित्य.
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चिद्बोधरामायण - तृतीय सर्ग
बालकांड निरंजन माधवांच्या कवितेतील काव्यस्फूर्ति उच्च दर्जाची असून, भाषेत रसाळपणा व प्रसाद सोज्वळता आहे.
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हिन्दी पदावली - पद १६१ से १७०
संत नामदेवजी मराठी संत होते हुए भी, उन्होंने हिन्दी भाषामें सरल अभंग रचना की ।
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दूध
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बालकाण्ड - दोहा ११ से २०
गोस्वामी तुलसीदासने रामचरितमानस ग्रन्थकी रचना दो वर्ष , सात महीने , छ्ब्बीस दिनमें पूरी की । संवत् १६३३ के मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष में रामविवाहके दिन सातों काण्ड पूर्ण हो गये।
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गोपीचंदाख्यान
कीर्तनकारांना नित्य उपयोगी अशी आख्याने. विष्णुदासांनी याला ’कीर्तन-मुक्ताहार’ असे नाव दिले होते.
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विनय पत्रिका - विनयावली १३३
विनय पत्रिकामे , भगवान् श्रीराम के अनन्य भक्त तुलसीदास भगवान् की भक्तवत्सलता व दयालुता का दर्शन करा रहे हैं।
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स्त्रीधन - देवादिकांचीं गाणीं
लोकगीतातील स्त्रीधन म्हणजे मराठीतील एक अमूल्य ठेवा आहे, तो आपण पुढील पिढीसाठी जतन करून ठेवला पाहिजे.
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