-
वीरसेन
Meanings: 26; in Dictionaries: 7
Type: WORD | Rank: 0.4555486 | Lang: NA
-
वीरसेनः
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.1337809 | Lang: NA
-
বীরসেন
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.0749191 | Lang: NA
-
ବୀରସେନ
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.0749191 | Lang: NA
-
ਵੀਰਸੇਨ
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.0749191 | Lang: NA
-
વીરસેન
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.0749191 | Lang: NA
-
ویرسین
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.03398579 | Lang: NA
-
வீரசேன்
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.02735142 | Lang: NA
-
വീരസേനൻ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.02735142 | Lang: NA
-
ویٖرسین
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.02735142 | Lang: NA
-
وِیر سین
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.02735142 | Lang: NA
-
वीरसेनज
Meanings: 3; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.001196161 | Lang: NA
-
मधुप
Meanings: 8; in Dictionaries: 4
Type: WORD | Rank: 0.0009569285 | Lang: NA
-
वीरिणी
Meanings: 8; in Dictionaries: 3
Type: WORD | Rank: 0.0007176964 | Lang: NA
-
भद्रक
Meanings: 44; in Dictionaries: 9
Type: WORD | Rank: 0.000507488 | Lang: NA
-
खंड ४ - अध्याय २७
मुद्गल पुराणात श्री गणेशाच्या आठ अवतारांचे वर्णन आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.0004784643 | Lang: NA
-
अध्याय ३४ - होमादिविधिः
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.000475884 | Lang: NA
-
कोटिरुद्रसंहिता - अध्यायः ३०
शिव पुराणात भगवान शिवांच्या विविध रूपांचे, अवतारांचे, ज्योतिर्लिंगांचे, शिव भक्तांचे आणि भक्तिचे विस्तृत वर्णन केलेले आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.00039657 | Lang: NA
-
कोटिरुद्रसंहिता - विषयानुक्रमणिका
शिव पुराणात भगवान शिवांच्या विविध रूपांचे, अवतारांचे, ज्योतिर्लिंगांचे, शिव भक्तांचे आणि भक्तिचे विस्तृत वर्णन केलेले आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.0003588482 | Lang: NA
-
अध्याय ७४ वा - श्लोक ६ ते ९
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
Type: PAGE | Rank: 0.0003588482 | Lang: NA
-
स्कंध १० वा - अध्याय ७४ वा
सर्वमतखंडन आणि ब्रह्मविद्यारहस्य
Type: PAGE | Rank: 0.0003588482 | Lang: NA
-
nalopakhyan - chapater i
Nalopkhayan is the story of Nal and Damayanti from Mahabharat.
Type: PAGE | Rank: 0.0002990402 | Lang: NA
-
नलोपाख्यानम् - द्वादशोsध्याय:
` नलोपाख्यन ` ही नल आणि दमयंती यांची महाभारतातील एक सुरेख प्रेमकथा आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.0002392321 | Lang: NA
-
nalopakhyan - chapter xvii
Nalopkhayan is the story of Nal and Damayanti from Mahabharat.
Type: PAGE | Rank: 0.0002392321 | Lang: NA
-
क्रिया कैरव चन्द्रिका - षष्ठः परिच्छेदः
श्री वराहगुरुणाविरचितायां क्रियाकैरवचन्द्रिकाः
Type: PAGE | Rank: 0.0002392321 | Lang: NA
-
पांडवप्रताप - अध्याय २५ वा
पांडवप्रताप ग्रंथवाचन म्हणजे चंचल मनाला भक्तियोगाकडे वळविण्याचा प्रवास.
Type: PAGE | Rank: 0.000234036 | Lang: NA
-
कथाकल्पतरू - स्तबक १ - अध्याय ८
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.0002114533 | Lang: NA
-
नल
Meanings: 74; in Dictionaries: 10
Type: WORD | Rank: 0.0002093281 | Lang: NA
-
मूळस्तंभ - अध्याय १७
‘ मूळस्तंभ ’ पोथी म्हणजे शिव- पार्वती संवादरूपातील शिवपुराणावरील शोधनिबंध आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.0002093281 | Lang: NA
-
श्री गणेश प्रताप - अध्याय ७
सर्व कीर्तीने युक्त, सर्व देवाधिदेवांमध्ये श्रेष्ठ अशा अत्यंत प्रिय असलेल्या श्रीगजाननाच्या स्तुतीपर हा ग्रंथ आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.0001794241 | Lang: NA
-
रेवा खण्डम् - अध्याय ५६
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.0001794241 | Lang: NA
-
अंक पहिला - प्रवेश चवथा
डॉ . पद्माकर विष्णु वर्तक यांनी प्रस्तुत संगीत नाटकात नल दमयंतीची उत्कट प्रेमकथा अतिशय छान फुलवली आहे
Type: PAGE | Rank: 0.0001691627 | Lang: NA
-
हर्षचरितम् - षष्ठ उच्छ्वासः
हर्षचरित संस्कृत में बाणबट्ट द्वारा रचित एक ग्रन्थ है। इसमें भारतीय सम्राट हर्ष का जीवनचरित वर्णित है।
Type: PAGE | Rank: 0.000158628 | Lang: NA
-
श्री गणेश प्रताप - क्रीडाखंड अध्याय २५
सर्व कीर्तीने युक्त, सर्व देवाधिदेवांमध्ये श्रेष्ठ अशा अत्यंत प्रिय असलेल्या श्रीगजाननाच्या स्तुतीपर हा ग्रंथ आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.0001495201 | Lang: NA
-
पांडवप्रताप - अध्याय ४६ वा
पांडवप्रताप ग्रंथवाचन म्हणजे चंचल मनाला भक्तियोगाकडे वळविण्याचा प्रवास.
Type: PAGE | Rank: 0.0001046641 | Lang: NA
-
मन्त्रमहोदधि - एकोनविंश तरङ्ग
`मन्त्रमहोदधि' इस ग्रंथमें अनेक मंत्रोंका समावेश है, जो आद्य माना जाता है।
Type: PAGE | Rank: 8.971206E-05 | Lang: NA