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अनभ्यासे विषं शास्त्रमजीर्णे भोजनं विषं
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venom
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अगदः
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कुषुम्भः
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पुष्पशकली
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गरुडोपनिषत्
जन्ममरणाचे निवारण करून ब्रह्मपदाला पोचविणारी विद्या म्हणजे उपनिषद्.
Upanishad are highly philosophical and metaphysical part of Vedas.
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॥ अथ विषम् ॥
’ योगरत्नाकर ’ हा आयुर्वेदावरील मूळ प्राचीन ग्रंथ आहे.
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गरुडोपनिषत्
आपल्या प्राचीन वाङ्मयामध्ये उपनिषदांना फार महत्त्वाचे, म्हणजे प्रस्थानत्रयी मधील एक, असे स्थान आहे. Upanishad are highly philosophical and metaphysical part of Vedas. Being the conclusive part of Vedas, Upanishad can be called the whole substance of Vedic wisdom.
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अध्याय २९७ - विषहृन्मन्त्रौषधम्
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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अनभ्यास
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॥ अथ ताम्रम् ॥
’ योगरत्नाकर ’ हा आयुर्वेदावरील मूळ प्राचीन ग्रंथ आहे.
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चतुर्दश रत्नें
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वत्सनाभः
Meanings: 4; in Dictionaries: 1
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bowl
Meanings: 9; in Dictionaries: 5
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विष्णुस्मृतिः - अध्यायः १३
स्मृतिग्रंथ म्हणजे धर्मशास्त्रावरील एक आवश्यक वचनांचा भाग.
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bane
Meanings: 6; in Dictionaries: 3
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॥ अथ भूनागसत्वमयूरपक्षसत्वगुणा: ॥
’ योगरत्नाकर ’ हा आयुर्वेदावरील मूळ प्राचीन ग्रंथ आहे.
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राजनिघण्टु - कार्थादिवर्ग ९
नरहरि पन्डित रचित राजनिघण्टु ग्रंथ म्हणजे आयुर्वेदातील एक मैलाचा दगड.
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प्राणान्तक
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नष्टविष
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वृश्चिकः
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
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तृतीयस्थानम् - षट्पञ्चाशत्तमोऽध्यायः
हारीत संहिता, एक चिकित्साप्रधान आयुर्वेदिक ग्रन्थ आहे. ह्या ग्रंथाचे रचनाकार महर्षि हारीत होत, जे आत्रेय पुनर्वसु ऋषींचे शिष्य होते.
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रससंकेतकलिका - अध्यायः ३
रससंकेतकलिका ग्रंथात रसासंबंधी उपयुक्त माहिती देण्यात आलेली आहे.
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः १६६
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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empoison
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घ्रेय
Meanings: 3; in Dictionaries: 2
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चांगले वस्त्रानें जातो, त्यास मान मिळतो
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poison
Meanings: 23; in Dictionaries: 10
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तृतीयकाण्डः - ६ ते १०
पैप्पलादसंहिता
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सप्तमकाण्डः - ६ ते १०
पैप्पलादसंहिता
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विषवैद्यं - पशुक्कल्क्कु विषप्पेट्टाल्
आयुर्वेदातील विषासंबंधी एक महान ग्रंथ
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निर्वाणप्रकरणं - सर्गः ११
योगवाशिष्ठ महारामायण संस्कृत साहित्यामध्ये अद्वैत वेदान्त विषयावरील एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ आहे. ह्याचे रचयिता आहेत - वशिष्ठ
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filament
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blight
Meanings: 8; in Dictionaries: 6
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मण्डल १० - सूक्तं १३६
ऋग्वेद फार प्राचीन वेद आहे. यात १० मंडल आणि १०५५२ मंत्र आहेत. ऋग्वेद म्हणजे ऋषींनी देवतांची केलेली प्रार्थना आणि स्तुति.
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उपनयन मंगलाष्टके
सर्व सोळा संस्कारात उपनयनसंस्कार सर्वात श्रेष्ठ होय. हा संस्कार केल्याने बटूला वेदाध्ययनाचा अधिकार प्राप्त होतो.
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॥ अथ हृल्लासलक्षणम् ॥
’ योगरत्नाकर ’ हा आयुर्वेदावरील मूळ प्राचीन ग्रंथ आहे.
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अगरी
Meanings: 14; in Dictionaries: 8
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नितम्बिन्
Meanings: 9; in Dictionaries: 2
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विषवैद्यं - दर्व्वीकरविषत्तिन्
आयुर्वेदातील विषासंबंधी एक महान ग्रंथ
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व्यवहाराध्यायः - दिव्यप्रकरणम्
स्मृतिग्रंथ म्हणजे धर्मशास्त्रावरील एक आवश्यक वचनांचा भाग.
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विषवैद्यं - चिकित्साक्रमं
आयुर्वेदातील विषासंबंधी एक महान ग्रंथ
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अध्याय २९८ - गोनसादिचिकित्सा
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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रसरत्नाकर - प्रकरण १.१०
रसायनशास्त्रावरील प्रसिद्ध ग्रंथांपैकी एक आहे रसरत्नाकर. याचे रचनाकार नित्यनाथसिद्ध नागार्जुन होत. या ग्रंथात मुख्यत: धातुंचे शोधन, मारण, शुद्ध पारद प्राप्ति शिवाय भस्म बनविण्याच्या विधींचे वर्णन आहे.
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विषवैद्यं - लक्षणं
आयुर्वेदातील विषासंबंधी एक महान ग्रंथ
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रसमञ्जरी - अध्याय ४
शालिनाथ कृत ‘रसमञ्जरी ’ ग्रंथात रसविद्या संबंधित वेगवेगळ्या क्रिया सविस्तर वर्णिल्या आहेत .
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व्यवहारपदानि - दिव्यानि
स्मृतिग्रंथ म्हणजे धर्मशास्त्रावरील एक आवश्यक वचनांचा भाग.
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पञ्चमकाण्डः - ६ ते १०
पैप्पलादसंहिता
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चतुर्थ काण्डः - १६ ते २०
पैप्पलादसंहिता
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रसविद्या - भाग १४
रसविद्या, मध्यकालीन भारतातील जी आयुर्वेदीक विद्या आहे, त्यातील एक अग्रणी ग्रंथ म्हणजे आनंदकंद.
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