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गदाधारी
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கதாதாரி
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ഗദാധാരി
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গদাধর
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ਗਦਾਧਾਰੀ
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ગદાધર
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ଗଦାଧାରୀ
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செயலாக்கமிருக்கும்
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గధాధరులైన
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গদাধারী
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গদাধাৰী
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ਮੁਗਧਰਧਾਰੀ
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ગદાધારી
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ഗദാധാരിയായ
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गदाधारिन्
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गदा लाग्रा
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ۂٕتِھیار تھاؤن وول
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مگدربردار
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ಗದಾಧಾರಿ
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गजाधर
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गदाधर
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कार्तिक शुक्लपक्ष व्रत - शुक्लैकादशी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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श्रीअङ्गारकाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. स्तोत्रे स्तुतीपर असल्याने, त्यांना कोणतेही वैदिक नियम नाहीत. स्तोत्रांचे पठण केल्याने इच्छित फल प्राप्त होते. In Hinduism, a Stotra is a hymn of praise, that praise aspects of Devi and Devtas. Stotras are invariably uttered aloud and consist of chanting verses conveying the glory and attributes of God.
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श्रीनरसिंहपुराण - अध्याय ५५
अन्य पुराणोंकी तरह श्रीनरसिंहपुराण भी भगवान् श्रीवेदव्यासरचित ही माना जाता है ।
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जटासुर
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अध्याय ६ वा - श्लोक २१ ते २५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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रामकृष्ण
भक्तो और महात्माओंके चरित्र मनन करनेसे हृदयमे पवित्र भावोंकी स्फूर्ति होती है ।
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बृहज्जातक - लग्न किंवा राशि कोष्टक
सृष्टीचमत्काराची कारणे समजून घेण्याची जिज्ञासा तृप्त करण्यासाठी प्राचीन भारतातील बुद्धिमान ऋषीमुनी, महर्षींनी नानाविध शास्त्रे जगाला उपलब्ध करून दिली आहेत, त्यापैकीच एक ज्योतिषशास्त्र होय.
The horoscope is a stylized map of the planets including sun and moon over a specific location at a particular moment in time, in the sky.
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स्कंध ३ रा - अध्याय २८ वा
सर्वमतखंडन आणि ब्रह्मविद्यारहस्य
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द्वारकाखण्डः - अध्यायः ७
गर्ग संहिता ही गर्ग मुनिंची रचना आहे. ह्या संहितेत श्रीकृष्ण आणि राधाच्या माधुर्य-भाव असलेल्या लीलांचे वर्णन आहे.
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श्रीनरसिंहपुराण - अध्याय ६२
अन्य पुराणोंकी तरह श्रीनरसिंहपुराण भी भगवान् श्रीवेदव्यासरचित ही माना जाता है ।
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श्रीनरसिंहपुराण - अध्याय ६५
अन्य पुराणोंकी तरह श्रीनरसिंहपुराण भी भगवान् श्रीवेदव्यासरचित ही माना जाता है ।
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अश्वमेधखण्डः - अध्यायः २४
गर्ग संहिता ही गर्ग मुनिंची रचना आहे. ह्या संहितेत श्रीकृष्ण आणि राधाच्या माधुर्य-भाव असलेल्या लीलांचे वर्णन आहे.
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श्रीवामनपुराण - अध्याय ३
श्रीवामनपुराणकी कथायें नारदजीने व्यासको, व्यासने अपने शिष्य लोमहर्षण सूतको और सूतजीने नैमिषारण्यमें शौनक आदि मुनियोंको सुनायी थी ।
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श्रीवामनपुराण - अध्याय ७३
श्रीवामनपुराणकी कथायें नारदजीने व्यासको, व्यासने अपने शिष्य लोमहर्षण सूतको और सूतजीने नैमिषारण्यमें शौनक आदि मुनियोंको सुनायी थी ।
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करुणासागर - पदे १२५१ ते १३००
नारायण महाराजांचा ( जालवणकर ) जन्म शके १७२९ ( इ.स. १८०७ ) प्रभव संवत्सर, आषाढ वद्य ५, गुरूवार रोजी झाला.
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः २५
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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सुदाम्याचे पोहे - भाग ७१ ते ७६
प्रस्तुत प्रकार हा चित्रकथा आहे , हे वाचल्यावर प्रत्यक्ष त्या काळाचा भास होतो
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मयूरध्वज
भक्तो और महात्माओंके चरित्र मनन करनेसे हृदयमे पवित्र भावोंकी स्फूर्ति होती है ।
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कृष्णपक्ष की एकादशी
श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी कहते है ।
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शिवभारत - अध्याय तेरावा
श्रीछत्रपती शिवाजी महाराज यांच्या आज्ञेवरून लिहिलेलें कवीन्द्र परमानन्दकृत ' श्रीशिवभारत '
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श्रीवामनपुराण - अध्याय ७६
श्रीवामनपुराणकी कथायें नारदजीने व्यासको, व्यासने अपने शिष्य लोमहर्षण सूतको और सूतजीने नैमिषारण्यमें शौनक आदि मुनियोंको सुनायी थी ।
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श्रीविष्णुपुराण - तृतीय अंश - अध्याय ७
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है, वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
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श्रीनरसिंहपुराण - अध्याय १०
अन्य पुराणोंकी तरह श्रीनरसिंहपुराण भी भगवान् श्रीवेदव्यासरचित ही माना जाता है ।
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खण्डः २ - अध्यायः १६७
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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तिष्यसन्तानः - अध्यायः ७०
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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इन्द्रद्युम्न
भक्तो और महात्माओंके चरित्र मनन करनेसे हृदयमे पवित्र भावोंकी स्फूर्ति होती है ।
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करवीर माहात्म्य - खंड ५
करवीरे माहात्म्य पोथीचे पठन केल्याने साक्षात महालक्ष्मीची कृपा होते.
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श्रीवामनपुराण - अध्याय ६०
श्रीवामनपुराणकी कथायें नारदजीने व्यासको, व्यासने अपने शिष्य लोमहर्षण सूतको और सूतजीने नैमिषारण्यमें शौनक आदि मुनियोंको सुनायी थी ।
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श्रीवामनपुराण - अध्याय ९३
श्रीवामनपुराणकी कथायें नारदजीने व्यासको, व्यासने अपने शिष्य लोमहर्षण सूतको और सूतजीने नैमिषारण्यमें शौनक आदि मुनियोंको सुनायी थी ।
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