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सण
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ऋण काढून सण करणें
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भावई, सण दिवई
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आवडीचा पाहुणा, दिवाळीचा सण
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घोर नाचाची गाणी - दिवाळीचा सण
वारली गीते आजी आजोबांकडून मुलांना नातवंडांना आणि अशा प्रकारे पिढी दरपिढी चालत आलेली असतात.
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हावरा सण कधीं, सगळयासार्या गावाच्या आधीं
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हावर्या सण कधीं, सगळयासार्या गावाच्या आधीं
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कर्ज काढून करणें सण, हे दुःखाचें कारण
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कसायाच्या घरी सण आणि शेळ्या मेंढ्यांचे मरण
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भजन - दसरा दिवाळी तोची आम्हा सण...
भजन - A bhajan or kirtan is a Hindu devotional song , often of ancient origin. Great importance is attributed to the singing of bhajans with Bhakti , i.e. loving devotion. "Rasanam Lakshanam Bhajanam" means the act by which we feel more closer to our inner self or God, is a bhajan. Acts which are done for the God is called bhajan.
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संत जनाबाई - सण दिवाळीचा आला । नामा रा...
जनाबाई, दासीपणाची कामे करीत असताना तिच्या मनाने, अभंगांतून आध्यात्मिक प्रगती आणि पारमार्थिक उन्नती केली.
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राम गणेश गडकरी - नवरात्राची रात्र संपली सण...
राम गणेश गडकरींनी मराठी साहित्यात मोलाची भर घातली.
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लावणी - सण शिमग्याचा आला । उठा आ...
शाहीर प्रभाकर महाराष्ट्रातील कवी मंडळातील शाहीर कवी म्हणून ओळखले जातात.
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नागपंचमी - आला पंचमीचा सण आला पंचमी...
श्रावण महिन्यांत दरवर्षी येणारी नागपंचमी म्हणजे सर्वसामान्य स्त्री जीवनांतील एक मोठी विसावा आहे
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जय मृत्युंजय - विजयाचा सण आला ! मे...
गोपाळ गोडसे कवींनी मोठ्या बेहोष जिव्हाळ्याने आणि उन्मादक रसिकतेने `जय मृत्युंजय’ या कवितासंग्रहात स्वातंत्र्यवीर सावरकरांचे वर्णन केले आहे.
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आषाढी आणि सण हाकारी
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स्त्रीजीवन - व्रत व सण
मुलाला पाळण्यात हलवताना, जात्यावर दळण दळताना, झोपाळ्यावर झोके घेताना स्त्रियांना ओव्या, गाणी आपोआप स्फुरतात, त्यातीलच काही ओव्यांचा हा संग्रह.
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सुगडाचा सण येतो पण म्हतारडीचा सण येत नाहीं
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आण मण, करूं दे सण
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भाद्रपद शुक्लपक्ष व्रत - अनन्तव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष व्रत - कृच्छ्रचतुर्थी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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कार्तिक शुक्लपक्ष व्रत - तुलसीवास
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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कार्तिक शुक्लपक्ष व्रत - अन्नकूट
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष व्रत - शुक्लैकादशी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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कार्तिक कृष्णपक्ष व्रत - रुपचतुर्दशी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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भाद्रपद कृष्णपक्ष व्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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फाल्गुन शुक्लपक्ष व्रत - मधुकतृतीया
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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संक्रान्तिव्रत - धनसंक्रान्तिव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष व्रत - मित्रसप्तमी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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पौष शुक्लपक्ष व्रत - सुजन्मद्वादशी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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आश्विनके व्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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फाल्गुन शुक्लपक्ष व्रत - लक्ष्मी सीताष्टमी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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कार्तिक शुक्लपक्ष व्रत - यमद्वितीया
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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फाल्गुन शुक्लपक्ष व्रत - कामदा सप्तमी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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भाद्रपद शुक्लपक्ष व्रत - श्रीराधाष्टमी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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कार्तिक कृष्णपक्ष व्रत - हनुमज्जन्म
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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माघ शुक्लपक्ष व्रत - भीष्माष्टमी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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कार्तिक कृष्णपक्ष व्रत - दीपदान
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष व्रत - जनार्दनपूजा
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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आश्विन शुक्लपक्ष व्रत - महाष्टमी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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फाल्गुन कृष्णपक्ष व्रत - जानकीव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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भाद्रपद कृष्णपक्ष व्रत - विशालाक्षीयात्रा
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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कार्तिक कृष्णपक्ष व्रत - नरकचतुर्दशी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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आश्विन शुक्लपक्ष व्रत - शान्तिपञ्चमी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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माघ शुक्लपक्ष व्रत - दारिद्रयहरषष्ठी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष व्रत - पिशाचमोचनयात्रा
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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कार्तिक कृष्णपक्ष व्रत - लक्ष्मीपूजन
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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कार्तिक कृष्णपक्ष व्रत - करकचतुर्थी
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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भाद्रपद शुक्लपक्ष व्रत - कदलीव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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कार्तिक शुक्लपक्ष व्रत - राज्यप्राप्तिव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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