भाद्रपद शुक्लपक्ष व्रत - कदलीव्रत

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


कदलीव्रत

( भविष्योत्तरपुराण ) -

भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशीको कदली ( केला ) के पेड़के समीप बैठकर अनेक प्रकारके फल, पुष्प और धूप - दीपादिसे उसका पूजन करे । सप्तधान्य, रक्तचन्दन, घृत - दीपक, दही, दूब, अक्षत, वस्त्र, घृतपाचित नैवेद्य, जायफल, पूगफल और प्रदक्षिणासे अर्चन सम्पन्नकर

' चिन्तयेत् कदलीं नित्यं कदलैः कामदीपितैः । शरीरारोग्यलावण्यं देहि देवि नमोऽस्तु ते ॥'

से प्रार्थना करे । इस प्रकार तीन या चार मास करे तो उस कुलमें स्त्री कुलटा नहीं हों । सब पुत्र - पौत्रादिसंयुक्त सौभाग्यशालिनी सदाचारिणी हों !

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Last Updated : January 21, 2009

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