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मीमांसक
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মীমাংসক
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மாற்று இயல் தேர்வு ஆராய்ச்சியாளர்
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మీమాంస
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ମୀମାଂସକ
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ਮੀਮਾਂਸਕ
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മീമാംസാകാരൻ
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मीमांसकः
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મીમાંસક
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ಮೀಮಾಂಸಕ
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समिक्षक
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सौंदर्य मीमांसक
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सौन्दर्य मीमांसक
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arbiter
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arbitrator
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ഹരണം
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मीमांसाकार
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श्रीगुन्न
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चेरक
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বিশ্লেষক
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metaphysical poetry
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विश्लेषक
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३८
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संकेत कोश - संख्या ३८
हिंदू धर्मात असे अनेक संकेत आहेत ,जे आपल्या जीवनात मोलाचे कार्य बजावतात .
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एकनाथी भागवत - श्लोक १३ वा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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कालीतंत्र - काली के रूप
तंत्रशास्त्रातील अतिउच्च तंत्र म्हणून काली तंत्राला अतिशय महत्व आहे.
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व्याडि दाक्षायण
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मीमांसा
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स्फुट पदें - पदे ५१ ते ६०
मध्वमुनीश्वरांची कविता
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अध्याय १३ वा - श्लोक ६ ते ८
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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मुक्तेश्वरांची कविता
' अभंग ' म्हणजे संतकवींनी समाजजागृतीसाठी केलेल्या रसाळ रचना.
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एकनाथी भागवत - श्लोक १४ वा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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धर्मसिंधु - समावर्तनसंस्कार (सोडमुंज)
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे. This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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बृहत्संहिता - अध्याय १
शके ८८८ फाल्गुन कृष्ण द्वितीया गुरुवारी उत्पलनामकाने ही टीका केली.
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वेदस्तुति - श्लोक ३५
' हरिवरदा ’ ग्रंथातील वेदस्तुती भागाची ही रसाळ प्राकृत भाषेत स्वामी श्रीकृष्णदयार्णव स्वामींनी लिहीलेली टीका आहे.
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खंड ९ - अध्याय १४
मुद्गल पुराणात श्री गणेशाच्या आठ अवतारांचे वर्णन आहे.
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अध्याय २५ वा - श्लोक १ ते ५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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अध्याय चवथा - श्लोक ११ ते २०
कपिल ऋषी प्राचीन भारतातील एक प्रभावशाली मुनि होऊन गेले. यांना सांख्यशास्त्र विषयातील आध्य प्रवर्तक मानतात.
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अध्याय पाचवा - श्लोक १५१ ते १९५
श्रीधरस्वामी रचित ’ श्रीरामविजय ’ ग्रंथाचे पारायण केल्याने जीवनातील वनवास संपून सुख प्राप्त होते.
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वेदस्तुति - श्लोक २५
' हरिवरदा ’ ग्रंथातील वेदस्तुती भागाची ही रसाळ प्राकृत भाषेत स्वामी श्रीकृष्णदयार्णव स्वामींनी लिहीलेली टीका आहे.
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श्री शंकराचार्य वंदना - अध्याय तिसरा
निर्मला गणेश जोशी विरचित श्रीमद् जगद्गुरु श्रीमद् आद्यशंकराचार्य यांचे पोथी चरित्र
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वेदस्तुति - श्लोक २०
' हरिवरदा ’ ग्रंथातील वेदस्तुती भागाची ही रसाळ प्राकृत भाषेत स्वामी श्रीकृष्णदयार्णव स्वामींनी लिहीलेली टीका आहे.
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अध्याय २४ वा - श्लोक ३१ ते ३५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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अध्याय ६६ वा - श्लोक ४१ ते ४३
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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श्री शंकराचार्य वंदना - अध्याय अठरावा
निर्मला गणेश जोशी विरचित श्रीमद् जगद्गुरु श्रीमद् आद्यशंकराचार्य यांचे पोथी चरित्र.
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श्री शंकराचार्य वंदना - अध्याय बाविसावा
निर्मला गणेश जोशी विरचित श्रीमद् जगद्गुरु श्रीमद् आद्यशंकराचार्य यांचे पोथी चरित्र.
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अध्याय तेवीसावा - श्लोक १ ते ५०
श्रीधरस्वामी रचित ’ श्रीरामविजय ’ ग्रंथाचे पारायण केल्याने जीवनातील वनवास संपून सुख प्राप्त होते .
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स्कंध ११ वा - अध्याय १० वा
सर्वमतखंडन आणि ब्रह्मविद्यारहस्य
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वेदस्तुति - श्लोक ३६
' हरिवरदा ’ ग्रंथातील वेदस्तुती भागाची ही रसाळ प्राकृत भाषेत स्वामी श्रीकृष्णदयार्णव स्वामींनी लिहीलेली टीका आहे.
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समाधि योग - अभंग २८२१ ते २८४०
श्रीसंतएकनाथ महाराजांची गाथा म्हणजे श्रीराम व श्रीकृष्णाच्या अवताराचे मनोवेधक वर्णन.
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