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प्रतिसंस्मृ
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प्रत्यनुस्मृ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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समनुस्मृ
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उपस्मृ
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प्रस्मृ
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प्रतिस्मृ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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उस्मारणें
Meanings: 4; in Dictionaries: 2
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पौर्विक
Meanings: 6; in Dictionaries: 3
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bethink ones self
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नित्यशस्
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mindful
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स्तन्यम्
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उस्मरणें
Meanings: 9; in Dictionaries: 2
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विस्मृ
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संस्मृ
Meanings: 4; in Dictionaries: 2
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शिवानन्दलहरी - श्लोक ९१ ते ९५
शिवानंदलहरी में भक्ति -तत्व की विवेचना , भक्त के लक्षण , उसकी अभिलाषायें और भक्तिमार्ग की कठिनाईयोंका अनुपम वर्णन है । `शिवानंदलहरी ' श्रीआदिशंकराचार्य की रचना है ।
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पांडुरंगस्तोत्रम् - द्वितीयम्
महाराष्ट्रकविवर्य श्रीमयूरविरचिते ग्रन्थ ‘ संस्कृतकाव्यानि ’
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forget
Meanings: 7; in Dictionaries: 4
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ज्वर रचित कृष्णस्तोत्र - ज्वर उवाच । नमामि त्वाऽनन...
भगवान श्रीकृष्ण विष्णुचा आठवा अवतार आहे. श्रीकृष्णाचा अवतार पूर्ण अवतार समजतात. Lord Krishna is the eighth and the most popular incarnation of Lord Vishnu.
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गीतगोविन्दम् - द्वितीयः सर्गः - गीतम् ५
गीतगोविन्दम्
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ज्वरकृतकृष्णस्तोत्रम् - विद्राविते भूतगणे ज्वरस्त...
भगवान श्रीकृष्ण विष्णुचा आठवा अवतार आहे. श्रीकृष्णाचा अवतार पूर्ण अवतार समजतात. Lord Krishna is the eighth and the most popular incarnation of Lord Vishnu.
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स्मृति
’कुसुमाग्रज’ या टोपणनावाने श्री. विष्णू वामन शिरवाडकर (१९१२-१९९९) यांनी मराठीत लेखन केले.
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श्रीभुवनेश्वरी पञ्चकं - प्रातः स्मरामि भुवना-सुवि...
सती पार्वतीची दहा रूपे - काली, तारा, छिन्नमस्ता, भुवनेश्वरी, बगलामुखी, धूमावती, त्रिपुर सुंदरी, मातंगी, षोड़शी आणि भैरवी.
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प्रथम: पाद: - सूत्र २१
ब्रह्मसूत्र वरील हा टीकाग्रंथ आहे. ब्रह्मसूत्र ग्रंथात एकंदर चार अध्याय आहेत.
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recollect
Meanings: 9; in Dictionaries: 4
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गीतगोविन्दम् - सप्तमः सर्गः - गीतं १३
गीतगोविन्दम्
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invoke
Meanings: 10; in Dictionaries: 6
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recall
Meanings: 24; in Dictionaries: 9
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recognize
Meanings: 8; in Dictionaries: 4
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remember
Meanings: 13; in Dictionaries: 4
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स्मरणम्
Meanings: 17; in Dictionaries: 2
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गर्भोपनिषद्
आपल्या प्राचीन वाङ्मयामध्ये उपनिषदांना फार महत्त्वाचे, म्हणजे प्रस्थानत्रयी मधील एक, असे स्थान आहे. Upanishad are highly philosophical and metaphysical part of Vedas. Being the conclusive part of Vedas, Upanishad can be called the whole substance of Vedic wisdom.
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गर्भोपनिषत्
जन्ममरणाचे निवारण करून ब्रह्मपदाला पोचविणारी विद्या म्हणजे उपनिषद्.
Upanishad are highly philosophical and metaphysical part of Vedas.
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स्मृ
Meanings: 30; in Dictionaries: 4
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ब्रह्मपुराणम् - अध्यायः २०४
ब्रह्मपुराणास आदिपुराण म्हणतात. यात सृष्टीची उत्पती, पृथुचे पावन चरित्र, सूर्य आणि चन्द्रवंशाचे वर्णन, श्रीकृष्ण-चरित्र, कल्पान्तजीवी मार्कण्डेय मुनि चरित्र, तीर्थांचे माहात्म्य अशा अनेक भक्तिपुरक आख्यानांची सुन्दर चर्चा केलेली आहे.
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स्वर्गखण्डः - अध्यायः १३
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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अर्थशास्त्रम् अध्याय ०५ - भाग ५
अर्थशास्त्र या ग्रंथात राज्यव्यवस्था, कृषि, न्याय आणि राजनीति वगैरे विभिन्न विषयांवर विचार केला गेला आहे.
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प्रियेचें ध्यान
केशवसुतांच्या काव्यांवर क्रांतिकारक विचारांचा, स्वातंत्र्यवादाचा, मानवधर्माचा आणि आत्मनिष्ठेचा प्रभाव आहे.
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धर्मपदम् - नागवर्गः त्रयोविंशः
धर्मपदम्
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स्मरणालंकार: - लक्षण ६
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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सौन्दर्यलहरी - श्लोक ११ ते २०
आदि शंकराचार्यांनी भगवान् शंकर आणि भगवती यांच्या आज्ञेनुसार वेदांतील शताक्षरी महाविद्येचे विवरण १०० श्लोकांत केले आहे.
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गङ्गास्तवः
भारतात नद्यांना वैदिक काळापासून जीवनदायिनी मानले आहे, आणि त्यांना देवी देवतांच्या रूपात मानून त्यांची पूजा केली जाते.
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एकादशस्कन्धपरिछेदः - त्रिनवतितमदशकम्
श्रीनारायणके दूसरे रूप भगवान् श्रीकृष्णकी इस ग्रंथमे स्तुति की गयी है ।
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निरुक्तोपनिषत्
आपल्या प्राचीन वाङ्मयामध्ये उपनिषदांना फार महत्त्वाचे, म्हणजे प्रस्थानत्रयी मधील एक, असे स्थान आहे. Upanishad are highly philosophical and metaphysical part of Vedas. Being the conclusive part of Vedas, Upanishad can be called the whole substance of Vedic wisdom.
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स्वर्गखण्डः - अध्यायः ४१
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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पूर्वार्धम् - अध्यायः १५
वायुपुराणात खगोल, भूगोल, सृष्टिक्रम, युग, तीर्थ, पितर, श्राद्ध, राजवंश, ऋषिवंश, वेद शाखा, संगीत शास्त्र, शिवभक्ति, इत्यादिचे सविस्तर निरूपण आहे.
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खण्डः ३ - अध्यायः २१५
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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इतस्
Meanings: 17; in Dictionaries: 3
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प्रस्तुत
Meanings: 44; in Dictionaries: 8
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अध्याय ४७ वा - श्लोक ४१ ते ४५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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