-
سُباہو
Meanings: 4; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.1795815 | Lang: NA
-
সুবাহু
Meanings: 6; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.1665996 | Lang: NA
-
सुबाहुः
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.1485793 | Lang: NA
-
ਸੁਬਾਹੂ
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.1310611 | Lang: NA
-
सुबाहु
Meanings: 66; in Dictionaries: 6
Type: WORD | Rank: 0.1260764 | Lang: NA
-
سُباہُو
Meanings: 3; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.1048141 | Lang: NA
-
சுபாஹூ
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.09768209 | Lang: NA
-
સુબાહુ
Meanings: 8; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.09519975 | Lang: NA
-
ସୁବାହୁ
Meanings: 8; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.08425512 | Lang: NA
-
سوباہو
Meanings: 4; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.07267834 | Lang: NA
-
സുബാഹു
Meanings: 4; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.07267834 | Lang: NA
-
सुबाहू
Meanings: 8; in Dictionaries: 3
Type: WORD | Rank: 0.05454448 | Lang: NA
-
ਸੁਬਾਹੁ
Meanings: 6; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.03633917 | Lang: NA
-
சுவாஹூ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.03523022 | Lang: NA
-
ସୁବାହୁ ଅପ୍ସରା
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.03523022 | Lang: NA
-
سُباہُہ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.03082644 | Lang: NA
-
شُرسین
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.002448266 | Lang: NA
-
पातालखण्डः - अध्यायः २५
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
Type: PAGE | Rank: 0.000608697 | Lang: NA
-
मण्डल २ - सूक्तं ३२
ऋग्वेद फार प्राचीन वेद आहे. यात १० मंडल आणि १०५५२ मंत्र आहेत. ऋग्वेद म्हणजे ऋषींनी देवतांची केलेली प्रार्थना आणि स्तुति.
Type: PAGE | Rank: 0.000585719 | Lang: NA
-
भूमिखंडः - अध्यायः ९५
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
Type: PAGE | Rank: 0.000496999 | Lang: NA
-
कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ३९४
लक्ष्मीनारायणसंहिता
Type: PAGE | Rank: 0.0003550732 | Lang: NA
-
भविष्यपर्व - एकोनपञ्चाशत्तमोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.0003514313 | Lang: NA
-
मार्कण्डेयपुराणम् - चतुश्चत्वारिंशोऽध्यायः
मार्कण्डेय पुराणात नऊ हजार श्लोकांचा संग्रह आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.0003514313 | Lang: NA
-
भूमिखंडः - अध्यायः ९८
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
Type: PAGE | Rank: 0.0003313326 | Lang: NA
-
अवन्तीस्थचतुरशीतिलिङ्गमाहात्म्यम् - अध्याय ६६
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.0002928595 | Lang: NA
-
मार्कण्डेयपुराणम् - सप्तत्रिंशोऽध्यायः
मार्कण्डेय पुराणात नऊ हजार श्लोकांचा संग्रह आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.0002928595 | Lang: NA
-
पातालखण्डः - अध्यायः ६७
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
Type: PAGE | Rank: 0.0002342876 | Lang: NA
-
विंशतिकाण्ड: - ११ ते १५
पैप्पलादसंहिता
Type: PAGE | Rank: 0.0002342876 | Lang: NA
-
तिष्यसन्तानः - अध्यायः ७७
लक्ष्मीनारायणसंहिता
Type: PAGE | Rank: 0.0002342876 | Lang: NA
-
अवन्तीस्थचतुरशीतिलिङ्गमाहात्म्यम् - अध्याय ६९
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.0002342876 | Lang: NA
-
पातालखण्डः - अध्यायः ६५
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
Type: PAGE | Rank: 0.0002342876 | Lang: NA
-
मार्कण्डेयपुराणम् - त्रिचत्वारिंशोऽध्यायः
मार्कण्डेय पुराणात नऊ हजार श्लोकांचा संग्रह आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.0002342876 | Lang: NA
-
पातालखण्डः - अध्यायः ३५
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
Type: PAGE | Rank: 0.0002342876 | Lang: NA
-
कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ३९५
लक्ष्मीनारायणसंहिता
Type: PAGE | Rank: 0.0002050016 | Lang: NA
-
अश्वमेधखण्डः - अध्यायः ६०
गर्ग संहिता ही गर्ग मुनिंची रचना आहे. ह्या संहितेत श्रीकृष्ण आणि राधाच्या माधुर्य-भाव असलेल्या लीलांचे वर्णन आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.0001757157 | Lang: NA
-
कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ३९७
लक्ष्मीनारायणसंहिता
Type: PAGE | Rank: 0.0001757157 | Lang: NA
-
द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः ५१
लक्ष्मीनारायणसंहिता
Type: PAGE | Rank: 0.0001757157 | Lang: NA
-
उत्तरार्धम् - अध्यायः २६
वायुपुराणात खगोल, भूगोल, सृष्टिक्रम, युग, तीर्थ, पितर, श्राद्ध, राजवंश, ऋषिवंश, वेद शाखा, संगीत शास्त्र, शिवभक्ति, इत्यादिचे सविस्तर निरूपण आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.0001464297 | Lang: NA
-
मध्यम भागः - अध्यायः ६३
ब्रह्माण्डाच्या उत्पत्तीचे रहस्य या पुराणात वर्णिलेले आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.0001464297 | Lang: NA
-
पाद २ - खण्ड ८३
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.000144958 | Lang: NA
-
अथर्ववेदः - काण्डं ७
अथर्ववेदात देवतांची स्तुति तसेच जादू, चमत्कार, चिकित्सा, विज्ञान आणि दर्शनाचे मन्त्र सुद्धा आहेत.
Type: PAGE | Rank: 8.785784E-05 | Lang: NA