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दक्षिणायन
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দক্ষিণায়ন
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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दक्षिणायण
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جنوب انقلاب شمسی
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ਦਖਣਾਇਣ
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दक्षिणायनम्
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ଦକ୍ଷିଣାୟନ
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દક્ષિણાયન
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
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தெற்கு நோக்கி நகர்கிற
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దక్షిణాయానం
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দক্ষিণায়ণরত
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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ദക്ഷിണായനത്തിലെ
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ದಕ್ಷಿಣಾಯಿನ
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ਦੱਖਣੀ
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southward solar journey
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অয়ন
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याम्यायन
Meanings: 4; in Dictionaries: 3
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উত্তরায়ন
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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अयन
ज्योतिष हा विषय वेदांइतकाच प्राचीन आहे.
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मानसागरी - अध्याय १ - अयनानयनविधि
सृष्टीचमत्काराची कारणे समजून घेण्याची जिज्ञासा तृप्त करण्यासाठी प्राचीन भारतातील बुद्धिमान ऋषीमुनी, महर्षींनी नानाविध शास्त्रे जगाला उपलब्ध करून दिली आहेत, त्यापैकीच एक ज्योतिषशास्त्र होय.
The horoscope is a stylized map of the planets including sun and moon over a specific location at a particular moment in time, in the sky.
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वैधृत
Meanings: 6; in Dictionaries: 3
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आयन
Meanings: 10; in Dictionaries: 6
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बृहत्संहिता - अध्याय १००
शके ८८८ फाल्गुन कृष्ण द्वितीया गुरुवारी उत्पलनामकाने ही टीका केली.
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अयन
Meanings: 59; in Dictionaries: 9
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धर्मसिंधु - समावर्तनाचा काल
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे. This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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उत्तरायण
Meanings: 19; in Dictionaries: 8
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धर्मसिंधु - कालभेद
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे. This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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दिनमान व रात्रिमान
ज्योतिष हा विषय वेदांइतकाच प्राचीन आहे .
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प्रथम परिच्छेद - मेषादिसंक्रांतींची दानें
निर्णयसिंधु ग्रंथामध्ये कोणत्या कर्माचा कोणता काल, याचा मुख्यत्वेकरून निर्णय केलेला आहे.
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गर्भाधानाच्या मुहूर्ताचा निर्णय
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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धर्मसिंधु - आषाढमासातली कृत्ये
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे. This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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तुतीय परिच्छेद - तिलतर्पणाचा निषेध
निर्णयसिंधु ग्रंथामध्ये कोणत्या कर्माचा कोणता काल , याचा मुख्यत्वेकरून निर्णय केलेला आहे .
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प्रथम परिच्छेद - काळाचे भेद
निर्णयसिंधु ग्रंथामध्ये कोणत्या कर्माचा कोणता काल, याचा मुख्यत्वेकरून निर्णय केलेला आहे.
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स्कंध ५ वा - अध्याय २१ वा
सर्वमतखंडन आणि ब्रह्मविद्यारहस्य
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विविधविषयपर पदे - षड्रिपु
श्री समर्थांनी दासबोध ग्रंथासोबतच गाथा आणि भारुडे रचून इतिहास घडविला आहे
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संक्रान्तिव्रत - संक्रान्ति बहुसम्मत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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एकनाथी भागवत - श्लोक ११ वा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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प्रतिष्ठा संबंधित चिंतन
सर्व पूजा कशा कराव्यात यासंबंधी माहिती आणि तंत्र.
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खंड ९ - अध्याय १२
मुद्गल पुराणात श्री गणेशाच्या आठ अवतारांचे वर्णन आहे.
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मानसारम् - गृहप्रवेशविधानम्
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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वृषाकपि
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गीताई अध्याय आठवा
गीताई अध्याय आठवा
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पुरुषोत्तमसंहिता - दशमोध्यायः
पुरुषोत्तम
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प्रथम परिच्छेद - विष्णुपदादिकांचें स्वरुप
निर्णयसिंधु ग्रंथामध्ये कोणत्या कर्माचा कोणता काल , याचा मुख्यत्वेकरून निर्णय केलेला आहे .
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सिद्धारुढस्वामी - प्रकरण १०
प्रस्तुत ग्रंथ श्री कबीरदासस्वामी यांनी रचिला आहे . श्री सिद्धारूढस्वामी हे खरे सद्गुरू आहेत .
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श्रीविष्णुपुराण - प्रथम अंश - अध्याय ३
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है,वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
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अध्याय ३ रा - श्लोक १ ते ३
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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श्रीनरसिंहपुराण - अध्याय २
अन्य पुराणोंकी तरह श्रीनरसिंहपुराण भी भगवान् श्रीवेदव्यासरचित ही माना जाता है ।
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हरिगीता - अध्याय ८
गीता म्हणजे प्राचीन ऋषी मुनींनी रचलेली विश्व कल्याणकारी मार्गदर्शक तत्त्वे. Gita has the essence of Hinduism, Hindu philosophy and a guide..
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कथाकल्पतरू - स्तबक १० - अध्याय ८
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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