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evanesence
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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non appearance
Meanings: 4; in Dictionaries: 3
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non attendance
Meanings: 4; in Dictionaries: 3
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disappearance
Meanings: 3; in Dictionaries: 2
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invisibility
Meanings: 3; in Dictionaries: 3
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inexperience
Meanings: 4; in Dictionaries: 3
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default
Meanings: 19; in Dictionaries: 9
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disappear
Meanings: 7; in Dictionaries: 4
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non-
Meanings: 10; in Dictionaries: 6
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अदर्शनम्
Meanings: 8; in Dictionaries: 2
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disregard
Meanings: 15; in Dictionaries: 6
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धर्मपदम् - प्रियवर्गः षोडशः
धर्मपदम्
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miss
Meanings: 20; in Dictionaries: 4
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खण्डः २ - अध्यायः ०४०
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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धर्मपदम् - पुष्पवर्गश्चतुर्त्थः
धर्मपदम्
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः २१३
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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want
Meanings: 27; in Dictionaries: 8
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लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग १
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
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अर्थशास्त्रम् अध्याय ०८ - भाग ३
अर्थशास्त्र या ग्रंथात राज्यव्यवस्था, कृषि, न्याय आणि राजनीति वगैरे विभिन्न विषयांवर विचार केला गेला आहे.
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neglect
Meanings: 42; in Dictionaries: 8
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लोप
Meanings: 36; in Dictionaries: 9
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खण्डः १ - अध्यायः ०५५
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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उत्तरकांडम् - काव्य ७५१ ते ८००
उत्तरकाण्डम् या प्रकरणातील श्लोकातील सातवे अक्षर श्री रा म ज य रा म ज य ज य रा म असे आहे.
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सृष्टिखण्डः - अध्यायः ४
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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वररुचिमुक्तिर्नाम द्वितीयो गुच्छः
क्षेमेन्द्र संस्कृत भाषेतील प्रतिभासंपन्न ब्राह्मणकुलोत्पन्न काश्मीरी महाकवि होते.
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श्रीमच्छङ्करदिग्विजय: - दशम: सर्ग:
श्रीविद्यारण्यविरचित: श्रीमच्छडरदिग्विजय: ॥
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विश्वामित्रसंहिता - पञ्चविंशोऽध्याय:
विश्वामित्रसंहिता
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वामनपुराण - अध्याय ८६ वा
भगवान विष्णु ह्यांचा वामन अवतार हा पाचवा तसेच त्रेता युगातील पहिला अवतार होय.
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श्रीवामनपुराण - अध्याय ८५
श्रीवामनपुराणकी कथायें नारदजीने व्यासको, व्यासने अपने शिष्य लोमहर्षण सूतको और सूतजीने नैमिषारण्यमें शौनक आदि मुनियोंको सुनायी थी ।
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विष्णुपर्व - एकोनविंशत्यधिकशततमोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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सृष्टिखण्डः - अध्यायः १४
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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प्रति
Meanings: 377; in Dictionaries: 8
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः १५४
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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