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oppositely
Meanings: 3; in Dictionaries: 2
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afore
Meanings: 3; in Dictionaries: 2
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धनुर्वेदसंहिता - अथ दृढचतुष्कम्
धनुर्वेदसंहिता
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affront
Meanings: 8; in Dictionaries: 4
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against
Meanings: 10; in Dictionaries: 3
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presence
Meanings: 12; in Dictionaries: 7
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धनुर्वेदसंहिता - अथौषधिः
धनुर्वेदसंहिता
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face
Meanings: 58; in Dictionaries: 19
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before
Meanings: 8; in Dictionaries: 4
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forward
Meanings: 42; in Dictionaries: 13
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स्वच्छन्दभैरवतन्त्र - चतुर्दशः पटलः
स्वच्छन्दभैरवतन्त्र हे एक असे तंत्र आहे, ज्यापासून प्रत्यक्ष भैरव मदतीला उभे राहतात.
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बलभद्रखण्डः - अध्यायः २
गर्ग संहिता ही गर्ग मुनिंची रचना आहे. ह्या संहितेत श्रीकृष्ण आणि राधाच्या माधुर्य-भाव असलेल्या लीलांचे वर्णन आहे.
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अध्याय १३३ - नानाबलानि
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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जानकीहरणम् - सप्तदशः सर्गः
'जानकीहरणम्' ह्या महाकाव्याच्या रचयिताचे नाव 'कुमारदास' होते,
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भूमिखंडः - अध्यायः ११५
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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विवेकचूडामणीः - श्लोक संग्रह ४५१-५००
Vivekachudamani is a Adhyatmik grantha. It is Adhyatmik dialogue between an ardent seeker and his Guru,Shankaracharya.
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अध्याय ७६ - अग्निस्थापनादिप्रतिष्ठाकथनम्
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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गृहदोषनिरूपणं नामाष्टचत्वारिंशोऽध्यायः - ५१ ते १००
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
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अध्याय ७५ - अग्निस्थापनादिप्रतिष्ठाकथनम्
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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over
Meanings: 29; in Dictionaries: 7
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रुचकादिचतुष्षष्टिप्रासादकः षट्पञ्चाशोऽध्यायः - २५१ ते ३१२
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
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गृहदोषनिरूपणं नामाष्टचत्वारिंशोऽध्यायः - १ ते ५०
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
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शिशुपालवधम् - प्रकरण १८
संस्कृत महाकवी माघ रचित शिशुपालवधम् काव्य वाचल्याने साक्षात् महाभारतातील प्रसंग डोळ्यासमोर उभा राहतो.
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विष्णुसंहिता - विंशः पटलः
विष्णुसंहितामध्ये प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, तर्क, समाधि आणि ध्यान हे क्रमवार आहेत.
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भूमिखंडः - अध्यायः ५०
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ५१९
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ३९३
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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श्रीविष्णुपुराण - तृतीय अंश - अध्याय १८
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
The Vishnu Purana is a religious Hindu text and one of eighteen Puranas.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ५१७
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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पातालखण्डः - अध्यायः ९४
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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विवाहप्रकरणम् - श्लोक १८२ ते २१७
अनुष्ठानप्रकाश , गौडियश्राद्धप्रकाश , जलाशयोत्सर्गप्रकाश , नित्यकर्मप्रयोगमाला , व्रतोद्यानप्रकाश , संस्कारप्रकाश हे सुद्धां ग्रंथ मुहूर्तासाठी अभासता येतात .
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अध्याय ९७ - शिवप्रतिष्ठाकथनम्
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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साहित्य दर्पण - तृतीयः परिच्छेदः
साहित्य दर्पण संस्कृत भाषा में साहित्य-विषयक महान ग्रन्थ है। इसके रचयिता विश्वनाथ हैं। साहित्य दर्पण के रचयिता का समय 14वीं शताब्दी ठहराया जाता है।
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परमेश्वरसंहिता - षोडशोऽध्यायः
परमेश्वरसंहिता
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सृष्टिखण्डः - अध्यायः ३४
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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