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মহাকবি
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महाकविः
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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महाकवी
Meanings: 3; in Dictionaries: 2
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ਮਹਾਕਵੀ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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ମହାକବି
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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മഹാകവി
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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महाकवि
Meanings: 7; in Dictionaries: 4
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મહાકવિ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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ಮಹಾಕವಿ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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মহাকবি কালীদাস
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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निचुल
Meanings: 18; in Dictionaries: 4
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मंत्ररामायणम् - कथाप्रस्तावः
महाराष्ट्रकविवर्य श्रीमयूरविरचिते ग्रन्थ ‘ संस्कृतकाव्यानि ’
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काव्यमीमांसा - पञ्चमो ऽध्यायः
संस्कृत कवि राजशेखरद्वारा द्वारा रचित काव्यमीमांसा अलंकार शास्त्र पर लिखा गया एक विशालकाय ग्रंथ था, जिसमें मूलत: 18 अधिकरण थे। राजशेखर महाराष्ट्र देशवासी थे और यायावर वंश में उत्पन्न हुए थे।
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अध्याय ३३७ - काव्यादिलक्षणं
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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पञ्चाशीतितमः पटलः - श्री परनाथकवचस्य विनियोगः
परनाथकवचम्
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श्रीचन्द्रमौलीश्वर - मुद्रा स्वस्ति श्रीमदखिलभ...
देवी आदिशक्ती माया आहे. तिची अनेक रूपे आहेत. जसे ती जगत्कल्याण्कारी तसेच दुष्टांचा संहार.करणारीही आहे. The concept of Supreme mother Goddess is very old in India. The divine mother has been worshipped as 'Shakti' since vedic times.
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पञ्चशीतितमः पटलः - हाकिनीसहस्त्रनामविन्यासः ५
हाकिन्याःअष्टोत्तरसहस्त्रनामस्तोत्रम्
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काव्यमीमांसा - एकादशो ऽध्यायः
संस्कृत कवि राजशेखरद्वारा द्वारा रचित काव्यमीमांसा अलंकार शास्त्र पर लिखा गया एक विशालकाय ग्रंथ था, जिसमें मूलत: 18 अधिकरण थे। राजशेखर महाराष्ट्र देशवासी थे और यायावर वंश में उत्पन्न हुए थे।
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श्रीशक्तिसङ्ग्मतन्त्रम् - एकविंशतिः पटलः ।
तंत्र शास्त्र भारताची एक प्राचीन विद्या आहे. तंत्र ग्रंथ भगवान शिवाच्या मुखातून प्रकट झाले आहेत. त्यांना पवित्र आणि प्रामाणिक मानले आहेत. Tantra shastra is a secret and most powerful science of the Indian culture and religion. It is a most powerful science which Indian Rushis have practised for centuries and still it is in practise.
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काव्यमीमांसा - अष्टादशो ऽध्यायः
संस्कृत कवि राजशेखरद्वारा द्वारा रचित काव्यमीमांसा अलंकार शास्त्र पर लिखा गया एक विशालकाय ग्रंथ था, जिसमें मूलत: 18 अधिकरण थे। राजशेखर महाराष्ट्र देशवासी थे और यायावर वंश में उत्पन्न हुए थे।
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विष्णुपर्व - एकविंशत्यधिकशततमोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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पूर्वखण्डः - अध्याय ३९
सृष्टीचमत्काराची कारणे समजून घेण्याची जिज्ञासा तृप्त करण्यासाठी प्राचीन भारतातील बुद्धिमान ऋषीमुनी, महर्षींनी नानाविध शास्त्रे जगाला उपलब्ध करून दिली आहेत, त्यापैकीच एक ज्योतिषशास्त्र होय.
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