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پِریٖدَرشَن
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प्रियदर्शनः
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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প্রিয়দর্শন
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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ପ୍ରିୟଦର୍ଶନ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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પ્રિયદર્શન
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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प्रियदर्शन
Meanings: 22; in Dictionaries: 7
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कात्यायनस्मृतिः - राजगुणाः
स्मृतिग्रंथ म्हणजे धर्मशास्त्रावरील एक आवश्यक वचनांचा भाग.
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खण्डः २ - अध्यायः ००३
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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amiable
Meanings: 7; in Dictionaries: 4
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जलौका
Meanings: 8; in Dictionaries: 7
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मानसागरी - अध्याय २ - गुरुभावफलम्
सृष्टीचमत्काराची कारणे समजून घेण्याची जिज्ञासा तृप्त करण्यासाठी प्राचीन भारतातील बुद्धिमान ऋषीमुनी, महर्षींनी नानाविध शास्त्रे जगाला उपलब्ध करून दिली आहेत, त्यापैकीच एक ज्योतिषशास्त्र होय.
The horoscope is a stylized map of the planets including sun and moon over a specific location at a particular moment in time, in the sky.
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डित्थ
Meanings: 7; in Dictionaries: 3
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प्रथम खण्डः - चतुर्दशोऽध्यायः
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे.
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मानसागरी - अध्याय २ - शुक्रभावफलम्
सृष्टीचमत्काराची कारणे समजून घेण्याची जिज्ञासा तृप्त करण्यासाठी प्राचीन भारतातील बुद्धिमान ऋषीमुनी, महर्षींनी नानाविध शास्त्रे जगाला उपलब्ध करून दिली आहेत, त्यापैकीच एक ज्योतिषशास्त्र होय.
The horoscope is a stylized map of the planets including sun and moon over a specific location at a particular moment in time, in the sky.
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खण्डः २ - अध्यायः ००६
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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आचारकाण्डः - अध्यायः ११२
विष्णू पुराणाचा एक भाग असलेल्या गरूड पुराणात मृत्यूनंतरच्या स्थितीबद्दलची चर्चा आहे, शिवाय श्रद्धाळू हिंदू धर्मीयांमध्ये मृत्यूनंतर जी विविध क्रिया कर्मे केली जातात, त्याला गरूडपुराणाची पार्श्वभूमी आहे.
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द्वारभङ्गफलं नाम त्रिचत्वारिंशोऽध्यायः
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
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श्रीकूटादिषट्त्रिंशत्प्रासादलक्षणं नाम षष्टितमोऽध्यायः - १ ते ५०
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
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वराहपुराणम् - अध्यायः ५७
'वराह पुराण' हे एक वैष्णव पुराण आहे. या पुराणातील श्लोकांत भगवानांच्या वराह अवतारातील धर्मोपदेश कथांच्या रूपात प्रस्तुत केलेला आहे.
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स्थपतिलक्षणं नाम चतुश्चत्वारिंशोऽध्यायः
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
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श्रीनरसिंहपुराण - अध्याय १९
अन्य पुराणोंकी तरह श्रीनरसिंहपुराण भी भगवान् श्रीवेदव्यासरचित ही माना जाता है ।
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क्रियापदः - अग्निकार्यविधि पटलः
सुप्रभेदागमः
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प्रभासक्षेत्र माहात्म्यम् - अध्याय १३१
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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अथ क्रियापादः - आचार्यलक्षण पटलः
सुप्रभेदागमः म्हणजे शिल्पशास्त्र ह्या विषयावरील महत्वपूर्ण ग्रंथ.
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मानसागरी - अध्याय १ - योगजातफलम्
सृष्टीचमत्काराची कारणे समजून घेण्याची जिज्ञासा तृप्त करण्यासाठी प्राचीन भारतातील बुद्धिमान ऋषीमुनी, महर्षींनी नानाविध शास्त्रे जगाला उपलब्ध करून दिली आहेत, त्यापैकीच एक ज्योतिषशास्त्र होय.
The horoscope is a stylized map of the planets including sun and moon over a specific location at a particular moment in time, in the sky.
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ब्रह्मपुराणम् - अध्यायः २३५
ब्रह्मपुराणास आदिपुराण म्हणतात. यात सृष्टीची उत्पती, पृथुचे पावन चरित्र, सूर्य आणि चन्द्रवंशाचे वर्णन, श्रीकृष्ण-चरित्र, कल्पान्तजीवी मार्कण्डेय मुनि चरित्र, तीर्थांचे माहात्म्य अशा अनेक भक्तिपुरक आख्यानांची सुन्दर चर्चा केलेली आहे.
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स्वर्गखण्डः - अध्यायः ५४
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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भविष्यपर्व - एकोनपञ्चाशत्तमोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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क्रियापदः - भस्मस्नान पटलः
सुप्रभेदागमः
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स्वच्छन्दभैरवतन्त्र - अष्टमः पटलः
स्वच्छन्दभैरवतन्त्र हे एक असे तंत्र आहे, ज्यापासून प्रत्यक्ष भैरव मदतीला उभे राहतात.
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विष्णुपर्व - अष्टाधिकशततमोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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अथ क्रियापादः - अथ भस्मस्नान पटलः
सुप्रभेदागमः म्हणजे शिल्पशास्त्र ह्या विषयावरील महत्वपूर्ण ग्रंथ.
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नागरखण्डः - अध्याय २६८
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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कूर्मपुराणः - पंचदशोऽध्यायः
पुराण म्हणजे भारतीय संस्कृतीचा अमूल्य ठेवा आहे. महापुराणांच्या क्रमवारीत कूर्मपुराण पंधराव्या स्थानावर आहे.
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मध्यम भागः - अध्यायः ३५
ब्रह्माण्डाच्या उत्पत्तीचे रहस्य या पुराणात वर्णिलेले आहे.
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सौरपुराणं - अध्यायः १७
सौरपुराणं व्यासकृतम् ।
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खण्डः ३ - अध्यायः ०७३
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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प्रेतकाण्डः - अध्यायः १६
विष्णू पुराणाचा एक भाग असलेल्या गरूड पुराणात मृत्यूनंतरच्या स्थितीबद्दलची चर्चा आहे, शिवाय श्रद्धाळू हिंदू धर्मीयांमध्ये मृत्यूनंतर जी विविध क्रिया कर्मे केली जातात, त्याला गरूडपुराणाची पार्श्वभूमी आहे.
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देवादिरूपप्रहरणसंयोगलक्षणं नाम सप्तसप्ततितमोऽध्यायः
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
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श्रीनरसिंहपुराण - अध्याय ३४
अन्य पुराणोंकी तरह श्रीनरसिंहपुराण भी भगवान् श्रीवेदव्यासरचित ही माना जाता है ।
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श्री नारदीयमहापुराणम् - षड्विंशोऽध्यायः
नारदपुराणात शिक्षण, कल्प, व्याकरण, छन्द शास्त्राचे आणि परमेश्वराच्या उपासनेचे विस्तृत वर्णन आहे.
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संघ
Meanings: 49; in Dictionaries: 11
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अष्टाविंशोsध्यायः ।
एकविसाव्या शतकात मानवाच्या वाट्याला आलेले एकाकीपण कित्येक कवींनी त्यांच्या एकेका कवितेने भरून काढले.
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बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम् - अध्याय ६२
`बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम्` हा ग्रंथ म्हणजे ज्योतिष शास्त्रातील मैलाचा दगड होय.
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बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम् - अध्याय २५
`बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम्` हा ग्रंथ म्हणजे ज्योतिष शास्त्रातील मैलाचा दगड होय.
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कौमारिकाखण्डः - अध्यायः ४३
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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भविष्यपर्व - षट्चत्वारिंशोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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सौरपुराणं - अध्यायः ५९
सौरपुराणं व्यासकृतम् ।
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भविष्यपर्व - सप्ततितमोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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श्रीनरसिंहपुराण - अध्याय १९
अन्य पुराणोंकी तरह श्रीनरसिंहपुराण भी भगवान् श्रीवेदव्यासरचित ही माना जाता है ।
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