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কঙ্গনী
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प्रियङ्गुः
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କଙ୍ଗୁ
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કંગની
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कँगनी
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کنگنی
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ਕੰਗਨੀ
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राळा
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প্রিয়ঙ্গু
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রসায়নবরা
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রসা
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কাঁক
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জনারি
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স্ত্রী
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millet
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panic
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वनौषधिवर्गः - श्लोक १८१ ते २२०
अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है।
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ऋतुसंहारः - अथ हेमन्तः
कालिदास अपनी अलंकार युक्त सुंदर सरल और मधुर भाषा के लिये विशेष रूप से जाने जाते हैं। ’ऋतुसंहार’मे ऋतु वर्णन अद्वितीय हैं और उनकी उपमाएं बेमिसाल है।
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आचारकाण्डः - अध्यायः २०४
विष्णू पुराणाचा एक भाग असलेल्या गरूड पुराणात मृत्यूनंतरच्या स्थितीबद्दलची चर्चा आहे, शिवाय श्रद्धाळू हिंदू धर्मीयांमध्ये मृत्यूनंतर जी विविध क्रिया कर्मे केली जातात, त्याला गरूडपुराणाची पार्श्वभूमी आहे.
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उड्डामरेश्वरतन्त्र - त्रयोदशः पटलः
‘उड्डामरेश्वरतन्त्र ’ हे तंत्रशास्त्रातील अत्यंत दुर्मिल आणि गुप्त तंत्र आहे, साधक याचा उपयोग अतिशय निर्वाणीच्या क्षणी करतात.
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सूत्रस्थानम् - पञ्चदशोऽध्यायः
हिन्दू धर्मातील पवित्र आणि सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदांतील मन्त्रांचे खण्ड म्हणजेच संहिता.
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अध्याय २९९ - बालग्रहहरबालतन्त्रम्
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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भावमिश्रः भावप्रकाशः - कर्पूरादिवर्ग
आयुर्वेदातील एक महान ग्रंथ
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राजनिघण्टु - अन्दनादिवर्ग
नरहरि पन्डित रचित राजनिघण्टु ग्रंथ म्हणजे आयुर्वेदातील एक मैलाचा दगड.
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द्वितीयः भागः - उन्मादाधिकारः
भावप्रकाशसंहिता
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अध्याय ३६३ - भूमिवनौषध्यादिवर्गाः
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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सूत्रस्थान - अध्याय १५
आयुर्वेदातील अष्टांग हृदय प्रसिद्ध ग्रंथ आहे. याचे रचनाकार आहेत, वाग्भट. या ग्रंथाचा रचनाकाल ई.पू.५०० ते ई.पू.२५० मानतात. या ग्रंथात औषधि आणि शल्यचिकित्सा दोन्हींचाही समावेश आहे.
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चतुर्थः भागः - योनिरोगाधिकारः
भावप्रकाशसंहिता
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क्रिया कैरव चन्द्रिका - द्वात्रिंशः परिच्छेदः
श्री वराहगुरुणाविरचितायां क्रियाकैरवचन्द्रिकाः
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सूत्रस्थान - भाग ५
चरक संहिता आयुर्वेदासंबंधी एक प्रसिद्ध ग्रन्थ आहे. हा ग्रंथ संस्कृत भाषेत आहे. या ग्रंथाचे उपदेशक अत्रिपुत्र पुनर्वसु, ग्रंथकर्ता अग्निवेश आणि प्रतिसंस्कारक चरक हे होत. Charaka Sanhita is believed to be the oldest Ayurvedic text on internal medicine.
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अनेकार्थसङ्ग्रहः - त्रिस्वरकाण्डः
आचार्यश्रीहेमचन्द्रेण विरचितः अनेकार्थसङ्ग्रहो नाम कोशः
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