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ब्रह्मचारिणी
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برہمچاریینی
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பிரம்மச்சாரினி
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బ్రహ్మచారిణి
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ਬ੍ਰਹਮਚਾਰਿਣੀ
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ব্রহ্মচারিণী
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ବ୍ରହ୍ମଚାରିଣୀ
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બ્રહ્મચારિણી
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ബ്രഹ്മചാരിണി
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ಬ್ರಹ್ಮಚಾರಿಣಿ
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பிரம்மச்சரிய பெண்
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برہماچارینی
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బ్రహ్మచారిని
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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ਬ੍ਰਹਮਚਾਰਣੀ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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ब्रम्हचारिणी
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nun
Meanings: 6; in Dictionaries: 5
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नवदुर्गास्तोत्र - गणेशः । हरिद्राभंचतुर्वाद...
देवी आदिशक्ती माया आहे. तिची अनेक रूपे आहेत. जसे ती जगत्कल्याण्कारी तसेच दुष्टांचा संहार करणारीही आहे.
The concept of Supreme mother Goddess is very old in India. The divine mother has been worshipped as ' Shakti' since vedic times.
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धारिणी
Meanings: 16; in Dictionaries: 6
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श्री सीता अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्
अष्टोत्तरशतनामस्तोत्र म्हणजे देवी देवतांची एकशे आठ नावे. Ashtottara shatanamavali means 108 names of almighty God and Godess.
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प्राचीन काळची स्थिती
प्रस्तुत ग्रंथ १९०१ साली बडोद्याचे महाराज श्रीमंत सयाजीराव गायकवाड यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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सौरपुराणं - अध्यायः ८
सौरपुराणं व्यासकृतम् ।
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भविष्यपर्व - द्वाविंशोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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नवन्
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रसार्णव - पञ्चमः पटलः
रसार्णव नामक ग्रंथात विभिन्न रासायनिक प्रक्रियांद्वारे उत्पन्न होणारे तत्कालीन उत्प्रेरक शिवाय रासायनिक अभिक्रियांमध्ये तीव्रता प्रदान करणार्या पदार्थांमध्ये ज्यात अधिकांश वानस्पतिक श्रोत वापरले जातात त्यांचा खास उल्लेख आहे.
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उमासंहिता - अध्यायः ३१
शिव पुराणात भगवान शिवांच्या विविध रूपांचे, अवतारांचे, ज्योतिर्लिंगांचे, शिव भक्तांचे आणि भक्तिचे विस्तृत वर्णन केलेले आहे.
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सहस्त्र नामे - श्लोक १४६ ते १५०
श्रीगणेशाच्या सहस्त्रनामांचे मराठी अर्थ.
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अवन्तीक्षेत्रमाहात्म्यम् - अध्याय ५४
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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विष्णुपर्व - तृतीयोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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नागरखण्डः - अध्याय १९५
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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पूर्वभागः - अध्यायः ८४
अठरा पुराणांमध्ये भगवान् शंकराची महान महिमा लिंगपुराणात वर्णिलेली आहे. यात ११००० श्लोक आहेत. प्रथम योग आणि नंतर कल्प असे विवेचन गुरू वेदव्यास यांनी या पुराणात सांगितले आहे. हा शिव पुराणाच पूरक ग्रंथ आहे.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ४३९
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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नागरखण्डः - अध्याय ८१
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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उत्तरखण्डः - अध्यायः १५२
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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देवी स्तोत्र - अथ देव्याः कवचम्
देवी आदिशक्ती माया आहे. तिची अनेक रूपे आहेत. जसे ती जगत्कल्याण्कारी तसेच दुष्टांचा संहार.करणारीही आहे.
The concept of Supreme mother Goddess is very old in India. The divine mother has been worshipped as ' Shakti' since vedic times.
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खण्डः २ - अध्यायः ०३४
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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काशीखण्डः - अध्याय ४७
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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दुर्गा सप्तशती - चण्डीकवचम्
दुर्गा सप्तशतीचा पाठ केल्याने जीवनातील सर्व पापे नष्ट होऊन मुक्ति मिळते.
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श्री परशुराम माहात्म्य - अध्याय २१
श्री परशुराम माहात्म्य वाचल्याने अपत्यसुख प्राप्त होते शिवाय शत्रूंपासून संरक्षण मिळते.
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विष्णुपर्व - अष्टादशाधिकशततमोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः १३
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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तिष्यसन्तानः - अध्यायः १५
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ४९२
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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देवी कवचम् - ॐ नमश्चण्डिकायै मार्कण्डे...
देवी आदिशक्ती माया आहे. तिची अनेक रूपे आहेत. जसे ती जगत्कल्याण्कारी तसेच दुष्टांचा संहार.करणारीही आहे.
The concept of Supreme mother Goddess is very old in India. The divine mother has been worshipped as ' Shakti' since vedic times.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ४१९
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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रेवा खण्डम् - अध्याय १८०
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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देवी कवच - ॐ अस्य श्रीचण्डीकवचस्य ब्...
देवी कवच
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उत्तरार्धम् - अध्यायः २२
वायुपुराणात खगोल, भूगोल, सृष्टिक्रम, युग, तीर्थ, पितर, श्राद्ध, राजवंश, ऋषिवंश, वेद शाखा, संगीत शास्त्र, शिवभक्ति, इत्यादिचे सविस्तर निरूपण आहे.
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संततिजनक - विधानम्
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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शरीरस्थानम् - प्रथमोऽध्यायः
हिन्दू धर्मातील पवित्र आणि सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदांतील मन्त्रांचे खण्ड म्हणजेच संहिता.
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मध्यम भागः - अध्यायः ५९
ब्रह्माण्डाच्या उत्पत्तीचे रहस्य या पुराणात वर्णिलेले आहे.
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