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राघौ गीध गोद करि लीन्हौ ।...

भजन - राघौ गीध गोद करि लीन्हौ ।...

तुलसीदास हिन्दीके महान कवी थे, जिन्होंने रामचरितमानस जैसी महान रचना की ।


राघौ गीध गोद करि लीन्हौ ।

नयन सरोज सनेह सलिल सुचि मनहुँ अरघ जल दीन्हौं ॥

सुनहु लखन ! खगपतिहि मिले बन मैं पितु-मरन न जान्यौ ।

सहि न सक्यो सो कठिन बिधाता बड़ो पछु आजुहि भान्यौ ॥

बहुबिधि राम कह्यौ तनु राखन परम धीर नहि डोल्यौ ।

रोकि प्रेम, अवलोकि बदन-बिधु बचन मनोहर बोल्यौं ॥

तुलसी प्रभु झूठे जीवन लगि समय न धोखो लैहौं ।

जाको नाम मरत मुनि दुर्लभ तुमहि कहाँ पुनि पैहौं ॥

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Last Updated : December 15, 2007

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