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सुनु मन मूढ़ सिखावन मेरो ।...

भजन - सुनु मन मूढ़ सिखावन मेरो ।...

तुलसीदास हिन्दीके महान कवी थे, जिन्होंने रामचरितमानस जैसी महान रचना की ।


सुनु मन मूढ़ सिखावन मेरो ।

हरि पद बिमुख लह्यो न काहु सुख, सठ यह समुझ सबेरो ॥१॥

बिछुरे ससि रबि मन नैननितें पावत दुख बहुतेरो ।

भ्रमत स्त्रमित निसि दिवस गगनमँह तहँ रिपु राहु बड़ेरो ॥२॥

जद्यपि अति पुनीत सुर सरिता तिहुँ पुर सुजस घनेरो ।

तजे चरन अजहूँ न मिटत, नित बहिबो ताहू केरो ॥३॥

छुटै न बिपति भजे बिनु रघुपति, स्त्रुति-संदेह निबेरो ।

तुलसीदास सब आस छाँड़ि करि, होहु राम कर चेरो ॥४॥

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Last Updated : December 15, 2007

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