हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|तुलसीदास भजन|भजन संग्रह २|
कर सर धनु , कटि रुचिर निष...

भजन - कर सर धनु , कटि रुचिर निष...

तुलसीदास हिन्दीके महान कवी थे, जिन्होंने रामचरितमानस जैसी महान रचना की ।


कर सर धनु, कटि रुचिर निषंग ।

प्रिया प्रीति-प्रेरित बन बीथिन्ह

बिचरत कपट-कनक-मृग-संग ॥

भुज बिसाल कमनीय कंध उर,

स्त्रम-सीकर सोहैं साँवरे अंग ।

मनु मुकुता मनि-मरकतगिरिपर

लसत ललित रबि किरनि-प्रसंग ॥

नलिन-नयन, सिर जटा-मुकुट-बिच

सुमन-माल मनु सिव-सिर गंग ।

तुलसीदास ऐसी मूरतिकी बलि,

छबि बिलोकि लाजै अमित अनंग ॥

N/A

References : N/A
Last Updated : December 15, 2007

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP