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ते नर नरकरूप जीवत जग , भ...

भजन - ते नर नरकरूप जीवत जग , भ...

तुलसीदास हिन्दीके महान कवी थे, जिन्होंने रामचरितमानस जैसी महान रचना की ।


ते नर नरकरूप जीवत जग,

भव-भंजन पद बिमुख अभागी ।

निसिबासर रुचि पाप, असुचिमन,

खल मति मलिन निगम पथ त्यागी ॥१॥

नहिं सतसंग, भजन नहिं हरिको,

स्त्रवन न रामकथा अनुरागी ।

सुत-बित-दार-भवन-ममता-निसि,

सोवत अति न कबहुँ मति जागी ॥२॥

तुलसिदास हरि नाम सुधा तजि,

सठ, हठि पियत बिषय-बिष मॉंगी ।

सूकर-स्वान-सृगाल-सरिस जन,

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Last Updated : December 15, 2007

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