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मनोहरताको मानो ऐन । स्य...

भजन - मनोहरताको मानो ऐन । स्य...

तुलसीदास हिन्दीके महान कवी थे, जिन्होंने रामचरितमानस जैसी महान रचना की ।


मनोहरताको मानो ऐन ।

स्यामल गौर किसोर पथिक दोउ सुमुखि ! निरखि भरि नैन ॥

बीच बधू बिधु-बदनि बिराजत उपमा कहुँ कोऊ है न ।

मानहुँ रति ऋतुनाथ सहित मुनि बेष बनाए है मैन ॥

किधौं सिंगार-सुखमा सुप्रेम मिलि चले जग-जित-बित लैन ।

अद्भुत त्रयी किधौं पठई है बिधि मग-लोगन्हि सुख दैन ॥

सुनि सुचि सरल सनेह सुहावने ग्राम-बधुन्हके बैन ।

तुलसी प्रभु तरुतर बिलँबे किए प्रेम कनौडे कै न ?

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Last Updated : December 15, 2007

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