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স্নানযোগ্য
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विसर्जनम्
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स्थापित देवता विसर्जनम्
वास्तु्शांती म्हणजे वास्तु उभारताना यजमानाच्या हातून विविध चुका होतात किंवा दोष घडतात, त्यांची शांती. वास्तुपुरुषाची शांती नव्हे.
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നിര്വസനം
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ਇਸ਼ਨਾਨ
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বিসর্জন
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ବିସର୍ଜନ
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વિસર્જન
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ವಿಸರ್ಜನೆ
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ஆழ்கடலில் வசிப்பன
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స్నానయోగ్యమైన
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ସ୍ନାନଯୋଗ୍ୟ
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સ્નાનીય
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കുളിക്കാൻ കൊള്ളാവുന്ന
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आंघोळीचा
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दुगैथाव
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न्हावपाचें
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स्नानीय
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ಸ್ನಾನ ಮಾಡಲು
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विसर्जन
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मलोत्सर्गः
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धर्मसिंधु - अथपारणाविसर्जनयोःकालः
This Grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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देवी कवच - कर्मसमर्पणम्
देवी कवच - कर्मसमर्पणम्
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आत्मपूजोपनिषद्
आपल्या प्राचीन वाङ्मयामध्ये उपनिषदांना फार महत्त्वाचे, म्हणजे प्रस्थानत्रयी मधील एक, असे स्थान आहे. Upanishad are highly philosophical and metaphysical part of Vedas. Being the conclusive part of Vedas, Upanishad can be called the whole substance of Vedic
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श्रीशक्तिसङ्ग्मतन्त्रम् - पञ्चचत्वारिशतिः पटलः ।
तंत्र शास्त्र भारताची एक प्राचीन विद्या आहे. तंत्र ग्रंथ भगवान शिवाच्या मुखातून प्रकट झाले आहेत. त्यांना पवित्र आणि प्रामाणिक मानले आहेत. Tantra shastra is a secret and most powerful science of the Indian culture and religion. It is a most powerful science which Indian Rushis have practised for centuries and still it is in practise.
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देवी कवच - क्षमा-प्रार्थना
देवी कवच - क्षमा-प्रार्थना
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देवीक्षमापणस्तोत्रम् - अपराधसहस्राणि क्रियन्तेऽह...
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. स्तोत्रे स्तुतीपर असल्याने, त्यांना कोणतेही वैदिक नियम नाहीत. स्तोत्रांचे पठण केल्याने इच्छित फल प्राप्त होते. In Hinduism, a Stotra is a hymn of praise, that praise aspects of Devi and Devtas. Stotras are invariably uttered aloud and consist of chanting verses conveying the glory and attributes of God.
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ललितार्चन चंद्रिका - देवतोद्वासनम्
'ललितार्चन चंद्रिका' अर्थात् 'लधुचंद्रिका पद्धति' या प्रसिद्ध रचना सुंदराचार्य अर्थात् सच्चिदानंदनाथ यांच्या आहेत.
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उत्तर पर्व - अध्याय २०२
भविष्यपुराणांत धर्म, सदाचार, नीति, उपदेश, अनेक आख्यान, व्रत, तीर्थ, दान, ज्योतिष अणि आयुर्वेद शास्त्र वगैरे विषयांचा अद्भुत संग्रह आहे.
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दुर्गा सप्तशती - देवीक्षमापनस्तोत्रम्
दुर्गा सप्तशतीचा पाठ केल्याने जीवनातील सर्व पापे नष्ट होऊन मुक्ति मिळते.
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आचारकाण्डः - अध्यायः १८
विष्णू पुराणाचा एक भाग असलेल्या गरूड पुराणात मृत्यूनंतरच्या स्थितीबद्दलची चर्चा आहे, शिवाय श्रद्धाळू हिंदू धर्मीयांमध्ये मृत्यूनंतर जी विविध क्रिया कर्मे केली जातात, त्याला गरूडपुराणाची पार्श्वभूमी आहे.
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श्रीनृसिंहार्चनपद्धतिः - पद्धतिः ७
उपासना विभागातील मंत्र सिद्ध केल्यास त्याची प्रचिती लगेचच मिळते.
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वासुदेवमाहात्म्यम् - अध्याय ३०
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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चाणक्यनीतिदर्पणः - पञ्चदशोऽध्यायः
चाणक्यनीतिदर्पणः
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चाणक्यनीतिदर्पणाः - पञ्चदशोऽध्यायः
आर्य चाणक्यने आपल्या नीतिशास्त्र या ग्रंथात आदर्श जीवन मूल्ये सविस्तर सांगितली आहेत.
Nitishastra is a treatise on the ideal way of life, and shows Chanakya's in depth study of the Indian way of life.
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नागरखण्डः - अध्याय २२५
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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आचारकाण्डः - अध्यायः ९९
विष्णू पुराणाचा एक भाग असलेल्या गरूड पुराणात मृत्यूनंतरच्या स्थितीबद्दलची चर्चा आहे, शिवाय श्रद्धाळू हिंदू धर्मीयांमध्ये मृत्यूनंतर जी विविध क्रिया कर्मे केली जातात, त्याला गरूडपुराणाची पार्श्वभूमी आहे.
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परमेश्वरसंहिता - षड्विंशोऽध्यायः
परमेश्वरसंहिता
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निर्वाणप्रकरणं - सर्गः १६०
योगवाशिष्ठ महारामायण संस्कृत साहित्यामध्ये अद्वैत वेदान्त विषयावरील एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ आहे. ह्याचे रचयिता आहेत - वशिष्ठ
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कालीतंत्र - काली पूजा
तंत्रशास्त्रातील अतिउच्च तंत्र म्हणून काली तंत्राला अतिशय महत्व आहे.
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पताकादिचतुष्षष्टिहस्तलक्षणं नाम त्र्यशीतितमोऽध्यायः - १ ते ५०
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
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खण्डः २ - अध्यायः १६१
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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खण्डः १ - अध्यायः ०६१
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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अथ साङ्कल्पिकनान्दीश्राद्धप्रयोगः
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा । वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥ अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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विसर्ग
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आचाराध्यायः - श्राद्धप्रकरणम्
स्मृतिग्रंथ म्हणजे धर्मशास्त्रावरील एक आवश्यक वचनांचा भाग.
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पताकादिचतुष्षष्टिहस्तलक्षणं नाम त्र्यशीतितमोऽध्यायः - ५१ ते १००
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः १६
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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श्रीदत्तपुराणम् - चतुर्थोsध्याय:
श्रीमत्परमहंस वासुदेवानंदसरस्वतीस्वामीकृत " श्रीदत्तपुराणम् "
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प्रथमाष्टक - चतुर्थोsध्याय:
श्रीमत्परमहंस वासुदेवानंदसरस्वतीस्वामीकृत " श्रीदत्तपुराणम् "
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