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সতিয়া
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पूर्वार्ध
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one-half
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half
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পূর্বার্ধ
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ପୂର୍ବାର୍ଦ୍ଧ
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પૂર્વાર્ધ
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نصف اوّل
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पूर्वार्द्ध
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पूर्वार्धः
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दशम स्कंधाचा (पूर्वार्ध) सारांश
या स्कंधांत अध्याय ४९,मूळ श्लोक १९१३, त्यांवरील अभंग ५९७
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ठाकुर प्रसाद - दशम स्कन्ध (पूर्वार्ध)
ठाकुर प्रसाद म्हणजे समाजाला केलेला उपदेश.
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करुणासागर - पूर्वार्ध
नारायण महाराजांचा ( जालवणकर ) जन्म शके १७२९ ( इ.स. १८०७ ) प्रभव संवत्सर, आषाढ वद्य ५, गुरूवार रोजी झाला.
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மாற்றான் தாய்க்குபிறந்த
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ସାବତ
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ਮਤਰੇਆ
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രണ്ടാനമ്മയിലുള്ള
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वैमात्रेय
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سوتیلا
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सौतेला
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श्रीसद्गुरुलीलामृत - पूर्वार्ध
श्रीसद्गुरुलीलामृत
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हरिवंश - पूर्वार्ध
हरिवंशांतल्या आर्यारचना आर्याभारताच्याच तोलाच्या आहेत.
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व्याधिविनिश्चय : पूर्वार्ध
धर्म, अर्थ, काम आणि मोक्ष या चतुर्विध पुरूषार्थांच्या प्राप्तीकरितां आरोग्य हे अत्यंत आवश्यक असते.
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निर्णयसिंधु - तृतीयपरिच्छेद पूर्वार्ध
निर्णयसिंधु ग्रंथामध्ये कोणत्या कर्माचा कोणता काल , याचा मुख्यत्वेकरून निर्णय केलेला आहे .
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पार्वण श्राद्ध पूर्वार्ध
पार्वण श्राद्ध पितृ पंधरवड्यात करतात.यात मागील तीन पितृ देवतांचा समावेश होतो.
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आदिपर्व - बकासुरवध पूर्वार्ध
मयूर भरत्सार काव्यात महाभारतातील प्रसंगांचे अति सुंदर वर्णन केलेले आहे.
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दशम स्कंध - पूर्वार्ध
सर्वमतखंडन आणि ब्रह्मविद्यारहस्य
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क्रीडा खंड - पूर्वार्ध
श्री गणेश पुराणाचे पारायण केल्याने समाधान मिळते आणि जीवनातील सर्व पापे नष्ट होतात.
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श्री मुक्तेश्वरी पोथी - पूर्वार्ध
श्री मुक्तेश्वरी पोथी वाचल्याने आत्मिक समाधान मिळते.
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पूर्वार्ध - भाग २
प्रस्तुतचे भागात श्रीचक्रधरस्वामींचे सेंदुरणीस आगमन झाल्यानंतर भटोबासांस ईश्वरप्रतीत होऊन स्वामींचे खडकुलीस प्रयाण होईपर्यंतचा इतिवृतांत आला आहे .
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पूर्वार्ध - भाग १
‘ लीळा चरित्र ’ हा आद्य मराठी चरित्र ग्रंथ होय. यात चक्रधर स्वामींच्या लीळा आहेत.
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लीळा चरित्र - पूर्वार्ध
‘ लीळा चरित्र ’ हा आद्य मराठी चरित्र ग्रंथ होय. यात चक्रधर स्वामींच्या लीळा आहेत.
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उद्योगपर्व - कर्णभेदप्रयत्न पूर्वार्ध
मयूर भरत्सार काव्यात महाभारतातील प्रसंगांचे अति सुंदर वर्णन केलेले आहे.
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धर्मसिंधु - तृतीयपरिच्छेद : पूर्वार्ध १
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे. This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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प्रभात पोवाडा पूर्वार्ध
कवी 'बी' हे कवींचे कवी आहेत. अनेक कवींना स्फूर्ति पुरविण्याइतके चैतन्य व तेज त्यांच्या कवितेत काठोकाठ भरलेले आहे.
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સાવકો
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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सवती
Meanings: 4; in Dictionaries: 2
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सावत्र
Meanings: 8; in Dictionaries: 5
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सौतेलो
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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पूर्वार्ध - अभंग ७०१ ते ८००
श्री मुक्तेश्वरी पोथी वाचल्याने आत्मिक समाधान मिळते.
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धर्मसिंधु - तृतीय परिच्छेद : पूर्वार्ध ३
This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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पूर्वार्ध - अभंग १०१ ते २००
श्री मुक्तेश्वरी पोथी वाचल्याने आत्मिक समाधान मिळते.
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पूर्वार्ध - अभंग ८०१ ते ८२३
श्री मुक्तेश्वरी पोथी वाचल्याने आत्मिक समाधान मिळते.
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पूर्वार्ध - अभंग ५०१ ते ६००
श्री मुक्तेश्वरी पोथी वाचल्याने आत्मिक समाधान मिळते.
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धर्मसिंधु - तृतीय परिच्छेद : पूर्वार्ध ५
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे.
This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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पूर्वार्ध - अभंग १ ते १००
श्री मुक्तेश्वरी पोथी वाचल्याने आत्मिक समाधान मिळते.
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पूर्वार्ध - अभंग २०१ ते ३००
श्री मुक्तेश्वरी पोथी वाचल्याने आत्मिक समाधान मिळते.
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धर्मसिंधु - तृतीयः परिच्छेदः : पूर्वार्ध १
This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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पूर्वार्ध - अभंग ६०१ ते ७००
श्री मुक्तेश्वरी पोथी वाचल्याने आत्मिक समाधान मिळते.
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धर्मसिंधु - तृतीय परिच्छेद : पूर्वार्ध ४
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे. This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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