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তারামণ্ডল
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तारागण
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तारांगण
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پِلینَٹیرِیَم
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تارَک مالہٕ
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ਤਾਰਾ ਮੰਡਲ
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ପ୍ଲାନେଟୋରିୟମ
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તારગૃહ
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तारागृह
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तारागृहम्
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तारा मंडल
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ତାରାମଣ୍ଡଳ
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तारामंडळ
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तारामण्डलम्
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नखेत्रमंडळ
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તારામંડળ
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প্ল্যানেটরিয়াম
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নক্ষত্রমণ্ডল
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संगीत सौभद्र - नभ मेघांनी आक्रमिले । तार...
’संगीत सौभद्र’ नाटकाची गोडी अवीट असल्यानेच हे नाटक १२० वर्षे प्रयोगरुपाने मराठी रंगभूमीवर अखंड गाजत आहे.
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तारंगण
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तिव्हडा
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उबडणें
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तराई
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राम गणेश गडकरी - काळोखामधुनी पल्याड न दिसे...
राम गणेश गडकरींनी मराठी साहित्यात मोलाची भर घातली.
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नामा पाठक
' अभंग ' म्हणजे संतकवींनी समाजजागृतीसाठी केलेल्या रसाळ रचना.
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सुमित्रानंदन पंत - उद्बोधन
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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भास्कर कवीश्वर
' अभंग ' म्हणजे संतकवींनी समाजजागृतीसाठी केलेल्या रसाळ रचना.
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अध्याय छठा - श्लोक ४१ से ६०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
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अध्याय ६४ वा - श्लोक ११ ते १५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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सारस्वत चम्पू - सर्ग ६
सारस्वत चम्पू
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श्रीविष्णुपुराण - द्वितीय अंश - अध्याय १२
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है,वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
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श्रीसिध्दान्तबोध - अध्याय १४ वा
‘श्रीसिध्दान्तबोध’ हा संतकवि श्रीशहामुनि यांचा ग्रंथ म्हणजे मराठी वाड्मयाच्या खाणींतील एक तेजस्वी हिरा आहे.
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अध्याय पहला - श्लोक १०१ से १२८
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
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गणेश गीता - अध्याय ९
श्री गणेश पुराणाचे पारायण केल्याने समाधान मिळते आणि जीवनातील सर्व पापे नष्ट होतात.
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करुणासागर - पदे ७५१ ते ८००
नारायण महाराजांचा ( जालवणकर ) जन्म शके १७२९ ( इ.स. १८०७ ) प्रभव संवत्सर, आषाढ वद्य ५, गुरूवार रोजी झाला.
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करुणासागर - पदे १ ते ५०
नारायण महाराजांचा ( जालवणकर ) जन्म शके १७२९ ( इ.स. १८०७ ) प्रभव संवत्सर, आषाढ वद्य ५, गुरूवार रोजी झाला.
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शिवाजी महाराज पोवाडा - सिंहगड
इतिहासाचे साधन म्हणून पोवाड्यांचे महत्व विशेष आहे. पोवाडे हे गीत-नाट्यरूप असल्यामुळे त्यात मनोरंजन व प्रचार यांचा मेळ घातला जातो.
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अध्याय ३९
संतकवी महीपतीबोवा ताहराबादकर विरचित
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श्रीवामनपुराण - अध्याय २
श्रीवामनपुराणकी कथायें नारदजीने व्यासको, व्यासने अपने शिष्य लोमहर्षण सूतको और सूतजीने नैमिषारण्यमें शौनक आदि मुनियोंको सुनायी थी ।
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कथाकल्पतरू - स्तबक ६ - अध्याय ६
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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श्रीगरुडपञ्चाशत् - श्रीमते निगमान्तदेशिकाय न...
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. स्तोत्रे स्तुतीपर असल्याने, त्यांना कोणतेही वैदिक नियम नाहीत. स्तोत्रांचे पठण केल्याने इच्छित फल प्राप्त होते. In Hinduism, a Stotra is a hymn of praise, that praise aspects of Devi and Devtas. Stotras are invariably uttered aloud and consist of chanting verses conveying the glory and attributes of God.
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श्रीसिध्दान्तबोध - अध्याय १८ वा
‘श्रीसिध्दान्तबोध’ हा संतकवि श्रीशहामुनि यांचा ग्रंथ म्हणजे मराठी साहित्याच्या खाणींतील एक तेजस्वी हिरा आहे.
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अध्याय १
संतकवी महीपतीबोवा ताहराबादकर विरचित
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काशी खंड - अध्याय ३ रा
स्कन्द पुराणातील काशी खंडात सुलक्षणा नावाच्या कन्येचे वर्णन आहे.
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कथाकल्पतरू - स्तबक ७ - अध्याय २
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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श्रीसिध्दान्तबोध - अध्याय ३२ वा
‘श्रीसिध्दान्तबोध’ हा संतकवि श्रीशहामुनि यांचा ग्रंथ म्हणजे मराठी साहित्याच्या खाणींतील एक तेजस्वी हिरा आहे.
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कथाकल्पतरू - स्तबक ७ - अध्याय १४
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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अध्याय २९
संतकवी महीपतीबोवा ताहराबादकर विरचित
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हरिविजय - अध्याय १
श्रीधरांसारखा भगवंताच्या भक्तिप्रेमात न्हाऊन गेलेला अजोड कवी, गोपालकृष्णाच्या अति गोड लीलांचे वर्णन करतो, तेव्हा काय बहार येते.
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मार्कण्डेय
भक्तो और महात्माओंके चरित्र मनन करनेसे हृदयमे पवित्र भावोंकी स्फूर्ति होती है ।
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