-
उग्रसेनः
Meanings: 4; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.4850284 | Lang: NA
-
اگرسےن
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.3188336 | Lang: NA
-
উগ্রসেন
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.2760997 | Lang: NA
-
ઉગ્રસેન
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.2402949 | Lang: NA
-
ଉଗ୍ରସେନ
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.2402949 | Lang: NA
-
उग्रसेन
Meanings: 29; in Dictionaries: 7
Type: WORD | Rank: 0.2081014 | Lang: NA
-
اُگرٕسین
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.03834717 | Lang: NA
-
অগ্রসেন
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.03750984 | Lang: NA
-
اگرسین
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.01757138 | Lang: NA
-
اُگرسین
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.01757138 | Lang: NA
-
உக்ரசேனை
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.01757138 | Lang: NA
-
ఉగ్రసేనుడు
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.01757138 | Lang: NA
-
ਉਗ੍ਰਸੇਨ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.01757138 | Lang: NA
-
ഉഗ്രസേനന്
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.01757138 | Lang: NA
-
ಉಗ್ರಸೇನ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.01757138 | Lang: NA
-
अश्वमेधखण्डः - अध्यायः ४८
गर्ग संहिता ही गर्ग मुनिंची रचना आहे. ह्या संहितेत श्रीकृष्ण आणि राधाच्या माधुर्य-भाव असलेल्या लीलांचे वर्णन आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.0003984333 | Lang: NA
-
विश्वजितखण्डः - अध्यायः २
गर्ग संहिता ही गर्ग मुनिंची रचना आहे. ह्या संहितेत श्रीकृष्ण आणि राधाच्या माधुर्य-भाव असलेल्या लीलांचे वर्णन आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.0003286907 | Lang: NA
-
भूमिखंडः - अध्यायः ४८
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
Type: PAGE | Rank: 0.0003286907 | Lang: NA
-
हरिवंश पर्व - सप्तत्रिंशोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.0003286907 | Lang: NA
-
ब्रह्मपुराणम् - अध्यायः २०८
ब्रह्मपुराणास आदिपुराण म्हणतात. यात सृष्टीची उत्पती, पृथुचे पावन चरित्र, सूर्य आणि चन्द्रवंशाचे वर्णन, श्रीकृष्ण-चरित्र, कल्पान्तजीवी मार्कण्डेय मुनि चरित्र, तीर्थांचे माहात्म्य अशा अनेक भक्तिपुरक आख्यानांची सुन्दर चर्चा केलेली आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.0002817349 | Lang: NA
-
विश्वजितखण्डः - अध्यायः १९
गर्ग संहिता ही गर्ग मुनिंची रचना आहे. ह्या संहितेत श्रीकृष्ण आणि राधाच्या माधुर्य-भाव असलेल्या लीलांचे वर्णन आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.0002817349 | Lang: NA
-
अश्वमेधखण्डः - अध्यायः ५६
गर्ग संहिता ही गर्ग मुनिंची रचना आहे. ह्या संहितेत श्रीकृष्ण आणि राधाच्या माधुर्य-भाव असलेल्या लीलांचे वर्णन आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.0002347791 | Lang: NA
-
अध्याय ४४ वा - श्लोक ३१ ते ३५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
Type: PAGE | Rank: 0.0002347791 | Lang: NA
-
विश्वजितखण्डः - अध्यायः ४८
गर्ग संहिता ही गर्ग मुनिंची रचना आहे. ह्या संहितेत श्रीकृष्ण आणि राधाच्या माधुर्य-भाव असलेल्या लीलांचे वर्णन आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.0002347791 | Lang: NA
-
ब्रह्मपुराणम् - अध्यायः १५
ब्रह्मपुराणास आदिपुराण म्हणतात. यात सृष्टीची उत्पती, पृथुचे पावन चरित्र, सूर्य आणि चन्द्रवंशाचे वर्णन, श्रीकृष्ण-चरित्र, कल्पान्तजीवी मार्कण्डेय मुनि चरित्र, तीर्थांचे माहात्म्य अशा अनेक भक्तिपुरक आख्यानांची सुन्दर चर्चा केलेली आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.0002347791 | Lang: NA
-
विश्वजितखण्डः - अध्यायः २८
गर्ग संहिता ही गर्ग मुनिंची रचना आहे. ह्या संहितेत श्रीकृष्ण आणि राधाच्या माधुर्य-भाव असलेल्या लीलांचे वर्णन आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.0002347791 | Lang: NA
-
अध्याय ६८ वा - श्लोक २१ ते २५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
Type: PAGE | Rank: 0.0002347791 | Lang: NA
-
विश्वजितखण्डः - अध्यायः ७
गर्ग संहिता ही गर्ग मुनिंची रचना आहे. ह्या संहितेत श्रीकृष्ण आणि राधाच्या माधुर्य-भाव असलेल्या लीलांचे वर्णन आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.0002347791 | Lang: NA
-
मत्स्यपुराणम् - अध्यायः ४४
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
Type: PAGE | Rank: 0.0001878233 | Lang: NA
-
उत्तरभागः - अध्यायः ५६
`नारदपुराण’ में शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, और छन्द-शास्त्रोंका विशद वर्णन तथा भगवानकी उपासनाका विस्तृत वर्णन है।
Type: PAGE | Rank: 0.0001878233 | Lang: NA
-
पाद १ - खण्ड ४६
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
Type: PAGE | Rank: 8.217268E-05 | Lang: NA
-
सृष्टिखण्डः - अध्यायः १३
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
Type: PAGE | Rank: 8.217268E-05 | Lang: NA