-
वास्तुशास्त्रः
वास्तुशास्त्रानुसार वास्तुची रचना केल्यास निश्चितच फळ मिळते.
Type: INDEX | Rank: 0.9706845 | Lang: NA
-
वास्तुशास्त्र
वास्तुशास्त्र एक ऐसा शास्त्र है, जो अनुभव किया जा सकता है ।
Type: INDEX | Rank: 0.9706845 | Lang: NA
-
विश्वकर्मप्रकाशः - अथ विषयानुक्रमणिकाः
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
मयमतम् - अथ पञ्चदशोऽध्यायः
The Mayamatam is a vastusastra. Mayamatam gives indications for the selections of a proper orientation, right dimensions, and appropriate materials.
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
द्वितीयोऽध्याय: - श्लोक १२१ ते १४०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
द्वादशोऽध्यायः - श्लोक ६१ ते ७९
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
अध्याय तीसरा - श्लोक २१ से ४०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
मयमतम् - अथ सप्तविंशोऽध्यायः
The Mayamatam is a vastusastra. Mayamatam gives indications for the selections of a proper orientation, right dimensions, and appropriate materials.
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
अध्याय ग्यारहवाँ - श्लोक ४१ से ५९
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
षष्ठोऽध्यायः - श्लोक १ ते २०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
अध्याय बारहवाँ - श्लोक ४१ से ६०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
पञ्चमोऽध्यायः - श्लोक २१ ते ४०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
अध्याय दूसरा - श्लोक ६१ से ८०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
अध्याय दसवाँ - श्लोक ४१ से ६०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
अध्याय नववाँ - श्लोक १ से २०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
अध्याय छठा - श्लोक १ से २०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
प्रथमोऽध्यायः - श्लोक ६१ ते ८०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
अध्याय साँतवा - श्लोक २१ से ४०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
प्रथमोऽध्यायः - श्लोक ४१ ते ६०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
द्वितीयोऽध्याय: - श्लोक १८१ ते १९७
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
पञ्चमोऽध्यायः - श्लोक १४१ ते १६०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
मयमतम् - अथ नवमोऽध्यायः
The Mayamatam is a vastusastra. Mayamatam gives indications for the selections of a proper orientation, right dimensions, and appropriate materials.
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
मयमतम् - अथ द्वात्रिंशोऽध्यायः
The Mayamatam is a vastusastra. Mayamatam gives indications for the selections of a proper orientation, right dimensions, and appropriate materials.
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
विश्वकर्मप्रकाश - अध्याय पहला
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: INDEX | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
अध्याय पाँचवा - श्लोक ४१ से ६०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
मयमतम् - अध्याय ११
The Mayamatam is a vastusastra. Mayamatam gives indications for the selections of a proper orientation, right dimensions, and appropriate materials.
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
मयमतम् - अथ अष्टमोऽध्यायः
The Mayamatam is a vastusastra. Mayamatam gives indications for the selections of a proper orientation, right dimensions, and appropriate materials.
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
सप्तमोऽध्यायः - श्लोक ८१ ते १००
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
मयमतम् - अध्याय २४
मयमतम् नामक ग्रंथमे संपूर्ण वास्तुशास्त्रकी चर्चा की गयी है। संपूर्ण वास्तु निर्माणमे इस ग्रंथको प्रमाण माना गया है।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
अध्याय दूसरा - श्लोक ४१ से ६०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
मयमतम् - अथ त्रयोविंशोऽध्यायः
The Mayamatam is a vastusastra. Mayamatam gives indications for the selections of a proper orientation, right dimensions, and appropriate materials.
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
मयमतम् - अध्याय १८
मयमतम् नामक ग्रंथमे संपूर्ण वास्तुशास्त्रकी चर्चा की गयी है। संपूर्ण वास्तु निर्माणमे इस ग्रंथको प्रमाण माना गया है।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
मयमतम् - अध्याय ३१
मयमतम् नामक ग्रंथमे संपूर्ण वास्तुशास्त्रकी चर्चा की गयी है। संपूर्ण वास्तु निर्माणमे इस ग्रंथको प्रमाण माना गया है।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
प्रथमोऽध्यायः - श्लोक २१ ते ४०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
अध्याय तीसरा - श्लोक १ से २०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
तृतीयोऽध्यायः - श्लोक ४१ ते ७०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
मयमतम् - अध्याय २८
मयमतम् नामक ग्रंथमे संपूर्ण वास्तुशास्त्रकी चर्चा की गयी है। संपूर्ण वास्तु निर्माणमे इस ग्रंथको प्रमाण माना गया है।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
द्वितीयोऽध्याय: - श्लोक ४१ ते ६०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
द्वितीयोऽध्याय: - श्लोक १४१ ते १६०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
त्रयोदशोऽध्यायः - श्लोक ८१ ते १००
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
मयमतम् - अध्याय २९
मयमतम् नामक ग्रंथमे संपूर्ण वास्तुशास्त्रकी चर्चा की गयी है। संपूर्ण वास्तु निर्माणमे इस ग्रंथको प्रमाण माना गया है।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
षष्ठोऽध्यायः - श्लोक ४१ ते ६०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
अध्याय बारहवाँ - श्लोक १ से २०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
अध्याय छठा - श्लोक ४१ से ६०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
अध्याय बारहवाँ - श्लोक ६१ से ७९
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
तृतीयोऽध्यायः - श्लोक १ ते २०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
नवमोऽध्यायः - श्लोक १ ते २०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
षष्ठोऽध्यायः - श्लोक २१ ते ४०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
मयमतम् - अध्याय ९
The Mayamatam is a vastusastra. Mayamatam gives indications for the selections of a proper orientation, right dimensions, and appropriate materials.
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA
-
मयमतम् - अथ चतुर्दशोऽध्यायः
The Mayamatam is a vastusastra. Mayamatam gives indications for the selections of a proper orientation, right dimensions, and appropriate materials.
Type: PAGE | Rank: 0.849349 | Lang: NA