-
नृग
Meanings: 23; in Dictionaries: 9
Type: WORD | Rank: 6.372986 | Lang: NA
-
ਨ੍ਰਿਗ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 3.32938 | Lang: NA
-
নৃগ
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.442687 | Lang: NA
-
ନୃଗ
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.442687 | Lang: NA
-
નૃગ
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.442687 | Lang: NA
-
नृगः
Meanings: 4; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.441965 | Lang: NA
-
نرگ
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.465557 | Lang: NA
-
نَرگ
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.465557 | Lang: NA
-
ओघरथ
Meanings: 3; in Dictionaries: 3
Type: WORD | Rank: 0.01998862 | Lang: NA
-
नृगा
Meanings: 5; in Dictionaries: 5
Type: WORD | Rank: 0.01713667 | Lang: NA
-
अध्याय ६४ वा - श्लोक ६ ते १०
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
Type: PAGE | Rank: 0.008480451 | Lang: NA
-
ओघवती
Meanings: 8; in Dictionaries: 4
Type: WORD | Rank: 0.007067043 | Lang: NA
-
विनय पत्रिका - विनयावली १६९
विनय पत्रिकामे , भगवान् श्रीराम के अनन्य भक्त तुलसीदास भगवान् की भक्तवत्सलता व दयालुता का दर्शन करा रहे हैं।
Type: PAGE | Rank: 0.006996016 | Lang: NA
-
विनय पत्रिका - विनयावली १४३
विनय पत्रिकामे , भगवान् श्रीराम के अनन्य भक्त तुलसीदास भगवान् की भक्तवत्सलता व दयालुता का दर्शन करा रहे हैं।
Type: PAGE | Rank: 0.005653634 | Lang: NA
-
दशम स्कंधाचा ( उत्तरार्ध ) सारांश
दशमस्कंध उत्तरार्धात अध्याय ४१, मूळ श्लोक १९३३, त्यांवरील अभंग ४६०
Type: PAGE | Rank: 0.005653634 | Lang: NA
-
विनय पत्रिका - विनयावली १४८
विनय पत्रिकामे , भगवान् श्रीराम के अनन्य भक्त तुलसीदास भगवान् की भक्तवत्सलता व दयालुता का दर्शन करा रहे हैं।
Type: PAGE | Rank: 0.005653634 | Lang: NA
-
एकनाथी भागवत - श्लोक ९ वा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.00494693 | Lang: NA
-
स्कंध ९ वा - अध्याय १ ला
सर्वमतखंडन आणि ब्रह्मविद्यारहस्य
Type: PAGE | Rank: 0.00494693 | Lang: NA
-
अध्याय ५६ वा - आरंभ
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
Type: PAGE | Rank: 0.004240226 | Lang: NA
-
सप्तम स्कंध - अध्याय पहिला
श्री मत्स्वच्छंदानंदानी रचिलेल्या प्रसिद्ध देवी भागवतसाराचा मराठी अवतार म्हणजे प्रस्तुत ‘ श्री देवी विजय ‘ ग्रंथ होय.
Type: PAGE | Rank: 0.004240226 | Lang: NA
-
सुमति
Meanings: 69; in Dictionaries: 9
Type: WORD | Rank: 0.003997723 | Lang: NA
-
अध्याय ६४ वा - श्लोक १ ते ५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
Type: PAGE | Rank: 0.003533521 | Lang: NA
-
स्कंध १० वा - अध्याय ६४ वा
सर्वमतखंडन आणि ब्रह्मविद्यारहस्य
Type: PAGE | Rank: 0.003533521 | Lang: NA
-
अधिकमास माहात्म्य - अध्याय पाचवा
अधिकमास माहात्म्य - अध्याय पाचवा
Type: PAGE | Rank: 0.003498008 | Lang: NA
-
कथाकल्पतरू - स्तबक २ - अध्याय ६
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.003060119 | Lang: NA
-
धृष्टकेतु
Meanings: 19; in Dictionaries: 4
Type: WORD | Rank: 0.002826817 | Lang: NA
-
द्वारकामाहात्म्यम् - अध्याय १०
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.002826817 | Lang: NA
-
खंड ३ - अध्याय २२
मुद्गल पुराणात श्री गणेशाच्या आठ अवतारांचे वर्णन आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.002826817 | Lang: NA
-
नववा स्कंध - अध्याय १
’ श्रीमद्भागवतमहापुराणम्’ ग्रंथात ज्ञान, वैराग्य व भक्ति यांनी युक्त निवृत्तीमार्ग प्रतिपादन केलेला आहे, अशा या श्रीमद्भागवताचे भक्तिने श्रवण, पठन आणि निदिध्यासन करणारा मनुष्य खात्रीने वैकुंठलोकाला प्राप्त होतो.
Type: PAGE | Rank: 0.002826817 | Lang: NA
-
श्रीविष्णुपुराण - तृतीय अंश - अध्याय १
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है,वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
Type: PAGE | Rank: 0.002826817 | Lang: NA
-
आदिपर्व - अध्याय सातवा
मोरेश्वर रामजी पराडकर (१७२९–१७९४), हे महाराष्ट्रात मोरोपंत अथवा मयूर पंडित नावाने ओळखले जातात.
Type: PAGE | Rank: 0.002473465 | Lang: NA
-
श्रीविष्णुपुराण - चतुर्थ अंश - अध्याय १
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है, वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
Type: PAGE | Rank: 0.002473465 | Lang: NA
-
वसु
Meanings: 196; in Dictionaries: 11
Type: WORD | Rank: 0.001998862 | Lang: NA
-
उत्तरार्ध - अध्याय ४९ वा
हरिवंशांतल्या आर्यारचना आर्याभारताच्याच तोलाच्या आहेत.
Type: PAGE | Rank: 0.001766761 | Lang: NA
-
सभापर्व - अध्याय पहिला
मोरेश्वर रामजी पराडकर (१७२९–१७९४), हे महाराष्ट्रात मोरोपंत अथवा मयूर पंडित नावाने ओळखले जातात.
Type: PAGE | Rank: 0.001766761 | Lang: NA
-
कथा कल्पतरू - स्तबक १३ - अध्याय २८
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.001413409 | Lang: NA
-
हरिविजय - अध्याय ३६
श्रीधरांसारखा भगवंताच्या भक्तिप्रेमात न्हाऊन गेलेला अजोड कवी, गोपालकृष्णाच्या अति गोड लीलांचे वर्णन करतो, तेव्हा काय बहार येते.
Type: PAGE | Rank: 0.001413409 | Lang: NA
-
मनु
Meanings: 116; in Dictionaries: 10
Type: WORD | Rank: 0.001060056 | Lang: NA