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अप्रमाण
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অপ্রমাণ
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بے ثبوتی
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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અપ્રમાણ
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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ਅਪ੍ਰ੍ਮਾਣ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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ପ୍ରମାଣଶୂନ୍ୟତା
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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തെളിവില്ലാത്ത
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फोरमानगैयि
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തെളിവില്ലായ്മ
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अप्रामाण्यम्
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ಅಪ್ರಾಮಾಣಿಕ
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rebut
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refute
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unbounded
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boundless
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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limitless
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प्रपंची जो सावधान, तोच परमार्थ करील जाण
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चोवडी
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inconclusive
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nugatory
Meanings: 3; in Dictionaries: 3
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एकनाथी भागवत - श्लोक ५ वा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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एकनाथी भागवत - श्लोक ३ रा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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void
Meanings: 34; in Dictionaries: 14
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वितथ
Meanings: 16; in Dictionaries: 7
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एकनाथी भागवत - श्लोक २२ वा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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अध्याय ८७ वा - आरंभ
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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लंगडणे
Meanings: 10; in Dictionaries: 2
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निराधार
Meanings: 19; in Dictionaries: 10
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invalid
Meanings: 31; in Dictionaries: 11
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एकनाथी भागवत - श्लोक ४ था
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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अंतर्भाव - समास ४
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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वेदस्तुति - मंगलाचरण
' हरिवरदा ’ ग्रंथातील वेदस्तुती भागाची ही रसाळ प्राकृत भाषेत स्वामी श्रीकृष्णदयार्णव स्वामींनी लिहीलेली टीका आहे.
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श्रीदत्त भजन गाथा - शुंभ-निशुंभ कथा
श्रीयुत विनायक वासुदेव साठे यांनी रचलेली श्रीदत्त भजन गाथा.
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विपक्ष
Meanings: 31; in Dictionaries: 8
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स्वात्मसुख - सद्रूपाची उपपत्ति
’ स्वात्मसुख ’ या काव्यात, गुरूविषयी भाव असला म्हणजे गुरूची अनन्यभक्ति होते व नंतर केवळ निष्कलंक भावानेंच स्वात्मसुखाची प्राप्ति होते असे प्रतिपादन केले आहे.
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महाभूतविवेक प्रकरणम् - श्लोक ४१ ते ४४
वामन नरहरी शेष उर्फ वामन पंडित (इ.स.१६३६ ते १६९५) हे १७ व्या शतकात होऊन गेलेले प्रख्यात मराठी कवी होते
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पंचीकरण - अभंग १२१ ते १२५
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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विवेकवैराग्यनाम - ॥ समास पहला - विमललक्षणनाम ॥
इस ग्रंथमें प्रत्येक छंद ‘मुख्य आत्मनुभूति से’ एवं सभी ग्रंथों की सम्मति लेकर लिखा है ।
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लावणी ३ री - आल्याविण राहावेना, तुसाठी...
लावणी म्हणजे गीत, नृत्य आणि अदाकारी यांचा त्रिवेणी संगम. लावणी शृंगराची खाण आणि महाराष्ट्राची शान आहे.
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विविध विषय - भक्तिपर अभंग.
श्री समर्थांनी दासबोध ग्रंथासोबतच गाथा रचून इतिहास घडविला आहे .
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समाधान - ऑगस्ट १०
महाराजांचे प्रवचन वाचले की वाटते , श्रीमहाराजांनी हे माझ्याचसाठी लिहिलेले आहे . तारखेप्रमाणे शक्यतो प्रवचन वाचण्याचा नेम करावा , म्हणजे वर्षाला एक पारायण पूर्ण होईल .
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#समास पहला - विमललक्षणनाम
‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है ।
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एकनाथी भागवत - श्लोक ३ रा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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दासोपंत ओंव्या
' अभंग ' म्हणजे संतकवींनी समाजजागृतीसाठी केलेल्या रसाळ रचना.
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विविधविषयपर पदे - षड्रिपु
श्री समर्थांनी दासबोध ग्रंथासोबतच गाथा आणि भारुडे रचून इतिहास घडविला आहे.
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लावणी ६३ वी - पुरें कर नटपण तुझें, समजल...
लावणी म्हणजे गीत, नृत्य आणि अदाकारी यांचा त्रिवेणी संगम. लावणी शृंगाराची खाण आणि महाराष्ट्राची शान आहे.
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सेवकधर्म - समास २
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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धर्मसिंधु - कलियुगात निषेध
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे.
This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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पदसंग्रह - पदे ५५१ ते ५५५
रंगनाथ स्वामींचा जन्म शके १५३४ परिघाविसंवत्सर मार्गशीर्ष शुद्ध १० रोजीं झाला.
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बोधपर अभंग - ५०७१ ते ५०८०
तुकारामबाबा आणि त्यांचे शिष्य यांच्या अभंगांची गाथा.
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