संस्कृत सूची|संस्कृत साहित्य|पुराण|श्री स्कंद पुराण|अवन्तीखण्ड|अवन्तीक्षेत्रमाहात्म्यम्| अध्याय ३९ अवन्तीक्षेत्रमाहात्म्यम् अध्याय १ अध्याय २ अध्याय ३ अध्याय ४ अध्याय ५ अध्याय ६ अध्याय ७ अध्याय ८ अध्याय ९ अध्याय १० अध्याय ११ अध्याय १२ अध्याय १३ अध्याय १४ अध्याय १५ अध्याय १६ अध्याय १७ अध्याय १८ अध्याय १९ अध्याय २० अध्याय २१ अध्याय २२ अध्याय २३ अध्याय २४ अध्याय २५ अध्याय २६ अध्याय २७ अध्याय २८ अध्याय २९ अध्याय ३० अध्याय ३१ अध्याय ३२ अध्याय ३३ अध्याय ३४ अध्याय ३५ अध्याय ३६ अध्याय ३७ अध्याय ३८ अध्याय ३९ अध्याय ४० अध्याय ४१ अध्याय ४२ अध्याय ४३ अध्याय ४४ अध्याय ४५ अध्याय ४६ अध्याय ४७ अध्याय ४८ अध्याय ४९ अध्याय ५० अध्याय ५१ अध्याय ५२ अध्याय ५३ अध्याय ५४ अध्याय ५५ अध्याय ५६ अध्याय ५७ अध्याय ५८ अध्याय ५९ अध्याय ६० अध्याय ६१ अध्याय ६२ अध्याय ६३ अध्याय ६४ अध्याय ६५ अध्याय ६६ अध्याय ६७ अध्याय ६८ अध्याय ६९ अध्याय ७० अध्याय ७१ विषयानुक्रमणिका अवन्तीक्षेत्रमाहात्म्यम् - अध्याय ३९ भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे. Tags : puransanskrutskand puranपुराणसंस्कृतस्कन्द पुराण अध्याय ३९ Translation - भाषांतर ॥ व्यास उवाच ॥भगवन्क्षेत्रमाहात्म्यं कथितं च यथातथम् ॥तीर्थानामुत्तमं तीर्थं पुण्यानां पुण्यवर्धनम् ॥१॥कति संत्यत्र तीर्थानि लिंगानि च तथा कति ॥कथयस्व प्रसादेन पृच्छतो मम सांप्रतम् ॥२॥॥ सनत्कुमार उवाच ॥षष्टिकोटिसहस्राणि षष्टिकोटिशतानि च ॥महाकालवने व्यास लिंगसंख्या न विद्यते ॥३॥अकामो वा सकामो वा जायते योऽत्र मानवः ॥महाकालवने रम्ये शिवलोके महीयते ॥४॥कृतकामानि तीर्थानि प्रासादायतनानि च ॥तेषु स्नात्वा शुचिर्भूत्वा शिवलोके महीयते ॥५॥पुण्यानि सर्वतीर्थानि सिद्धिक्षेत्राणि सर्वतः ॥तेषां मुख्यतमं विद्धि क्षेत्रं तीर्थं तथोत्तमम् ॥६॥यः शृणोति महाभक्त्या स याति परमां गतिम् ॥७॥इति श्रीस्कांदे महापुराण एकाशीतिसाहस्र्यां संहितायां पञ्चम आवन्त्य खण्डेऽवन्तीक्षेत्रमाहात्म्ये महाकालवनमाहात्म्यवर्णनंनामैकोनचत्वारिंशोऽध्यायः ॥३९॥ N/A References : N/A Last Updated : December 01, 2024 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP