संस्कृत सूची|संस्कृत साहित्य|पुराण|श्री स्कंद पुराण|अवन्तीखण्ड|अवन्तीक्षेत्रमाहात्म्यम्| अध्याय १२ अवन्तीक्षेत्रमाहात्म्यम् अध्याय १ अध्याय २ अध्याय ३ अध्याय ४ अध्याय ५ अध्याय ६ अध्याय ७ अध्याय ८ अध्याय ९ अध्याय १० अध्याय ११ अध्याय १२ अध्याय १३ अध्याय १४ अध्याय १५ अध्याय १६ अध्याय १७ अध्याय १८ अध्याय १९ अध्याय २० अध्याय २१ अध्याय २२ अध्याय २३ अध्याय २४ अध्याय २५ अध्याय २६ अध्याय २७ अध्याय २८ अध्याय २९ अध्याय ३० अध्याय ३१ अध्याय ३२ अध्याय ३३ अध्याय ३४ अध्याय ३५ अध्याय ३६ अध्याय ३७ अध्याय ३८ अध्याय ३९ अध्याय ४० अध्याय ४१ अध्याय ४२ अध्याय ४३ अध्याय ४४ अध्याय ४५ अध्याय ४६ अध्याय ४७ अध्याय ४८ अध्याय ४९ अध्याय ५० अध्याय ५१ अध्याय ५२ अध्याय ५३ अध्याय ५४ अध्याय ५५ अध्याय ५६ अध्याय ५७ अध्याय ५८ अध्याय ५९ अध्याय ६० अध्याय ६१ अध्याय ६२ अध्याय ६३ अध्याय ६४ अध्याय ६५ अध्याय ६६ अध्याय ६७ अध्याय ६८ अध्याय ६९ अध्याय ७० अध्याय ७१ विषयानुक्रमणिका अवन्तीक्षेत्रमाहात्म्यम् - अध्याय १२ भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे. Tags : puransanskrutskand puranपुराणसंस्कृतस्कन्द पुराण अध्याय १२ Translation - भाषांतर सनत्कुमार उवाच॥उत्तरे तु प्रवक्ष्यामि मर्कटेश्वरमुत्तमम्॥तत्र तीर्थं च विख्यातं सर्वकामप्रदायकम् ॥१॥तस्मिंस्तीर्थे नरः स्नात्वा गोशतस्य फलं लभेत्॥विस्फोटानां प्रशांत्यर्थं बालानां चैव कारणे ॥२॥मापेन मापितान्कृत्वा मसूरांस्तत्र कुट्टयेत् ॥शीतलायाः प्रभावेन बालाः संतु निरामयाः ॥३॥ये पश्यंति नरा भक्त्या शीतलां दुरितापहाम् ॥न तेषां दुष्कृतं किंचिन्न दारिद्र्यं द्विजोत्तम ॥४॥न च रोगभयं तेषां ग्रहपीडा तथैव च ॥५॥इति श्रीस्कांदे महापुराण एकाशीतिसाहस्र्यां संहितायां आवंत्यखण्डेऽवन्तीक्षेत्रमाहात्म्ये शीतला माहात्म्यवर्णनंनाम द्वादशोऽध्यायः ॥१२॥ N/A References : N/A Last Updated : November 30, 2024 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP