संस्कृत सूची|संस्कृत साहित्य|पुराण|श्री स्कंद पुराण|अवन्तीखण्ड|अवन्तीक्षेत्रमाहात्म्यम्| अध्याय १३ अवन्तीक्षेत्रमाहात्म्यम् अध्याय १ अध्याय २ अध्याय ३ अध्याय ४ अध्याय ५ अध्याय ६ अध्याय ७ अध्याय ८ अध्याय ९ अध्याय १० अध्याय ११ अध्याय १२ अध्याय १३ अध्याय १४ अध्याय १५ अध्याय १६ अध्याय १७ अध्याय १८ अध्याय १९ अध्याय २० अध्याय २१ अध्याय २२ अध्याय २३ अध्याय २४ अध्याय २५ अध्याय २६ अध्याय २७ अध्याय २८ अध्याय २९ अध्याय ३० अध्याय ३१ अध्याय ३२ अध्याय ३३ अध्याय ३४ अध्याय ३५ अध्याय ३६ अध्याय ३७ अध्याय ३८ अध्याय ३९ अध्याय ४० अध्याय ४१ अध्याय ४२ अध्याय ४३ अध्याय ४४ अध्याय ४५ अध्याय ४६ अध्याय ४७ अध्याय ४८ अध्याय ४९ अध्याय ५० अध्याय ५१ अध्याय ५२ अध्याय ५३ अध्याय ५४ अध्याय ५५ अध्याय ५६ अध्याय ५७ अध्याय ५८ अध्याय ५९ अध्याय ६० अध्याय ६१ अध्याय ६२ अध्याय ६३ अध्याय ६४ अध्याय ६५ अध्याय ६६ अध्याय ६७ अध्याय ६८ अध्याय ६९ अध्याय ७० अध्याय ७१ विषयानुक्रमणिका अवन्तीक्षेत्रमाहात्म्यम् - अध्याय १३ भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे. Tags : puransanskrutskand puranपुराणसंस्कृतस्कन्द पुराण अध्याय १३ Translation - भाषांतर ॥ सनत्कुमार उवाच ॥स्वर्गद्वारे नरः स्नात्वा दृष्ट्वा देवं च भैरवम् ॥श्राद्धं तत्रैव कुर्वीत पितॄनुद्दिश्य भक्तितः ॥१॥पितॄंश्च स नरो व्यास तारयेदात्मना सह ॥स्वर्गद्वारेण योऽभ्येति रुद्रस्य परमं पदम् ॥२॥भैरवस्याग्रतो देवी पूर्वे तिष्ठति चांबिका ॥तां तु दृष्ट्वा नरः स्त्री वा मुच्यते सर्वपातकैः ॥३॥महानवम्यां पुरुषः कृत्वा बस्तमयं बलिम् ॥महिषं वा सुरां मांसं मालां बिल्वमयीं शुभाम् ॥भक्त्या निवेद्य देव्यै तु सर्वासिद्धिमवाप्नुयात् ॥४॥तत्र स्नात्वा नरो भक्त्या पूजां कृत्वा महेश्वरे ॥स्वर्गद्वारेण सोऽभ्येति रुद्रस्य भवनं द्विज ॥५॥इति श्रीस्कांदे महापुराण एकाशीतिसाहस्र्यां संहितायां पञ्चम आवंत्यखण्डेऽवन्तीक्षेत्रमाहात्म्ये स्वर्गद्वारमाहात्म्य वर्णनंनाम त्रयोदशोध्यायः ॥१३॥ N/A References : N/A Last Updated : November 30, 2024 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP