हिंदी सूची|पूजा एवं विधी|नित्य कर्म पूजा|विशिष्ट पूजा-प्रकरण| पार्थिव-पूजन ज्ञातव्य बातें विशिष्ट पूजा-प्रकरण विशिष्ट पूजा महत्व स्वस्त्ययन संकल्प न्यास गणपति और गौरीकी पूजा कलश स्थापन पुण्याहवाचन अभिषेक षोडशमातृका-पूजन सप्तघृतमातृका-पूजन नवग्रह-मण्डल-पूजन अधिदेवता और प्रत्यधिदेवताका स्थापन प्रत्यधि देवताओंका स्थापन पञ्चलोकपाल-पूजा दश दिक्पाल-पूजन चतु:षष्टियोगिनी-पूजन रक्षा-विधान श्रीशालग्राम-पूजन श्रीमहालक्ष्मी-पूजन वैदिक शिव-पूजन भगवान् गंगाधरकी आरती पार्थिव-पूजन पार्थिव-पूजन ज्ञातव्य बातें पार्थिव-पूजन ज्ञातव्य बातें प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे. Tags : devatadevipoojaदेवतादेवीपूजा पार्थिव-पूजन ज्ञातव्य बातें Translation - भाषांतर ज्ञातव्य बातें(१) शिवकी प्रदक्षिणाके लिये शास्त्रका आदेश है कि इनकी अर्धप्रदक्षिणा करनी चाहिये । आचारेन्दुमें 'अर्ध'क अर्थ -- 'अर्ध सोमसूत्रान्तमित्यर्थ:' 'सोमसूत्रतक' ऐसा किया गया है । 'शिवं प्रदक्षिणीकुर्वन् सोमसूत्रं न लंघयेत्, इति वचनान्तरात् ।'अपवाद -- तृण, काष्ठ, पत्ता, पत्थर, ईंट आदिसे ढके सोमसूत्रका लंघन किया जा सकता है ।(२) दुर्गाजीकी एक, सूर्यकी सात, गणेशकी तीन, विष्णुकी चार और शिवकी अर्ध प्रदक्षिणा करनी चाहिये ।एका चण्डया रवे: सप्त तिस्त्र: कार्या विनायके ।हरेश्चतस्त्र: कर्तव्या: शिवस्यार्धप्रदक्षिणा ॥(३) [क] -- पूजनमें जिस सामग्रीकी कमी हो, उसकी पूर्ति मानसिक भावनासे करनी चहिये -- 'असम्पन्नं मनसा सम्पादयेत् ।' जैसे -- आसनं मनसा परिकल्पयामि, पुष्पमालां मनसा परिकल्पयामि इत्यादि ।[ख] -- दूसरा विकल्प है, उस-उस सामग्रीके लिये अक्षत-फूल चढ़ा दे जल चढ़ा दे --तत्तद् द्रव्यं तु संकल्प्य पुष्पैर्वापि समर्चये़त् ।अर्चनेषु विहीनं यत् तत्तोयेन प्रकल्पयेत् ॥[ग] -- केवल नैवेद्य चढ़ानेसे अथवा केवल चन्दन, फूल चढ़ानेसे भी पूजा मान ली जाती है ।'केवलनैवेद्यसमर्पणेनैव पूजासिध्दिरिति ............ ।गन्धपुष्पसमर्पणमात्रेण पूजासिध्दिरित्यपि पूर्वे ।' N/A References : N/A Last Updated : December 03, 2018 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP