हिंदी सूची|पूजा एवं विधी|नित्य कर्म पूजा|विशिष्ट पूजा-प्रकरण| प्रत्यधि देवताओंका स्थापन विशिष्ट पूजा-प्रकरण विशिष्ट पूजा महत्व स्वस्त्ययन संकल्प न्यास गणपति और गौरीकी पूजा कलश स्थापन पुण्याहवाचन अभिषेक षोडशमातृका-पूजन सप्तघृतमातृका-पूजन नवग्रह-मण्डल-पूजन अधिदेवता और प्रत्यधिदेवताका स्थापन प्रत्यधि देवताओंका स्थापन पञ्चलोकपाल-पूजा दश दिक्पाल-पूजन चतु:षष्टियोगिनी-पूजन रक्षा-विधान श्रीशालग्राम-पूजन श्रीमहालक्ष्मी-पूजन वैदिक शिव-पूजन भगवान् गंगाधरकी आरती पार्थिव-पूजन पार्थिव-पूजन ज्ञातव्य बातें प्रत्यधि देवताओंका स्थापन प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे. Tags : devatadevipoojaदेवतादेवीपूजा प्रत्यधि देवताओंका स्थापन Translation - भाषांतर प्रत्यधि देवताओंका स्थापनबायें हाथमें अक्षत लेकर दाहिने हाथसे नवग्रहोंके बायें भागमें मन्त्रको उच्चारण करते हुए चित्रानुसार नियत स्थानोंपर अक्षत छोडते हुए एक-एक प्रत्यधिदेवताका आवाहन-स्थापन करे -१९-अग्नि (सूर्यके बायें भागमें) आवाहन-स्थापन-ॐ अग्निं दूतं पुरो दधे हव्यवाहमुप ब्रुवे । देवाँ २ आ सादयादिह ॥रक्तमाल्याम्बरधरं रक्तपद्मासनस्थितम् ।वरदाभयदं देवमग्निमावाहयाम्यहम् ॥ॐ भूर्भव: स्व: अग्नये नम:, अग्निमावाहयामि,स्थापयामि । २०-अप् (जल) (चन्द्रमाके बायें भागमें) आवाहन-स्थापन-ॐ आपो हि ष्ठा मयोभुवस्ता न ऊर्जे दधातन । महे रणाय चक्षसे ॥आदिदेवसमुद्भूतजगच्छुद्धिकरा: शुभा: ।ओषध्याप्यायनकरा अप आवाहयाम्यहम् ॥ॐ भूर्भव: स्व: अद्भ्यो नम:, अप आवाहयामि, स्थापयामि ॥२१-पृथ्वी (मंगलके बायें भागमें) आवाहन-स्थापन -ॐ स्योना पृथिवि नो भवानृक्षरा निवेशनी । यच्छा न: शर्म सप्रथा: ॥शुक्लवर्णां विशालाक्षीं कूर्मपृष्ठोपरिस्थिताम् ।सर्वशस्याश्रयां देवीं धरामावाहयाम्यहम् ॥ॐ भूर्भव: स्व: पृथिव्यै नम:, पृथिवीमावाहयामि, स्थापयामि ।२२-विष्णु (बुधके बायें भागमें) आवाहन-स्थापन -ॐ इदं विष्णुर्वि चक्रमे त्रेधा नि दधे पदम् । समूढमस्य पा सुरे स्वाहा ॥शडखचक्रगदापद्महस्तं गरुडवाहनम् ।किरीटकुण्डलधरं विष्णुमावायाम्यहम् ॥ॐ भूर्भव: स्व: विष्णवे नम:, विष्णुमावाहयामि, स्थापयामि ।२३-इन्द्र (बृहस्पतिके बायें भागमें) आवाहन-स्थापन-ॐ इन्द्र आसां नेता बृहस्पतिर्दक्षिणा यज्ञ: पुर एतु सोम: ।देवसेनानामभिभञ्जतीनां जयन्तीनां मरुतो यन्त्वग्रम् ॥ऐरावतगजारुढं सहस्त्राक्षं शचीपतिम् ।वज्रहस्तं सुराधीशमिन्द्रमावाहयाम्यहम् ॥ॐ भूर्भव: स्व: इन्द्राय नम:, इन्द्रमावाहयामि, स्थापयामि ।२४-इन्द्राणी ( शुक्रके बायें भागमें ) आवाहन स्थापन-ॐ अदित्यै रास्नाऽसीन्द्राण्या उष्णीष: । पूषाऽसि घर्माय दीष्व ॥प्रसन्नवदनां देवीं देवराजस्य वल्लभाम् ।नानालडकारसंयुक्तां शचीमावाहयाम्यहम् ॥ॐ भूर्भव: स्व: इन्द्राण्यै नम:, इन्द्राणीमावाहयामि, स्थापयामि ।२५-प्रजापति (शनिके बायें भागमें) आवाहन-स्थापन-ॐ प्रजापते न त्वदेतान्यन्यो विश्वा रुपाणि परि ता बभूव ।यत्कामास्ते जुहुमस्तन्नो अस्तु वय स्याम पतयो रयीणाम् ॥आवाहयाम्यहं देवदेवेशं च प्रजापतिम् ।अनेकव्रतकर्तारं सर्वेषां च पितामहम् ॥ॐ भूर्भव: स्व: प्रजापतये नम:, प्रजापतिमावाहयामि, स्थापयामि ।२६-सर्प (राहुके बायें भागमें) आवाहन-स्थापन-ॐ नमोऽस्तु सर्पेभ्यो ये के च पृथिवीमनु ।ये अन्तरिक्षे ये दिवि तेभ्य: सर्पेभ्यो नम: ॥अनन्ताद्यान् महाकायान् नानामणिविराजितान् ।आवाहयाम्यहं सर्पान् फणासप्तकमण्डितान् ॥ॐ भूर्भव: स्व: सर्पेभ्यो नम:, सर्पानावाहयामि, स्थापयामि ।२७-ब्रह्मा (केतुके बायें भागमें) आवाहन-स्थापन -ॐ ब्रह्म जज्ञानं प्रथमं पुरस्ताद्वि सीमत: सुरुचो वेन आव: ।स बुध्न्या उपमा अस्य विष्ठा: सतश्च योनिमसतश्च विव: ॥हंसपृष्ठसमारुढं देवतागणपूजितम् ।आवाहयाम्यहं देवं ब्रह्माणं कमलासनम् ॥ॐ भूर्भव: स्व: ब्रह्मणे नम:, ब्रह्माणमावाहयामि, स्थापयामि ।नवग्रहोंके समान ही अधिदेवता तथा प्रत्यधिदेवताओंका भी प्रतिष्ठापूर्वक पाद्यादि उपचारोंसे पूजन करना चाहिये । N/A References : N/A Last Updated : December 03, 2018 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP