दिव्य मनुष्य-तर्पण

प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे.


दिव्य मनुष्य-तर्पण
दिव्य मनुष्य तर्पणमें
१-उत्तर दिशाकी ओर मुँह करे।
२-जनेऊको कंठीकी तरह कर ले।
३-गमछेको भी कंठीकी तरह कर ले।
४-सीधा बैठे। कोई घुटना जमीनपर न लगाये।
५-अर्घ्यपात्रमें जौ छोडे।
६-तीनों कुशोंको उत्तराग्र रखे।
७-प्राजापत्य (काय) तीर्थसे दे अर्थात् कुशोंको दाहिने हाथकी कनिष्ठिकाके मूलभाग में रखकर यहीसें जल दे।
८-दो दो अंजलियाँ दे।
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अञ्जलिदानके मन्त्र-
ॐ सनकस्तृप्यताम (२) । ॐ सनन्दनस्तृप्यताम्  (२) । ॐ सनातनस्तृप्यताम (२) । ॐ कपिलस्तृप्यताम  (२) । ॐ आसुरिस्तृप्यताम् (२) । ॐ वोढुस्तृप्यताम् (२) । ॐ पञ्चशिखस्तृप्यताम् (२) ।

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Last Updated : December 02, 2018

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