हिंदी सूची|पूजा एवं विधी|नित्य कर्म पूजा|पञ्चमहायज्ञ|तर्पण ( पितृयज्ञ )| नित्य-दान तर्पण ( पितृयज्ञ ) तर्पण ( पितृयज्ञ ) तर्पण-प्रयोग-विधि देव-तर्पण-विधि ऋषि-तर्पण दिव्य मनुष्य-तर्पण दिव्य पितृ-तर्पण यम-तर्पण मनुष्य पितृ-तर्पण व्दितीय गोत्र-तर्पण पत्न्यादितर्पण वस्त्र-निष्पीडन भीष्मतर्पण सूर्यको अर्घ्यदान समर्पण सूर्यके बारह नमस्कार नित्य-दान नित्य-दान प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे. Tags : devatadevipoojaदेवतादेवीपूजा नित्य-दान Translation - भाषांतर नित्यकर्ममें दान भी आता है । वेदने आदेश दिया है कि दान बहुत ही श्रध्दाके साथ करना चाहिये। अपनी जैसी सम्पत्ति हो, उसके अनुसार दान करना चाहिये । देते समय अभिमान न हो, लज्जासे विनम्र होकर दान करे । भय मान कर दे । यह दान सुपात्रको करना चाहिये और प्रतिदिन करना चाहिये । यह आवश्यक नही है कि दानकी मात्रा अधिक ही हो । शास्त्रका आदेश है कि यदि स्थिति विपन्न हो तो जो कुछ भोजनके लिये मिले, उसमेंसे आधा ग्रास ही दान कर दे । महाभारतमें कहा गया है कि यदि एक दिन भी दानके बिना बीत जाय, तो उस दिन इस तरहका शोक प्रकट करना चाहिये, जैसे तरह लुटेरोंसे लुट जानेपर मनुष्य करता है । दाता पूरबकी ओर मुख करके दे और ग्रहिता उत्तरकी मुख करके ले । इससे दोनोंका हित होता है । माता, पिता और गुरुको अपने पुण्यका भी दान किया जाता है । दान देनेसे पहले दान लेनेवाले ब्राम्हणकी चन्दनादिसे पूजा कर ले । देय वस्तुकी भी शुध्दि तथा फ़ुलसे पूजा कर ले तथा देय वस्तुका इस प्रकार संकल्प करे ।क) निष्काम संकल्प-ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु: , अद्य...श्रीपरमात्मप्रीत्यर्थमिदं वस्तु अमुकशर्मणे ब्राम्हणाय तुभ्यं सम्प्रददे ।ख) सकाम संकल्प-’श्रीपरमात्मप्रीत्यर्थ’ के बाद ’ममैतच्छरीरावच्छिन्नसमस्तपापक्षयसर्वग्रहपीडाशान्तिशरीरोत्थार्तिनाशमन:प्रसादायुरारोग्यदिसर्वसौख्यसम्पत्यर्थ... इदं वस्तु अमुकशर्मणे ब्राम्हणाय तुभ्यं सम्प्रददे ।’ N/A References : N/A Last Updated : December 02, 2018 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP