हिंदी सूची|पूजा एवं विधी|नित्य कर्म पूजा|पञ्चमहायज्ञ|तर्पण ( पितृयज्ञ )| देव-तर्पण-विधि तर्पण ( पितृयज्ञ ) तर्पण ( पितृयज्ञ ) तर्पण-प्रयोग-विधि देव-तर्पण-विधि ऋषि-तर्पण दिव्य मनुष्य-तर्पण दिव्य पितृ-तर्पण यम-तर्पण मनुष्य पितृ-तर्पण व्दितीय गोत्र-तर्पण पत्न्यादितर्पण वस्त्र-निष्पीडन भीष्मतर्पण सूर्यको अर्घ्यदान समर्पण सूर्यके बारह नमस्कार नित्य-दान देव-तर्पण-विधि प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे. Tags : devatadevipoojaदेवतादेवीपूजा देव-तर्पण-विधि Translation - भाषांतर देव तथा ऋषि-तर्पणमें १-पुरब दिशाकी ओर मुँह करे। २-जनेऊको सव्य रखे।३-दाहिना घुटका जमीनपर लगाकर बैठे।४-अर्घ्यपात्रमें चावल छोडे।५-तीनों कुशोंको पूर्वकी ओर अग्रभाग कर रखे।६-जलकी अंजलि एक-एक हो।७-देवतीर्थसे अर्थात् दाये हाथकी अँगुलियोंके अग्रभागसे दे। ८-जलांजलीको सोना, चाँदी, ताँबा अथवा काँसेके बर्तनमें डाले। यदी नदीमें तर्पण किया जाय तो दोनों हाथोंको मिलाकर जलसे भरकर गौकी सींग-जितना ऊँचा उठाकर जलमें ही अंजलि डाल दे।निम्नलिखित प्रत्येक नाम मन्त्रके बाद ’तृप्यताम’ कहकर एक-एक अंजलि जल देता जाय।ॐ ब्रह्मा तृप्यताम्। ॐ विष्णुस्तृप्यताम्। ॐ रुद्रस्तृप्यताम्। ॐ प्रजापतिस्तृप्यताम्। ॐ देवास्तृप्यन्ताम्। ॐ छन्दांसि तृप्यन्ताम्। ॐ वेदास्तृप्यन्ताम्। ॐ ऋषयस्तृप्यन्ताम्। ॐ पुराणाचार्यास्तृप्यन्ताम्। ॐ गन्धर्वास्तृप्यन्ताम्। ॐ इतराचार्यास्तृप्यन्ताम्। ॐ संवत्सर: सावयवस्तृप्यन्ताम्। ॐ देव्यस्तृप्यन्ताम्। ॐ अप्सरसस्तृप्यन्ताम्। ॐ देवानुगास्तृप्यन्ताम्। ॐ नागास्तृप्यन्ताम् । ॐ सागरास्तृप्यन्ताम् । ॐ पर्वतास्तृप्यन्ताम् । ॐ सरितस्तृप्यन्ताम्। ॐ मनुष्यास्तृप्यन्ताम्। ॐ यक्षास्तृप्यन्ताम्। ॐ भूतानि तृप्यन्ताम्। ॐ पशवस्तृप्यन्ताम्। ॐ वनस्पतयस्तृप्यन्ताम्। ॐ ओषधयस्तृप्यन्ताम्। ॐ भूतग्रामश्चतुर्विधस्तृप्यताम्। N/A References : N/A Last Updated : December 02, 2018 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP