हिंदी सूची|पूजा एवं विधी|नित्य कर्म पूजा|पञ्चमहायज्ञ|तर्पण ( पितृयज्ञ )| व्दितीय गोत्र-तर्पण तर्पण ( पितृयज्ञ ) तर्पण ( पितृयज्ञ ) तर्पण-प्रयोग-विधि देव-तर्पण-विधि ऋषि-तर्पण दिव्य मनुष्य-तर्पण दिव्य पितृ-तर्पण यम-तर्पण मनुष्य पितृ-तर्पण व्दितीय गोत्र-तर्पण पत्न्यादितर्पण वस्त्र-निष्पीडन भीष्मतर्पण सूर्यको अर्घ्यदान समर्पण सूर्यके बारह नमस्कार नित्य-दान व्दितीय गोत्र-तर्पण प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे. Tags : devatadevipoojaदेवतादेवीपूजा व्दितीय गोत्र-तर्पण Translation - भाषांतर व्दितीय गोत्र-तर्पणइसके बाद व्दितीय गोत्रवाले (ननिहालके) मातामह (नाना) आदिका तर्पण करे। यहाँ भी पहलेकी भाँति निम्नलिखित वाक्योंको तीन-तीन बार पढकर तिलसहित जलकी तीन-तीन अंजलियाँ पितृतीर्थसे दे-अमुकगोत्र: अस्मन्मातामह: (नाना) अमुक: वसुरुपस्तृप्यतामिदं तेलोदकं तस्मै स्वधा नम: (३) ।अमुकगोत्र: अस्मत्प्रमातामह: (परनाना) अमुक: रुद्ररूप तृप्यतामिदं तिलोदकं तस्मै स्वधा नम: (३) ।अमुकगोत्र: अस्मद् वृध्दप्रमातामह: (वृध्द परनाना) अमुक: आदित्यरुपस्तृप्यतामिदं तिलोदकं तस्मै स्वधा नम: (३) ।अमुकगोत्रा अस्मत्प्रमातामही (नानी) अमुकी देवी दा वसुरुपा तृप्यतामिदं तोलोदकं तस्यै स्वधा नम: (३) ।अमुकगोत्रा अस्मत्प्रमातामही (परनानी) अमुकी देवी दा रुद्ररुपा तृप्यतामिदं तिलोदकं तस्यै स्वधा नम: (३) ।अमुकगोत्रा अस्मद्वृध्दप्रमातामही (वृध्द परनानी) अमुकी देवी आदित्यरुपा तृप्यतामिदं तिलोदकं तस्यै स्वधा नम: (३)। N/A References : N/A Last Updated : December 02, 2018 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP