संस्कृत सूची|शास्त्रः|ज्योतिष शास्त्रः|बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम्| अध्याय ८५ बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम् अध्याय १ अध्याय २ अध्याय ३ अध्याय ४ अध्याय ५ अध्याय ६ अध्याय ७ अध्याय ८ अध्याय ९ अध्याय १० अध्याय ११ अध्याय १२ अध्याय १३ अध्याय १४ अध्याय १५ अध्याय १६ अध्याय १७ अध्याय १८ अध्याय १९ अध्याय २० अध्याय २१ अध्याय २२ अध्याय २३ अध्याय २४ अध्याय २५ अध्याय २६ अध्याय २७ अध्याय २८ अध्याय २९ अध्याय ३० अध्याय ३१ अध्याय ३२ अध्याय ३३ अध्याय ३४ अध्याय ३५ अध्याय ३६ अध्याय ३७ अध्याय ३८ अध्याय ३९ अध्याय ४० अध्याय ४१ अध्याय ४२ अध्याय ४३ अध्याय ४४ अध्याय ४५ अध्याय ४६ अध्याय ४७ अध्याय ४८ अध्याय ४९ अध्याय ५० अध्याय ५१ अध्याय ५२ अध्याय ५३ अध्याय ५४ अध्याय ५५ अध्याय ५६ अध्याय ५७ अध्याय ५८ अध्याय ५९ अध्याय ६० अध्याय ६१ अध्याय ६२ अध्याय ६३ अध्याय ६४ अध्याय ६५ अध्याय ६६ अध्याय ६७ अध्याय ६८ अध्याय ६९ अध्याय ७० अध्याय ७१ अध्याय ७२ अध्याय ७३ अध्याय ७४ अध्याय ७५ अध्याय ७६ अध्याय ७७ अध्याय ७८ अध्याय ७९ अध्याय ८० अध्याय ८१ अध्याय ८२ अध्याय ८३ अध्याय ८४ अध्याय ८५ अध्याय ८६ अध्याय ८७ अध्याय ८८ अध्याय ८९ अध्याय ९० अध्याय ९१ अध्याय ९२ अध्याय ९३ अध्याय ९४ अध्याय ९५ अध्याय ९६ अध्याय ९७ बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम् - अध्याय ८५ `बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम्` हा ग्रंथ म्हणजे ज्योतिष शास्त्रातील मैलाचा दगड होय. Tags : astrologyjyotishaparasharज्योतिषपाराशरहोराशास्त्र अथऽशुभजन्मकथनाध्यायः Translation - भाषांतर अथाऽन्यत् संप्रवक्ष्यामि सुलग्ने सुग्रहेष्वपि ।यदन्यकारणेनापि भवेज्जन्माऽशुभप्रदम् ॥१॥दर्शे कृष्णाचतुर्दश्यां विष्ट्यां सोदरभे तथा ।पितृभे सूर्यसंक्रान्तौ पातेऽर्केन्दुग्रहे तथा ॥२॥व्यतीपातादिदुर्योगे गण्डान्ते त्रिविधेऽपि वा ।यमघण्टेऽवभे दग्धयोगे त्रीतरजन्म च ॥३॥प्रसवस्य त्रिकारेऽपि ज्ञेयं जन्माऽशुभप्रदम् ।शान्त्या भवति कल्याणं तदुपायं च वच्म्यहम् ॥४॥ N/A References : N/A Last Updated : July 26, 2011 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP