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पुन्नपुंसकशेषसंग्रहः - श्लोक १००३ ते १०११

अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है।


१००३) पुन्नपुंसकयोः शेषोऽर्धर्चपिण्याककण्टकाः

१००४) मोदकस्तण्डकष्टङ्कः शाटकः कर्पटोऽर्बुदः

१००५) पातकोद्योगचरकतमालामलका नडः

१००६) कुष्ठं मुण्डं शीधु बुस्तं क्ष्वेडितं क्षेमकुट्टिमम्

१००७) संगमं शतमानाऽर्मशम्बलाऽव्ययताण्डवम्

१००८) कवियं कन्दकार्पासं पारावारं युगन्धरम्

१००९) यूपं प्रग्रीवपात्रीवे यूषं चमसचिक्कसौ

१०१०) अर्धर्चादौ घृतादीनां पुंस्त्वाद्यं वैदिकं ध्रुवम्

१०११) तन् नोक्तमिह लोकेऽपि तच् चेदस्त्यस्तु शेषवत्

इति पुन्नपुंसकशेषसंग्रहः

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Last Updated : March 30, 2010

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